UGC New Rules 2022: यूजीसी ने Phd को लेकर किया नियमों में बड़े बदलाव
दिल्ली- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने ने पीएचडी करने के नियमों में बदलाव किया है। इसी कड़ी में यूजीसी ने एडमीशन प्रोसेस, अर्हता शर्तों और मूल्यांकन को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। जिसके तहत यूजीसी ने पीएचडी के लिए एक नई श्रेणी जोड़ी है-पार्ट टाइम पीएचडी।
गौरतलब है कि यूजीसी द्वारा किए गए इस बदलाव का क्या परिणाम निकल कर सामने आता है इसका पता तो आने वाले समय में ही चल पाएगा। लेकिन इतना तो तय है कि पार्ट टाइम पीएचडी की शुरूआत जरूर बेहतर होगी। यूजीसी विशेषज्ञों की माने तो पार्ट टाइम पीएचडी का नाम ही उसे बेहतर बनाने के लिए काफी है। इसके नाम से ही अधिकतर लोग इसे करना चाहेंगे।
नियम और कौन कर सकेगा पार्ट टाइम पीएचडी
बताया गया है कि यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार वर्किंग प्रोफेशनल पार्ट टाइम पीएचडी कर सकेगा। इसके लिए फुल टाइम पीएचडी की शर्तों को पूरा करना होगा। किसी रिसर्च जर्नल में पेपर प्रकाशित करने और कान्फ्रेंस में प्रेजेंटेशन की शर्त खत्म कर दी गई है। चार साल के ग्रेजुएशन या 8 सेमेस्टर में कम से कम 75 प्रतिशत अंक होना अनिवार्य योग्यता मेंं शामिल किया गया है।
एक साल का पीजी कोर्स
यूजीसी ने पार्ट टाईम पीएचडी को लेकर जो दिशा निर्देश जारी किया है उसके अनुसार एक साल का पीजी कोर्स करना भी जरूरी होगा। हालांकि जिन विद्यार्थियांं ने पारंपरिक तीन साल का ग्रेजुएशन किया है, उन्हें यूजी के बाद दो साल का पीजी करना अनिवार्य होगा। अभी तक पीजी में 55 प्रतिशत वाले या एमफिल कर चुके विद्यार्थियांं का इंटरव्यू लेकर पीएचडी में एडमीशन मिल जाता था। अब संस्थानां को छूट होगी कि वह चाहे तो नेट-जेआरएफ या अलग प्रवेश परीक्षा के जरिए दाखिला दें। प्रवेश परीक्षा में विद्यार्थियां से 50 फीसदी सवाल विषय शोध प्रक्रिया पर और 50 फीसदी सवाल विषय विशेष पर पूछे जाएंगे। 70 फीसदी वेटेज परीक्षा और 30 फीसदी वेटेज इंटरव्यू का होगा।