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- दुनिया के सामने हैरत...
पन्ना। इस निराली दुनिया में कुछ ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं जिसे देख एवं सुनकर मनुष्य अचंभित हो जाता है। ऐसा ही हैरत अंगेज करने वाला नजारा इन दिनों पन्ना टाइगर रिजर्व में देखने को मिल रहा है। आपको बता दें कि चार शावकों की मां बाघिन पी.213 की गत 15 मई को असमय मौत हो गई जिससे नन्हे शावक बेसहारा हो गए।
इन शावकों की सुरक्षा व उनके भविष्य को लेकर हर कोई चिंतित था। लेकिन प्राकृतिक आचरण से हटकर इन शावकों का पिता नर बाघ पी.243 नन्हे शावकों की न सिर्फ रखवाली करता है अपितु उनका पालन-पोषण भी कर रहा है। आमतौर पर जो कहीं भी देखने और सुनने को नहीं मिला। वह पन्ना टाइगर रिजर्व में साकार हो रहा है। अनूठे प्रयोगों के लिए भी पन्ना टाइगर रिजर्व देश व दुनिया में जाना जाता है।
अनूठे प्रयोगों की कहानी गढ़ रहा पन्ना टाइगर रिजर्व
पन्ना टाइगर रिजर्व देश व दुनिया में बाघ पुनर्स्थापना योजना की चमत्कारिक सफलता के साथ-साथ अभिनव और अनूठे प्रयोगों के लिए भी जाना जाता है। यहां दो अनाथ बाड़े में पली हुई बाघिनों को जंगली बनाने में अद्भुत सफलता मिली थी। यह वन क्षेत्र दुनिया भर के वन्यजीव प्रेमियों तथा वन अधिकारियों के लिए एक ऐसा केंद्र बन चुका है, जहां आकर वे यहां की कामयाबी व अनूठे प्रयोगों को न सिर्फ देखते और समझते हैं बल्कि अध्ययन भी करते हैं। अभी हाल ही में गत 15 मई को पन्ना टाइगर रिजर्व की 6 वर्षीय युवा बाघिन की अज्ञात कारणों के चलते मौत हो गई थी। इस बाघिन के चार नन्हे शावकों की जिंदगी में यह किसी वज्रपात से कम नहीं था। इन नन्हे शावकों की सुरक्षा, संरक्षण तथा उनके भविष्य को लेकर पार्क प्रबंधन असमंजस की स्थिति में था।
बाघ को पहनाया गया रेडियो कॉलर
बाघिन की मौत के बाद अनाथ हो चुके शावकों के प्रति नर बाघ का अच्छा व सहयोगात्मक व्यवहार देखकर पार्क प्रबंधन ने बाघ पी.243 को रेडियो कॉलर पहनाकर सूझबूझ का परिचय दिया है। ऐसा करने से न सिर्फ नर बाघ पी.243 की मानिटरिंग हो रही है, बल्कि उसके साथ रह रहे चारों शावकों पर भी नजर रखी जा रही है। यदि सब कुछ सामान्य रहा और आने वाले तीन.चार माह तक नर बाघ इसी तरह शावकों की देखरेख करता रहा, तो शावक एक वर्ष के होने पर खुद ही शिकार करने व स्वतंत्र रूप से अपना जीवन जीने में सक्षम हो जाएंगे।
चमत्कार देखने को मिल रहा
क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा बताते हैं कि बाघिन की मौत के बाद से नर बाघ उसी इलाके में हैं जहां चारों शावक हैं। नर बाघ यह एरिया छोड़कर कहीं भी अन्यत्र नहीं गया। सबसे ज्यादा हैरत वाली बात यह है कि शावक भी नर बाघ के साथ सहज रूप से चहल.कदमी कर रहे हैं तथा उसके पीछे.पीछे घूमते और टहलते हैं। नर बाघ न सिर्फ शावकों की देखरेख कर रहा है, बल्कि उनके लिए खाने का भी प्रबंध करता है।
श्री शर्मा बताते हैं कि आमतौर पर नर बाघों में इस तरह का व्यवहार देखने को नहीं मिलता। बाघों की जीवनचर्या व खुले जंगल में उनके व्यवहार पर जो भी शोध व अध्ययन हुए हैं, कहीं भी यह बात निकलकर नहीं आई कि मां की मौत होने पर अनाथ शावकों की देखरेख नर बाघ करता हो। लेकिन पन्ना में यह चमत्कार देखने को मिल रहा है। फील्ड डायरेक्टर उत्तम कुमार शर्मा यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि मैंने वन्यप्राणी शोध में कहीं भी ऐसा व्यवहार नहीं देखा ।