14 घंटे आठ मिनट की मैराथन बहस के बाद औंधे मुंह गिरा कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस का दिल बहलाऊ अविश्वास प्रस्ताव 14 घंटे आठ मिनट की मैराथन बहस के बाद रात सवा दो बजे औंधे मुंह गिर गया। सदन ने ध्वनिमत से अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया। वोटिंग की नौबत ही नहीं आई।
बहस के दौरान 90 सदस्यीय सदन में पांच सदस्य अनुपस्थित रहे। इनमें कांग्रेस के असंबद्ध विधायक अमित जोगी, कांग्रेस की रेणु जोगी, राजेंद्र कुमार राय तथा बसपा विधायक केशव चंद्रा व निर्दलीय डॉ. विमल चोपड़ा सदन में उपस्थित नहीं थे। राज्य में महज चार महीने (नवंबर) में विधानसभा चुनाव होने हैं।
इधर सदन में कम संख्या बल के बावजूद कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव लाया। छह महीने के भीतर यह दूसरा अविश्वास प्रस्ताव था। चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा यह सिद्घांतहीन, दिशाहीन, योजनाहीन है। यह अविश्वास परास्त है।
मानसून सत्र के अंतिम दिन नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने सदन में अविश्वास प्रस्ताव रखा। यह सत्र छत्तीसगढ़ की मौजूदा विधानसभा (चतुर्थ) का अंतिम सत्र है। अगला सत्र चुनाव के बाद होगा। विपक्ष ने 15 बिंदुओं का आरोप पत्र सदन पटल पर रखा। संख्या बल के आधार पर इस प्रस्ताव का गिरना तय था।
कांग्रेस ने भी अविश्वास प्रस्ताव की भूमिका में लिखा है कि संख्या बल में हम कम हैं। लेकिन इसका मकसद इस भ्रष्ट, कमीशनखोर, वादे को चुनावी जुमला कहने वाली पार्टी को सचेतन करना ही नहीं हटाना भी है। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत विपक्ष से धनेन्द्र साहू ने किया। वहीं, सरकार की तरफ से पहला हमला राजस्व मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय ने बोला। दोपहर 12.05 शुरू हुई यह चर्चा आधी रात बाद करीब दो बजे तक चलती रही।
पिछले 14 साल में विपक्ष की भूमिका ठीक से निभाने में कांग्रेस फेल रही है। एक भी मंत्री पर पर सबूत के साथ आरोप नहीं लगाया गया। तीन पारी में पांच बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। कांग्रेस छह महीने पहले अविश्वास प्रस्ताव लाई थी। यह जनता को भ्रमित करने का एक षड्यंत्र था जो बिखर गया।
लोकतंत्र का मजाक जनता बर्दाश्त नहीं करती है। जैसे कांग्रेस सिकुड़ रही है वैसे वैसे ही अविश्वास प्रस्ताव के बिंदु सिकुड़ गए हैं। पिछले अविश्वास प्रस्ताव में 136 बिंदु थे, इसबार 15 रह गए हैं। तीन बार सरकार बनी तो एक आधार खड़ा हो गया है। चौथी चौथी बार सरकार बनेगी तो बुलंद इमारत खड़ी हो जाएगी। छत्तीसगढ़ को एक ऐसा राज्य बनाएंगे जो देश के सभी राज्यों का रिकॉर्ड तोड़ेगा। हम 15 साल और बेहतर बनाने के लिए लेंगे।- डॉ. रमन सिंह, मुख्यमंत्री
चुनाव के समय वाली सरकार
यह सरकार चुनाव के समय वाली सरकार बन गई है। हर चीज चुनाव के समय बांटने की बात करती है। चुनाव के बाद सब बंद। जनता भी समझ रही है आपकी नीति को। केदार कश्यप ने जिस भाषा में दिग्विजय सिंह के बारे में बात की वो इस सरकार की भावना को प्रकट करती है कि सरकार का दंभ कितना अधिक है। नक्सल मुद्दे पर अब सुनने को आ रहा है कि सरकार नक्सलियों से बात करने की तैयारी कर रही है। बातचीत के चैनल खोलने की तैयारी है। इतने समय की सरकार की सोच इतनी सीमित हो सकती है। - टीएस सिंहदेव, नेता प्रतिपक्ष