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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की दरियादिली: साउथ अफ्रीका में हुई थी बेटे की मौत, शव भारत लाने में लग रहें थें 28 लाख, मंत्री ने माफ़ कराया

Aaryan Puneet Dwivedi | रीवा रियासत
19 Aug 2021 5:04 PM IST
Updated: 2021-08-19 11:35:09
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की दरियादिली: साउथ अफ्रीका में हुई थी बेटे की मौत, शव भारत लाने में लग रहें थें 28 लाख, मंत्री ने माफ़ कराया
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२० दिन पहले देवाशीष की साउथ अफ्रीका में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी

साउथ अफ्रीका में केपटाऊन में नौकरी कर रहे 24 वर्षीय देवाशीष की हार्टअटैक से मौत हो गई. माता-पिता को उसका शव बुलवाने में 28 लाख का खर्चा आ रहा था. जिसे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने माफ़ कराते हुए, शव भारत बुलवाया है.

राजस्थान के धौलपुर में रहने वाले एक निम्न मध्यम परिवार को बहुत बड़ा सदमा लगा है. जब उन्हें लगा की बेटा विदेश में पैसे कमाने लगा है, अब उनकी आर्थिक स्थिति ठीक हो जाएगी तब बेटे को काल ने अपनी गाल में समा लिया. 20 दिन पहले साउथ अफ्रीका के केपटाउन में कृषि सलाहकार के रूप में काम कर रहे 24 वर्षीय देवाशीष सिंह परिहार की हार्टअटैक से मौत हो गई.

देवेंद्र सिंह परिहार के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया, उनका चिराग छिन गया. बेटे के मौत की खबर के बाद उन्हें एक और सदमा लगा, बेटे की बॉडी भारत आने में 28 लाख का खर्च बैठ रहा था, जिसे वे वहन नहीं कर सकते थें. इस पर अपने बेटे के आखिरी दर्शन की उनकी आखिरी उम्मीद भी ख़त्म होते नजर आ रही थी.

यह मामला केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास पहुंचा. मंत्री ने दरियादिली दिखाते हुए न सिर्फ देवाशीष का पार्थिव शरीर भारत लाने की व्यवस्था कराई, साथ ही लगने वाला 28 लाख का खर्च भी माफ़ करा दिया. वहीं मंत्री के प्रयास से बुधवार को केपटाउन से देवाशीष का पार्थिव शरीर दिल्ली आ गया.

देवाशीष के परिजन पहले ही वहां पहुँच गए थे. शरीर को एम्बुलेंस के मदद से धौलपुर लाया गया और अंतिम दर्शन के बाद अंतिम संस्कार किया गया. देवाशीष अपने माँ-पिता का एकलौता बेटा था.

देवाशीष परमार (24) साउथ अफ्रीका में कृषि सलाहकार के रूप में काम करने के लिए 2018 में गया था. उसके साथ उसके जिले के ही 2-3 और युवा थे. उन्होंने मिलकर साउथ अफ्रीका के कैपटाउन में काम शुरू किया.

ज्योतिरादित्य सिंधिया को धन्यवाद ज्ञापित किया

परिवार वालों का कहना है कि उनकी बस यही इच्छा थी कि एक आखरी बार बेटे का चेहरा देख लें. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से ही यह मुमकिन हो पाया. उन्होंने हरसंभव मदद की और उनके कारण ही बेटे का चेहरा देखना नसीब हो पाया.

Aaryan Puneet Dwivedi | रीवा रियासत

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