सरबत खालसा क्या है? जिसकी मांग अमृतपाल सिंह कर रहा है
What is Sarbat Khalsa: पंजाब से भागा खालिस्तानी अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) ने सरबत खालसा की मांग उठाई है. उसने अपना वीडियो सोशल मीडिया में शेयर किया है जिसमे वह सरबत खालसा के गठन की बात कर रहा है. पंजाब पुलिस ISI से ट्रेनिंग लेकर पंजाब में आतंक फैलाने आए अमृतपाल सिंह की तलाश 13 दिन से कर रही है. लेकिन वह पंजाब में ही छिपा बैठा है और वीडियो बनाकर पुलिस को खुल्ला चैलेंज कर रहा है. बुधवार को जारी किए अपने वीडियो में अमृतपाल सिंह ने कहा- पुलिस उसका बाल भी बांका नहीं कर सकती
अमृतपाल सिंह का वीडियो
#BREAKING: Khalistani Radical Amritpal Singh releases a new video from hiding in Punjab. Requests Jathedar of Akal Takht to call Sarbad Khalsa (congregation of Sikhs) to discuss issues to save Punjab. Dares Punjab CM Bhagwant Mann and Punjab Police.
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) March 29, 2023
pic.twitter.com/vhcDN1lBaE
Video Of Amritpal Singh: मंगलवार को अमृतपाल सिंह होशियारपुर में देखा गया था. लेकिन पुलिस उसे पकड़ नहीं पाई. इसके बाद बुधवार को अलगे दिन अमृतपाल ने एक वीडियो उपलोड किया, जिसमे उसने पंजाबी भाषा में पुलिस, सरकार, खालिस्तान और सरबत खालसा के बारे में बातें कही, उसने बैसाखी में सरबत खालसा बुलाने की मांग उठाई है.
अमृतपाल ने वीडियो में क्या कहा
अमृतपाल ने अपने वीडियो में कहा-
- मेरी गिरफ़्तारी कोई मसला नहीं है, ना मुझे गिरफ़्तारी देने में डर लगता है. सरकार मुझे गिरफ्तार करना चाहती तो घर से कर लेती। पुलिस मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकती, मैं तो बिलकुल ठीक हूं
- उसने सिक्खों को उकसाने के लिए कहा- उन्हें एकसाथ आकर अन्याय के खिलाफ लड़ना होगा, सिखों को इस बड़े मकसद के लिए साथ आना चाहिए। सरकार ने सिख महिलाओं और बच्चों पर कई अत्याचार किए हैं
- सरकार ने अकाल तख़्त के अल्टीमेटम को नहीं माना, इसपर जत्थेदार को स्टैंड लेना चाहिए और सरबत खालसा में भाग लेना चाहिए। जत्थेदार को 13 अप्रैल को तलवंडी साबो स्थित दमदमा साहिब में सरबत खालसा बुलाना चाहिए
सरबत खालसा क्या है?
What Is Sarbat Khalsa: खालसा का मतलब होता है सिख और सरबत का मतलब सभी, तो इसका मतलब है सभी सिखों की सभा. खालसा सरबत की शुरुआत 16वीं शताब्दी में गुरुरामदास के समय शुरू हुई थी. इसमें सिख समुदाय के लोग इकठ्ठा होते थे. धीरे-धीरे खालसा सरबत राजनीति में हो रहे बदलाव के लिए चर्चा का केंद्र बन गया था.
1716 में तब बंदा सिंह बहादुर शहीद हुए तो खालसा आपस में बिखर गए. सेना नायक को खोने के बाद मुग़लो का कहर बढ़ने लगा. मुग़लों द्वारा किए जा रहे नरसंहार से मोर्चा लेने के लिए 'दल खालसा' का गठन हुआ. जो अगर जाकर तरुण बुड्ढा दल बन गया और यही सिख मिलस यानी सिखों की मिलिट्री यूनिट बनने की शुरुआत हुई
18वीं शताब्दी में गुरु गोबिंद सिंह के निधन के बाद सिख मिलिट्री यूनिट के लिए सरबत खालसा को बुलाना शुरू किया गया. युद्ध की रणनीति बनाने के लिए यह सभी लोग खालसा तख़्त पर मिलते थे. सिख साम्राज्य के संस्थापक महाराजा रणजीत सिंह ने 19वीं सदी में सरबत खालसा बुलाने की प्रथा को समाप्त कर दिया गया था
आखिरी बार सरबत खालसा कब हुआ
200 सालों तक सरबत खालसा नहीं बुलाया गया मगर ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) के बाद 26 जनवरी 1986 को खुलेतौर पर खसला सरबत बुलाया गया. स्वर्ण मंदिर में हुए इस सरबत खालसा में यह फैसला लिया गया कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान क्षतिग्रस्त अकाल तख्त को कार सेवा के जरिए ही बनाया जाएगा। सरबत खालसा ने सिख स्वशासन के लिए संघर्ष करने का भी फैसला किया। उन्होंने अकाल तख़्त को पहुंचे नुकसान के बदले सरकारी पैसों से पुनर्निर्माण के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.