पन्ना

हीरा की नगरी में केंद्रीय जेमोलाॅजी शैक्षणिक संस्थान खोलने की मांग

News Desk
6 March 2021 10:32 AM GMT
हीरा की नगरी में केंद्रीय जेमोलाॅजी शैक्षणिक संस्थान खोलने की मांग
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पन्ना। हीरा की नगरी में जेमोलाॅजी पर केंद्रित शैक्षणिक संस्थान खोलने की मांग उठ रही है। सदियों से पन्ना की खदानों से हीरा निकाला जाता रहा है जो आज भी जारी है। लेकिन इसका अपेक्षित लाभ पन्ना को नहीं मिला। मौजूद समय पन्ना में डायमंड म्यूजियम खोले जाने की खासी चर्चा है, म्यूजियम खोलना अच्छी बात है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।

पन्ना। हीरा की नगरी में जेमोलाॅजी पर केंद्रित शैक्षणिक संस्थान खोलने की मांग उठ रही है। सदियों से पन्ना की खदानों से हीरा निकाला जाता रहा है जो आज भी जारी है। लेकिन इसका अपेक्षित लाभ पन्ना को नहीं मिला। मौजूद समय पन्ना में डायमंड म्यूजियम खोले जाने की खासी चर्चा है, म्यूजियम खोलना अच्छी बात है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।

पन्ना में ऐसे शिक्षण संस्थान खुलने चाहिए जिससे यहां हीरा व्यवसाय को बढ़ावा मिले तथा रोजी रोजगार के नए अवसर पैदा हों। इसके लिए जेमोलॉजी पर केंद्रित शैक्षणिक संस्थान की स्थापना उपयोगी साबित होगी। क्योंकि यहां पर हीरा निकलता है इसलिए पन्ना इसके लिए उपयुक्त स्थल है। बताया गया है कि रत्नों की पहचान करना, मूल्यांकन करना रत्नों की कटिंग, छआई, ग्रेडिंग, वैल्यूएशन, डिजाइनिंग आदि जेमोलाॅजी के अंतर्गत आता है।

बाघ पुनर्स्थापना रिसर्च सेंटर की मांग

बाघ पुनर्स्थापना योजना को कामयाबी दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर श्रीनिवास मूर्ति भी इस बात के पक्षधर हैं। उनका कहना है कि पन्ना में बाघ पुनर्स्थापना सेंटर के साथ.साथ वन अधिकारियों के प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना होनी चाहिए। ऐसा होने से पन्ना की जहां एक नई पहचान बनेगी वहीं रोजी रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा। इस जिले का 45 फीसदी से भी अधिक हिस्सा वनों से आच्छादित है तथा यहां की रत्नगर्भा धरती से बेशकीमती हीरे निकलते हैं। यहां के भव्य प्राचीन मंदिर व प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर मनोरम स्थल हर किसी का मन मोह लेते हैं।

वन्य प्राणियों के अस्तित्व को खतरा

पन्ना जिले ने यदि इतना बड़ा वन क्षेत्र व बेहतर पर्यावरण दिया है तो इसके बदले में पन्ना को भी प्रतिफल मिलना चाहिए। अन्यथा लाख प्रयासों के बावजूद न तो जंगल बचेगा और ना ही जंगल में विचरण करने वाले वन्य प्राणी। यदि सरकार पन्ना जिले में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग नहीं लगा सकती तो कम से कम इसे एजुकेशन हब के रूप में तो विकसित किया ही जा सकता है। यहां की प्राकृतिक आबोहवा और शांतिपूर्ण वातावरण शैक्षणिक गतिविधियों के लिए अनुकूल है। इसके अलावा पर्यटन के विकास को बढ़ावा देकर स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान किए जा सकते हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ पुनर्स्थापना योजना को मिली ऐतिहासिक कामयाबी को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि यहां पर बाघ पुनर्स्थापना का रिसर्च सेंटर खुले ताकि यहां के अनुभवों का लाभ पूरे देश के टाइगर रिजर्वों को मिल सके।

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