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फिर मैली हो गई गंगा नदी, बिना उपचारित नालों का कचरा-गंदगी जा रहा नदी में, संगम का पानी काला और....
फिर मैली हो गई गंगा नदी, बिना उपचारित नालों का कचरा-गंदगी जा रहा नदी में, संगम का पानी काला और….
गंगाजी के संगम घाट की मुख्य धारा को छोड़कर पूरा पानी काला दिख रहा है। वही माघ मेला नजदीक है। इसके बाद भी प्रशासन व्यवस्था बनाने की ओर ध्यान नही दे रहा है। प्रशासनिक अमला आंकडे और रिपोर्ट के कगज पेश कर यह जताने का प्रयास कर रह है कि गंगाजी का पानी पूरी तरह स्वच्छ, सुद्ध है।
लेकिन हकीकत की बात की जाय तो गांगा जी का पानी न नहाने लायक है और न ही घर ले जाने लायक। कहा तो यहां तक जाता है कि इस समय गांगा जल की जो हालत है उससे आचमन तक नही किया जायेगा।
गंगा में प्रदूषण की जानकारी पीएमओ और केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को होने के बाद जानकारी मांगी गई। जिसके बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ने आंकडों की जानकारी देते हुए बीओडी मानक के अनुरूप बता रही है। लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है। स्थानीय लोगों की माने तेा शहर के रसूलाबाद, सलोरी, दारागंज, नैनी, झूंसी, फाफामऊ में नालों का पानी सीधे गंगा जी में पहुंच रहा है।
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वही अगर गंगाजी के घाट पर रहने वाले पंडा पुजारियों की माने तो पिछले वर्ष गंगा जी का पानी इस तरह नही था। आज हालत यह है कि संगम के पहले की मुख्य धार को छोडकर पूरा पानी काला दिख रहा है। जहां नहाना या फिर श्रद्धा से घर ले जाने का मन नहीं करता है।
गंदा पानी गंगा को मैला कर उसका रंग बदल रहा है। मेला क्षेत्र स्थित दारागंज में पांच छोटे नालों का गंदा पानी बिना उपचारित किये सीधे गंगा में गिराया जा रहा है। वहीं संगम घाट के ठीक सामने नैनी के अरैल तट के बगल एक बड़ा नाला गंगा को मैला कर रहा है। गंगा जी के जल को प्रदूषित करने में इन नाला के पानी का बहुत बडा योगदान है।