Uniform Civil Code In Hindi: समान नागरिक संहिता क्या है? आसान भषा में समझें
UCC In Hindi: समान नागरिक संहिता यानी Uniform Civil Code इस वक़्त देश का सबसे बड़ा मुद्दा है. केंद्र सरकार UCC को पूरे देश में लागू करने वाली है चूंकि यह भारतीय जनता पार्टी का प्रमुख एजेंडा रहा है. लेकिन कुछ दल और कुछ समुदाय समान नागरिक संहिता के खिलाफ हैं. जबकि वह देश को सेक्युलर राष्ट्र कहते हैं मगर उन्हें सेक्युलर कानून नहीं चाहिए।
समान नागरिक संहिता या समान आचार संहिता (Uniform Code Of Conduct) एक पंथनिरपेक्ष कानून (Secular Law) है. जो हर धर्म और पंथ के लोगों के समान रूप से लागु होता है. आसान भाषा में कहें तो अलग-अलग समुदाय या पंथ के लोगों के लिए अलग-अलग सिविल कानून का ना होना ही 'समान नागरिक संहिता' होता है. UCC धर्म या पंथ से जुड़े निजी कानून से ऊपर होता है.
भारत में यूनिफार्म सिविल कोड
Uniform Civil Code In India: कहने को भारत एक पंथनिरपेक्ष/धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है यानी Secular देश है. मगर यहां का कानून ही सेक्युलर नहीं है. भारत में अलग-अलग पंथ के लिए अलग-अलग कानून हैं. जैसे Hindu Law, Muslim Law, Sikh Law, Jain Law, Buddh Law, के लिए व्यक्तिगत कानून हैं मगर Muslim Law और Christen Law का अलग अपना कानून है. सिर्फ मुस्लिम लॉ ऐसा है जो शरीयत पर आधारित है जबकि अन्य धार्मिक समुदायों का लॉ संविधान पर बेस्ड है.
जब हिन्दू, जैन, बौद्ध, सिक्ख के लिए अलग कानून और मुसलमानों के लिए अलग कानून है तो देश और संविधान सेक्लुकार कैसे हो सकता है?
किन देशों में समान नागरिक संहिता लागू है?
Which countries have Uniform Civil Code: ऐसा करने वाले कई देश हैं और वह पूर्ण रूप से सेक्युलर हैं. जैसे अमेरिका, आयरलैंड, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान, इजिप्ट यहां तक की इस्लामिक देश पाकिस्तान में भी कहने को UCC है. हर देश का UCC उनके संविधान के अनुसार है.
भीमराव अंबेडकर समान नागरिक संहिता पर क्या कहते हैं
मैं व्यक्तिगत रूप से समझ नहीं पा रहा हूं कि किसी धर्म (मजहब) को यह विशाल, व्यापक क्षेत्राधिकार क्यों दिया जाना चाहिए। ऐसे में तो धर्म, जीवन के प्रत्येक पक्ष पर हस्तक्षेप करेगा और विधायिका को उस क्षेत्र पर अतिक्रमण से रोकेगा। यह स्वतंत्रता हमें क्या करने के लिये मिली है? हमारी सामाजिक व्यवस्था असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरी है। यह स्वतंत्रता हमे इसलिये मिली है कि हम इस सामाजिक व्यवस्था में जहाँ हमारे मौलिक अधिकारों के साथ विरोध है वहाँ वहाँ सुधार कर सकें। बीआर अम्बेडकर
संविधान में है लेकिन लागू नहीं है
UCC देश के संविधान के भाग 4 के अनुच्छेद 44 में है. जिसमे लिखा गया है कि समान नागरिक संहिता लागू करना भारत के संविधान का लक्ष्य है.
समान नागरिक संहिता से क्या लाभ होगा
खासरूप से मुस्लिम महिलाओं को उनका हक़ मिलेगा, जैसे पिता की संपत्ति में बराबरी का हक़, कानून द्वारा तय की गई शादी की उम्र में ही निकाह (अभी तो 15 साल की उम्र में मुस्लिम लड़कियों की शादी हो जाती है, जबकि 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ संबंध बनाना पाक्सो में आता है) मुसलमा पुरुषों की एक से ज़्यादा बार शादी करने का सिस्टम खत्म हो जाएगा इससे तलाक, ट्रिपल तलाक में कमी आएगी।
- नेता धर्म/पंथ के आधार पर वोट बैंक नहीं जुटा पाएंगे, वोटों का ध्रुवीकरण नहीं होगा
- हर व्यक्ति को एक ही कानून के तहत सज़ा और न्याय मिलेगा
- देश में एक ही कानून होने से जल्दी फैसले लिए जा सकेंगे
- किसी भी वर्ग के लोगों या महिलाओं के हक़ का हनन नहीं होगा
मुसलमानों को समान नागरिक संहिता से क्या दिक्क्त है
इस पंथ में महिलाओं को सेकेंड जेंडर माना जाता है. जैसे पुरुष एक से ज़्यादा शादी कर सकता है, पिता की संपत्ति में सिर्फ बेटे का अधिकार होता है. मुस्लिम लड़कियों की शादी शरीयत के हिसाब से 15 साल से कम उम्र में कर दी जाती है. और UCC लागू होगा तो ऐसा कुछ नहीं रह जाएगा
भारत में समान नागरिक संहिता कब लागू होगी
When Uniform Civil Code Will Implement In India: भारत के उत्तराखंड में UCC लागू हो चुका है, जो जल्द असम, गुजरात, महाराष्ट्र और बीजेपी शाषित राज्यों में लागु होगा। ऐसी उम्मीद है कि केंद्र में बीजेपी के रहते हुए लोकसभा चुनाव 2024 के पहले UCC पूरे देश में लागू होगा। पंडित नेहरू इस कानून के पक्ष में थे, लेकिन राजीव गांधी ने धार्मिक दवाब में इसे लागू नहीं होने दिया, कांग्रेस पार्टी UCC के खिलाफ बयान देती है.