स्मृति से ऐसे बनी ईरानी, Smriti Irani ने संघर्ष से पाया नाम और राजनीति का यह मुकाम, जानिए!
नई दिल्ली। कहते है संघर्ष करने वालों की कभी हार नही होती और ऐसा ही संर्घष भरा सफर तय करते हुए स्मृति ईरानी (Smriti Irani) आज केन्द्र सरकार की मंत्री है। आईए जानते है इस बीच उन्होने कैसा सफर तय किया।
दिल्ली में हुआ था जन्म
स्मृति का जन्म दिल्ली में हुआ था। उनके पिता पंजाबी और मां असमिया थी। उनके घर की स्थित ठीक नही थी। घर चलाने के लिए पिता कुरियर कंपनी चलाते थे। स्मृति ने स्कूल की पढ़ाई तो पूरी की लेकिन बी-कॉम की पढ़ाई को वो छोड़कर होटल में वेट्रेस काम करती थी।
स्मृति पिता की मदद के लिए दिल्ली में ब्यूटी प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग करने लगीं। इसी बीच वे अपनी किस्मत को अजमाने के लिए मुंबई आ गईं। 1998 में उन्होंने मिस इंडिया के लिए ऑडिशन दिया और सलेक्शन हो गया लेकिन पिता ने कॉन्टेस्ट में भाग लेने से मना कर दिया। आखिर में मां ने साथ दिया। स्मृति कॉन्टेस्ट में फाइनल तक पहुंचीं, लेकिन जीत नहीं पाईं। पैसो की समस्या को देखते हुए उन्होने जेट एयरवेज में फ्लाइट अटैंडेंट पद के लिए अप्लाई किया, लेकिन सिलेक्शन नहीं हुआ। कई मॉडलिंग ऑडिशन में भी रिजेक्ट हुईं। इसके बाद उन्होंने एक प्राइवेट नौकरी की।
फिर ऐसे चमकी किस्मत
क्योंकि सास भी कभी बहू थी' (2000-08) में तुलसी विरानी का रोल कर अपना नाम कमाने वाली स्मृति ईरानी ने एक बार बताया कि कभी उन्हें फिट न होने की वजह से एकता कपूर की टीम ने रिजेक्ट कर दिया था। तब एकता कपूर ने उन्हें सपोर्ट करते हुए शो में मेन रोल दिया था जिसके बाद स्मृति की किस्मत बदल गई।
जुबिन से शादी कर बनी ईरानी
वर्ष 2001 में उन्होने जुबिन ईरानी से शादी की, तब से वे स्मृति ईरानी के नाम से जानी जाने लगीं। उन्होने एक बेटा और एक बेटी को जन्म दिया, जबकि उनकी एक सौतेली बेटी भी है शनेल। शानेल जुबिन और उनकी पहली पत्नी मोना की बेटी हैं।
राजनीतिक में पाया मुकाम
स्मृति ईरानी में कदम रखा और दो बार वे चुनाव भी हारी, लेकिन वे राजनीति में हार नही मानी। दरअसल बचपन से आरएसएस का हिस्सा रही हैं। उनके दादाजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक थे और मां जनसंघी। 2003 में उन्होने भाजपा ज्वाइन कर ली। स्मृति 2004 में महाराष्ट्र यूथ विंग की वाइस-प्रेसिडेंट बनीं।
पहली बार दिल्ली से लड़ा था चुनाव
2004 में दिल्ली की चांदनी चौक सीट से कांग्रेस के कपिल सिब्बल के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ीं और इस चुनाव में हार गई थी। 2010 में स्मृति बीजेपी की राष्ट्रीय सचिव और महिला विंग की अध्यक्ष बनीं। वर्ष 2014 में यूपी की अमेठी सीट से राहुल गांधी के खिलाफ लोकसभा लड़ी और एक बार फिर उन्हे हार का स्वाद चखना पड़ा। इसके बावजूद मोदी ने इन्हें केंद्रीय मानव संसाधन और विकास मंत्री बनाया। वर्तमान में ये केंद्रीय टेक्सटाइल मिनिस्टर हैं।