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रीवा एवं शहडोल संभाग के 24 कॉलेजों को खुद की बिल्डिंग का इंतजार
MP Rewa News: एमपी के रीवा एवं शहडोल संभाग के 24 महाविद्यालयों को अभी भी खुद के भवन का इंतजार का इंतजार है। इन्हें अब तक खुद की बिल्डिंग नसीब नहीं हो सकी है। इन महाविद्यालयों का संचालन कहीं जर्जर भवन में किया जा रहा है तो कहीं किराए के भवनों में इन कॉलेजों का संचालन हो रहा है। जिससे यहां उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
उच्च शिक्षा ग्रहण करने में होती है परेशानी
नवीन शासकीय कॉलेज उच्च शिक्षा विभाग द्वारा खोल तो दिए गए किंतु कई जगह अब तक कॉलेजों को भवन की सुविधा नहीं मिल सकी है। कई कॉलेजों के भवन निर्माणाधीन हैं तो कई कॉलेज ऐसे भी हैं जिनको जमीन नहीं मिलने के कारण भवन निर्माण की कार्रवाई अब तक नहीं प्रारंभ हो सकी है। सूत्रों की मानें तो कई स्थान ऐसे हैं जहां अब या तो भवन बनकर तैयार होने की स्थिति में हैं अथवा इनका काम चल रहा है। भवन निर्माण हो जाने के बाद छात्रों को लैब के साथ अन्य सुविधाएं मिलने लगेंगी। किंतु अभी तक जिन कॉलेजों में भवन नहीं हैं वहां के छात्रों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने में काफी दिक्कतें सामने आ रही हैं।
इन कॉलेजों के पास नहीं है खुद का भवन
उच्च शिक्षा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक रीवा जिले के जिन महाविद्यालयों के पास खुद का भवन नहीं है उनमें जवा स्थित नष्टिगवां कॉलेज के भवन निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है। जिसके बन जाने के बाद यहां के छात्रों को खुद का भवन मिल सकेगा। बैकुण्ठपुर और हनुमना में भी कुछ इसी तरह की स्थिति है। वहीं सतना जिले में शासकीय महाविद्यालय उचेहरा, बिरसिंहपुर, ताला, नादन, अमदरा, रैगांव में खोले गए नए कॉलेज अभी तक भवन विहीन हैं। जबकि सीधी जिले में शासकीय महाविद्यालय कुसमी, सिंगरौली में शासकीय कॉलेज रजमिलान, माड़ा, सरई, बरगवां, अनूपपुर में शासकीय महाविद्यालय बिजुरी, राजनगर, व्यंकट नगर कॉलेज शामिल हैं। वहीं उमरिया जिले में शासकीय कॉलेज चंदिया, नौरोजाबाद व मानपुर कॉलेज को खुद की बिल्डिंग का इंतजार है।
मुख्यालय से गायब रहते हैं जिम्मेदार
सूत्रों से मिली जानकारी में बताया गया है कि जिला मुख्यालय से दूरदराज क्षेत्र में खोले गए नवीन महाविद्यालय में प्रभारी प्राचार्य मुख्यालय में नहीं रहते हैं। जिनके द्वारा जिला मुख्यायल से ही अप-डाउन का कार्य किया जाता है। जिसके कारण छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ताहै। अधिकारियों के मुख्यालय से गायब रहने का असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ता है। कई बार समय से कॉलेजों में कक्षाएं नहीं लग पातीं। उच्च शिक्षा विभाग ने जिम्मेदारों को मुख्यालय में रहने का आदेश भी दिया है किंतु अधिकारी मनमानी पर उतारू हैं।