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एमपी के पन्ना में कुर्सी में बैठा कर प्रसव पीड़िता को पार करवाया गया दलदल युक्त मार्ग, बच्चा पेट में फंसने से जान पर बन आई

MP Panna News: देश में आजादी के 75 वर्ष बाद भी कई गांव ऐसे हैं जो कि मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। स्थिति यह है कि आज भी जिले के कई गांवो में पेयजल, बिजली और सड़क की समस्या मौजूद है। बरसात के मौसम में तो यह समस्या और भी अधिक चरम पर होती है। कुछ ऐसा ही अनुभव जिले के गुन्नौर विकासखंड और विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत विक्रमपुर के ग्राम ददोलपुर की रहवासी सोहद्रा आदिवासी और ग्रामीणों को हुआ। बताते हैं कि प्रसव से परेशान महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रामीणों ने महिला को एक कुर्सी में बैठाया, इसके बाद तकरीबन 2 किलोमीटर उसे उठा कर ले गए। इसके बाद जननी एक्सप्रेस के माध्यम से महिला को जिला चिकित्सालय ले जाया गया। इस दौरान महिला को असहनीय पीड़ा और वेदना का सामना करना पड़ा। पेट में बच्चा फंसने के कारण महिला और बच्चे की जान पर बनी रही। लेकिन दोनों को बचा लिया गया।
फंस गई थी जननी एक्सप्रेस
बताया गया है कि महिला को जैसे ही प्रसव पीड़ा शुरू हुई परिजनों द्वारा इस संबंध में जननी एक्सप्रेस को फोन किया गया। गांव के बाहर तक तो जननी एक्सप्रेस पहुंच गई, गांव के अंदर जाते हुए वाहन फंस गया। रास्ते में बहुत अधिक कीचड़ होने के कारण जननी एक्सप्रेस वाहन महिला के घर तक नही पहुंच पाया। ऐसी विषम परिस्थिति को देखते हुए ग्रामीणों ने एक नया तरीका निकाला और महिला को एक कुर्सी में बैठाकर कर तकरीबन दो किमी दूर खड़ी जननी एक्सप्रेस वाहन तक ले गए।
सड़क और पुल का निर्माण न होने के कारण बनी स्थिति
स्थानीय निवासी राहुल अहिरवार ने बताया कि यहां सड़क और पुल का निर्माण न होने के कारण हर वर्ष बरसात के मौसम में यह समस्या बनी ही रहती है। आवागमन पूरी तरह से ठप्प हो जाता है। नाले का जल बहाव हल्की बारिश में भी काफी तेजी के साथ होता है। जिसे पार करना किसी खतरे से कम नहीं होता। ग्रामीणों द्वारा समस्या के निराकरण को लेकर पूर्व में कई बार अधिकारियों को कहा गया, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।
वायदे तो किए, पर पूरा नहीं किया
ग्रामीणों की माने तो बरसात के मौसम में ग्रामीण पूरी तरह से अपने घरों में कैद हो जाते हैं। क्योंकि आवागमन का मार्ग पूरी तरह से ठप्प हो जाता है। अगर कोई गंभीर रूप से बीमार हो जाता है तो उसे चारपाई में लेटा कर दलदल युक्त सड़क पार कराना पड़ता है। बाइक और साइकिल से निकलना भी मुश्किल होता है। जनप्रतिनिधि चुनाव के समय बडे़-बडे़ वादे तो करते हैं, इसे पूरा करने की जहमत आज तक नहीं उठाई।