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बड़ी खबर : रीवा में इस बार फिर आ सकती है बाढ़, ये हैं प्रमुख क्षेत्र जो डूब सकते है,पढ़िए कही आपका क्षेत्र तो नहीं, ऐसे रहे सावधान ।
रीवा। शहर में बारिश का मौसम आते ही बाढ़ की आशंका भी उमडऩे लगती है। पूर्व में हुई बाढ़ की घटनाओं की वजह से आशंका को इस बार भी बल मिल रहा है। जिस तरह से तैयारियां होनी चाहिए अभी तक नहीं हुई है। नालों में मलबा जमा हुआ है, पानी निकासी के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए हैं, जिसकी वजह से आने वाले दिनों में यह खतरा और भी बढ़ जाएगा।
बीहर और बिछिया नदी के किनारे से लगे हिस्सों के साथ ही शहर के मध्य के कई ऐसे मोहल्ले हैं जहां से बड़े नाले बहते हैं। यहां पर जलभराव का खतरा सबसे अधिक बना हुआ है। पूर्व में आई बाढ़ के चलते नगर निगम के पास व्यवस्था बनाने का तरीका तो आ गया है लेकिन उसके हिसाब से तैयारियां अभी नहीं हो पाई हैं। छोटी नालियों से लेकर बड़े नालों तक की सफाई व्यापक पैमाने पर नहीं हुई है, जिससे इस बार शहर के मध्य में भी जलभराव की आशंका है। इसके पहले 1994, 1997, 2003 एवं 2016 में बाढ़ से शहर को बड़ा नुकसान हो चुका है। शहर के 45 में से 20 वार्डों को जलभराव की आशंका है।
- सफाई का नहीं चलाया अभियान बीते कुछ वर्षों से नगर निगम जून के महीने में सभी नालों की सफाई के लिए विशेष अभियान चलाता रहा है। इसके लिए स्पेशल गैंग में ७० से अधिक सफाईकर्मियों की नियुक्ति भी की जा चुकी है। नालों एवं नालियों की सफाई का अभियान नहीं चलाया गया। कुछ वार्डों के पार्षदों के कहने पर नालों को साफ करने की प्रक्रिया अब शुरू की जा रही है।
- अतिक्रमण सबसे बड़ी समस्या, नहीं हुई कार्रवाई शहर में नदियों के किनारे बस्तियां बस गई, तो वहीं मोहल्लों की कालोनियां नालों के ऊपर तक आ गई हैं। अमहिया, झिरिया, धिरमा, चंदुआ, रतहरी सहित कई नाले ऐसे हैं जिनका स्वरूप बदलकर उनके ऊपर निर्माण करा लिया गया है। वर्ष २०१६ में आई बाढ़ के बाद नालों का सीमांकन कराया गया। अमहिया नाले में कार्रवाई भी शुरू की गई लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते मामला रोक दिया गया। इसके बाद से फिर तेजी के साथ अतिक्रमण बढ़ा और अब फिर पहले की तरह नालों पर मकान तन गए हैं।
- शहर में जलभराव की आशंका वाले ये हैं प्रमुख क्षेत्र वार्ड क्रमांक २- निपनिया पोल फैक्ट्री के सामने, निपनिया चौराहे से लगी बस्ती, पुष्पराज नगर बस्ती। वार्ड पांच- पद्मधर कालोनी बस्ती, हमीदिया कालोनी, धिरमा नाला बस्ती। वार्ड छह- बांसघाट बस्ती, बसस्टैंड के सामने का क्षेत्र, विंध्या अस्पताल का क्षेत्र। वार्ड आठ- नीम चौराहा के पास हरिजन बस्ती। वार्ड नौ- बोदा हरिजन बस्ती, इंजीनियरिंग कालेज परिसर की झुग्गी बस्ती। वार्ड ११- तिलक नगर, इंद्रानगर। वार्ड १२- बजरंग नगर, सिरमौर चौराहा का क्षेत्र। वार्ड १३- नेहरू नगर, पाल पैलेस के सामने। वार्ड १४- संगीता कालोनी, संजयनगर। वार्ड १५- रतहरा, रतहरी सहित कई मोहल्ले। बार्ड १६-पीके स्कूल के पीछे की बस्ती, द्वारिका नगर वार्ड १७- झिरिया बस्ती। वार्ड १९- कबाड़ी टोला, पुराना आरटीओ आफिस क्षेत्र। वार्ड २१- धोबियाटंकी बसोर बस्ती, कुम्हारन टोला, चिकान टोला। वार्ड २६- पोखरी टोला, बदरांव रोड की सोधिया बस्ती। वार्ड ३४- पंचमठा के पास की बस्ती, बंदिया क्षेत्र। वार्ड ३८- चुनहाई कुंआ चौराहा से दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र, रानीतालाब क्षेत्र, अखाड़घाट बस्ती। वार्ड ४२- जगन्नाथ मंदिर का क्षेत्र। वार्ड ४३- रामसागर मंदिर के पीछे हरिजन बस्ती चिरहुला रोड के किनारे। वार्ड ४४- महाजन टोला, सावा नदी के पास स्थित बस्ती। वार्ड ४५- बिछिया नदी के ऊपर कुठुलिया बस्ती, सिलपरी बस्ती। -----
ये नाले बनते हैं शहर में बाढ़ की प्रमुख वजह शहर में बीहर और बिछिया नदियों में पानी बढऩे के साथ ही कई नाले हैं जो परेशानी का कारण बनते हैं। इसमें प्रमुख रूप से अमहिया नाला जो फूलमती मंदिर से बीहर नदी तक है, दीनदयाल कालोनी का नाला, बोदाबाग, बजरंग नगर गेट से झिरिया तक, खुटेही से सिरमौर चौक तक, स्वयं विवाह घर से जानटावर तक, घोघर, गुरुद्वारा से झिरिया तक, विकास कालोनी से रसिया मोहल्ला तक, रानीतालाब बस्ती से सिंधियान पुलिया तक, चुनहाई कुंआ से निपनिया तक, मछरिया गेट से कोतवाली, झंकार टाकीज के सामने, एसएएफ चौराहा से भैरों मार्ग, नेहरू नगर से फूलमती मंदिर, इतवारिया नाला, चंदुआ नाला, धिरमा नाला, बिछिया से जगन्नाथ मंदिर का नाला, शिवनगर का बड़ा नाला आदि हैं। - बीहर और बिछिया नदियों के दोनों ओर की बस्तियों में बाढ़ का खतरा रहता है। कुछ बड़े नालों की वजह से भी जलभराव होता है। पहले से तैयारियां की जा रही हैं, बारिश से पहले का समय बचा है, नालों की सफाई कराएंगे। राहत शिविरों की व्यवस्था की है। आपात स्थिति में एनडीआरएफ और सेना की भी सहायता लेंगे। सभाजीत यादव, आयुक्त नगर निगम