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पहलवान सड़क में प्रदर्शन क्यों कर रहे? WFI अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर क्या आरोप हैं?

पहलवान सड़क में प्रदर्शन क्यों कर रहे? WFI अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर क्या आरोप हैं?
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रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brijbhushan singh) के खिलाफ पहलवानों का धरना

बृजभूषण शरण सिंह पर क्या आरोप हैं: भारत के लिए मेडल जीतकर लाने वाले पहलवान इस वक़्त दिल्ली में धरना देने को मजबूर हो गए हैं. रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) के खिलाफ पहलवान प्रदर्शन कर रहे हैं. उनके खिलाफ सबसे पहले धरना विनेश फोगट और साक्षी मलिक ने दिया था जिसके बाद एक-एक करके सभी रेसलर और उसके बाद कई एथिलिट्स और स्पोर्ट्स पर्सनालिटीज इस प्रदर्शन में शामिल होने लगे.

दिल्ली के जंतर मंतर में एथिलीट WFI अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ फिर से धरने में बैठ गए हैं, लगभग दो महीने पहले भी यही खिलाडी इसी मामले को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन जब सरकार ने मामले की जांच करने के लिए कमेटी बनाई और 4 हफ्तों का वक़्त मांगा तो प्रदर्शन रोक दिया गया. मगर 4 हफ्ते कब के बीत गए लेकिन अबतक जांच रिपोर्ट सामने नहीं आई. इस धरने में साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया जैसे कई पहलवान प्रदर्शन कर रहे हैं

WFI के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर क्या आरोप हैं

बृजभूषण शरण सिंह WFI अध्यक्ष होने के साथ कैसरगंज लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद हैं. पहलवानों ने उनपर यौन शोषण के आरोप लगाए हैं और गिरफ़्तारी की मांग कर रहे हैं. यौन शोषण के अलावा उनपर तानाशाही और मनमानी के आरोप भी लगाए गए हैं. बता दें कि ओलंपियन विनेश फोगाट ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगाए हैं.

बता दें कि 21 अप्रैल को नाबालिग रेसलर समेत 7 महिला खिलाडियों ने भी उनके ऊपर दिल्ली पुलिस से शिकायत की गई थी. मगर उनकी शिकायत पर कोई केस दर्ज नहीं किया गया. जिसके बाद खिलाडी कोर्ट चले गए. अदालत इस मामले की सुनवाई करने के लिए 28 अप्रैल की तारीख दी थी

आरोपों पर बृजभूषण सिंह क्या कहते हैं

अपने ऊपर लगाए गए आरोपों पर बृजभूषण शरण सिंह ने एक वीडियो जारी कर सफाई दी है. उन्होंने कविता पढ़ते हुए कहा- जिस दिन जीवन के हानि-लाभ पर उतरूंगा, जिस दिन संघर्षों में जाली लग जाएगी। जिस दिन जीवन की लाचारी मुझ पर तरस दिखाएगी, उस दिन जीवन से मृत्यु कहीं बढ़ जाएगी। मित्रों जिस दिन मैं अपने जीवन की समीक्षा करूंगा, क्या खोया, क्या पाया, और जिस दिन मैं महसूस करूंगा कि मेरे संघर्ष करने की क्षमता अब समाप्त हो गई है।

जिस दिन मैं महसूस करूंगा मैं लाचार हूं, मैं बेचारा हूं। ऐसी जिंदगी जीना मैं पसंद नहीं करूंगा और चाहूंगा ऐसी जिंदगी जीने के पहले कि मृत्यु मेरे करीब आ जाए।"




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