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मध्यप्रदेश के रीवा की रहने वाली है अवनी चतुर्वेदी, पहली महिला फाइटर पायलट, अकेले ही उड़ाया था मिग-21 लड़ाकू विमान

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 11:43 AM IST
मध्यप्रदेश के रीवा की रहने वाली है अवनी चतुर्वेदी, पहली महिला फाइटर पायलट, अकेले ही उड़ाया था मिग-21 लड़ाकू विमान
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रीवा। अगर कुछ चाहिए, तो मत कर, रख हिम्मत और फैसला कर, पंख नहीं तो हौसलों से उड़ान भर.....ये लाइनें बिल्कुल सटीक बैठती हैं मध्यप्रदेश के रीवा शहर में रहने वाली फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी। समाज में लड़कियों को अभी कई जगहों पर बेचारी कहकर पुकारा जाता है लेकिन वहीं कुछ घऱ ऐसे भी है जहां उन्हे बराबर का दर्जा प्राप्त है। यहीं से निकली हैं अवनी जैसी लड़कियां।

मिग-21 से भरी थी उड़ान

फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी ने अकेले फाइटर जेट में पहली बार उड़ान भरी थी। जिसके बाद वे ऐसा करने वाली देश की पहली महिला बन गई थीं। मूलत: मध्यप्रदेश के रीवा की रहने वाली अवनी गुजरात के जामनगर एयरबेस से रूस में बने मिग-21 में उड़ान भरी थी। अवनी ने बीटेक में 88% नंबर लाकर आगे बढ़ने के सपने को बड़ा कर लिया था। इसके बाद उन्हें आईबीएम में जॉब मिल गई।

सबकुछ कुछ अच्छा चल रहा था तभी अवनी का महज 6 महीने बाद ही उसका एयरफोर्स में सलेक्शन हो गया। अवनी हमेशा अपनी मम्मी से एक बी बात कहती थी कि 'मम्मी अगर पायलट बनने का मौका नहीं मिला और ग्राउंड स्टाफ के लिए रखा गया तो एयरफोर्स छोड़ दूंगी।' लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उन्होंने सफलता के कदम चूम लिए।

पंछी की तरह उड़ना चाहती अवनी

अवनी के पिता एग्जीक्यूटिव इंजीनियर हैं। इस जांबाज के भाई भी आर्मी में कैप्टन हैं। वहीं, चाचा सहित परिवार के कई सदस्य आर्मी के जरिए देशसेवा में जुटे हैं। इंडियन एयरफोर्स में शामिल होने के बाद अवनी ने बताया था कि इस वजह से उसने आर्मी की लाइफ को करीब से देखा है और उसे यह लाइफ पसंद है। अवनी बचपन से ही पंछी की तरह उड़ना चाहती थी। उन्होंने घर में बिना किसी को बताए एयरफोर्स के लिए आवेदन दिया हैं। उसका चयन होने पर ही परिजनों को इस बारे में जानकारी मिली थीं।

कल्पना चावला को मानती हैं आदर्श

अवनी कल्पना चावला को अपना आदर्श मानती हैं। कल्पना चावला की स्पेसशिप क्रैश में मौत का खबर को टीवा पर देखकर उनकी मां रोने लगी थीं तब अवनी ने कहा था कि मां रोइए मत। मैं अगली कल्पना चावला बनूंगी। आखिरी उन्होंने इस सपने को सच कर दिखाया। बेटी की इस कामयाबी के पीछे मां अपने बेटे और अवनी के भाई को प्रेरणा बताती है। अवनी की तरह उनके भाई ने भी आर्मी के जरिए खुद को देशसेवा के लिए समर्पित कर दिया है।

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