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Shailaja Paik: भारतीय-अमेरिकी प्रोफेसर शैलजा पाइक को दलित महिलाओं पर शोध के लिए मिला 6.7 करोड़ रुपये का 'जीनियस' ग्रांट

Shailaja Paik: भारतीय-अमेरिकी प्रोफेसर शैलजा पाइक को दलित महिलाओं पर शोध के लिए मिला 6.7 करोड़ रुपये का जीनियस ग्रांट
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भारतीय-अमेरिकी प्रोफेसर शैलजा पाइक को दलित महिलाओं पर शोध और लेखन के लिए मैकआर्थर फाउंडेशन से 6.7 करोड़ रुपये का प्रतिष्ठित 'जीनियस' ग्रांट प्राप्त हुआ है। उनका कार्य जातिगत भेदभाव और दलित महिलाओं के अनुभवों पर केंद्रित है।

भारतीय-अमेरिकी प्रोफेसर शैलजा पाइक को दलित महिलाओं पर शोध और लेखन के लिए मैकआर्थर फाउंडेशन द्वारा $800,000 (लगभग 6.7 करोड़ रुपये) का 'जीनियस' ग्रांट प्रदान किया गया है। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिया जाता है, जिन्होंने अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं या जिनमें असाधारण क्षमता है।

शैलजा पाइक वर्तमान में सिनसिनाटी विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर हैं और महिला, लिंग, और यौन अध्ययन तथा एशियाई अध्ययन के विभागों से भी जुड़ी हैं। उनका शोध कार्य विशेष रूप से दलित महिलाओं और जातिगत भेदभाव के इर्द-गिर्द घूमता है।

मैकआर्थर फाउंडेशन का बयान

फेलोशिप की घोषणा करते हुए फाउंडेशन ने कहा, "शैलजा पाइक अपने शोध के माध्यम से दलित महिलाओं के बहुआयामी अनुभवों को उजागर करती हैं और यह दिखाती हैं कि कैसे जातिगत भेदभाव और अछूतपन को बनाए रखने वाली शक्तियां आज भी प्रबल हैं।"

फाउंडेशन ने यह भी कहा, "पाइक का काम जातिगत प्रभुत्व के इतिहास को एक नया दृष्टिकोण देता है और यह बताता है कि किस प्रकार लिंग और यौनिकता का उपयोग दलित महिलाओं की गरिमा और व्यक्तित्व को नकारने के लिए किया जाता है।"

शैलजा पाइक कौन हैं?

Who is Shailaja Paik: नेशनल पब्लिक रेडियो (NPR) को दिए एक साक्षात्कार में शैलजा पाइक ने बताया कि वह दलित समुदाय से आती हैं और महाराष्ट्र के पुणे में एक झुग्गी क्षेत्र में पली-बढ़ी हैं। उनके पिता की शिक्षा के प्रति समर्पण ने उन्हें प्रेरित किया। उन्होंने सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री प्राप्त की और बाद में पीएचडी के लिए ब्रिटेन की वारविक विश्वविद्यालय गईं।

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