CM BHUPESH का बड़ा फैसला, मनमानी में लगेगी लगाम, निजी स्कूलों की फीस होगी तय : CG NEWS
Raipur News निजी स्कूलों की हर साल बढ़ रही फीस के मामले में स्कूल शिक्षा विभाग ने अभिभावकों को राहत देने के लिए योजना बनाई है। बताया जाता है कि फीस नियामक आयोग या कमेटी गठित करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। प्रदेश भर में अंग्रेजी और बेहतर पढ़ाई के नाम से पालकों से मनमानी फीस वसूली की जा रही है।
अभिभावकों की शिकायत है कि उनसे विभिन्न मदों पर अनावश्यक फीस ली जा रही है। स्कूल प्रबंधन फीस के साथ-साथ बस किराया के अलावा यूनिफॉर्म, बुक्स, स्टेशनरी, फूड, कम्प्यूटर क्लास, फैंसी ड्रेस कॉम्पिटिशन पोशाक, समर वेकेशन, सेलिब्रिटी, गेम्स ट्रेनर, स्कूल बैच, फोटोग्राफी, पेंटिंग कॉम्पिटिशन, टूर, आनंद मेला और कूपन के नाम पर भी शुल्क ले रहा है।
ऐसे में अभिभावकों को अपने बच्चों को सस्ती और सुलभ शिक्षा नहीं मिल पा रही है। राजधानी के निजी स्कूलों में न्यूनतम पांच हजार से लेकर एक लाख 50 हजार रुपये प्रति वर्ष तक नर्सरी और पहली कक्षा की फीस है। स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है कि सुविधाएं और शिक्षण के बेहतर आउटपुट के आधार पर स्कूलों की कैटेगरी बनेगी। स्कूल शिक्षा के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला का कहना है कि फीस तय करने के लिए प्रस्ताव पर निर्णय होना बाकी है।
दूसरे राज्यों से नहीं ले रहे हैं सबकः दो साल पहले निजी स्कूलों की मनमानी फीस पर लगाम लगाने के लिए भिलाई के स्वयंसेवी संगठन ने हाईकोर्ट में रिट दायर की थी। इस पर हाईकोर्ट ने राज्य शासन को फीस तय करने के लिए नियामक आयोग बनाने के आदेश दिए थे। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में यह व्यवस्था पहले से लागू है।
इंजीनियरिंग से ज्यादा इनकी फीस
मासूमों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए पालक खर्च में कटौती के साथ उधार लेकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इंजीनियरिंग कॉलेजों में अधिकतम फीस 57 हजार से लेकर 65 हजार रुपए प्रति वर्ष तक है। प्रदेश के 12 हजार निजी स्कूलों में 15 लाख से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।
अभी ऐसे ले रहे हैं फीस
स्कूल स्तर प्रति वर्ष फीस
हाई प्रोफाइल स्कूल - 60 हजार रुपये से एक लाख 50 हजार रुपये तक
मध्यम वर्ग के स्कूल - 20 हजार से 59 हजार रुपये तक
निम्न वर्ग के स्कूल - पांच हजार से 19 हजार रुपये तक