खाली पड़ी दुकान में लगवाना चाहते है SBI का एटीएम, तो जान लें क्या है नियम
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ग्राहकों का खास ख्याल रखता हैं। बैंक के कस्टमर्स को लेन-देन में दिक्कत न हो इसके लिए वह हर क्षेत्र में एटीएम खोल रखा हैं। एसबीआई के एटीएम आप भी जगह-जगह लगे हुए देखें होंगे। यह एटीएम बैंक परिसर अथवा दुकानों में लगे रहते हैं। बैंक प्रबंधन इन दुकानों को किराए पर लेकर एटीएम खोलता है। ऐसे में अगर आपके पास भी खाली जगह व दुकान पड़ी हैं तो वहां आप भी एटीएम लगवा सकता हैं। जिसके बदले आपको एक अच्छा किराया बैंक प्रबंधन द्वारा दिया जाता है। ऐसे में एटीएम लगवाने की क्या प्रोसेस है चलिए जानते हैं।
यह है एटीएम लगवाने की प्रक्रिया
अगर आप दुकान अथवा खाली पड़ी खुद की जगह में एसबीआई का एटीएम लगवाना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले आपको बैंक प्रबंधन से संपर्क करना होगा। बैंक के नियमानुसार आपको अपना आवेदन अपने क्षेत्र के एसबीआई व्यवसायिक कार्यालय में देना होगा। बैंक का कहना है कि आप अपने क्षेत्र के RBO का पता https://bank.sbi/portal/web/home/branch-locator से प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा यह जानकारी नजदीकी शाखा से भी ली जा सकती है।
एटीएम लगवाने महत्वपूर्ण जानकारी
पृधान महादेव जो हम हमारी दुकान मै ATM लगवाना है कृपा कर आप आपना मार्ग दर्शन दे@TheOfficialSBI
— फूलसिह माली (@maliphool) September 1, 2021
अगर आप भी एटीएम से मोटी कमाई करना चाहते हैं तो आपके पास एक पर्याप्त जगह होनी चाहिए। यह जगह इतनी हो कि यहां एटीएम का सेटअप अच्छी तरह से किया जा सके। यह स्थान एक दुकान की साइज में भी हो सकता है। लेकिन यह दुकान एटीएम के हिसाब से थोड़ी बड़ी होनी चाहिए। इसके लिए आप सीधे बैंक से संपर्क करने के साथ ही कई एजेंसियां भी हैं जो एटीएम लगवाने का काम करती है। जिनसे आप संपर्क कर सकते हैं। इन एजेंसियों में टाटा इंडीकैश एटीएम, इंडिया वन एटीएम, मुथूट एटीएम जैसी कंपनियां शामिल हैं।
ऐसे होती है कमाई
एटीएम लगवाने पर दो तरह से कमाई होती है। एक डील में तो यह बात होती है कि आपको हर महीने के हिसाब से किराया दिया जाएगा। इसके अलावा एक कॉन्ट्रेक्ट डील भी की जाती है। जो कई कंपनियां ट्रांजेक्शन के आधार पर इस डील को करते हैं। उक्त एटीएम से जितने ज्यादा ट्रांजेक्शन होंगे, उतना ही फायदा मकान मालिक को दिया जाता है। ऐसे में महीने में हुए ट्रांजेक्शन के आधार पर किराए का भुगतान किया जाता है। इसके अलावा महीने का किराया लॉकेशन अथवा प्रोपर्टी की साइज आदि पर भी निर्भर करता है।