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जौहर का इतिहास जान खड़े हो जाएंगे आपके रोंगटे, आइए जाने!

जौहर का इतिहास जान खड़े हो जाएंगे आपके रोंगटे, आइए जाने!
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जौहर के इतिहास के बारे में जान आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे.

Jauhar ka itihas, Jauhar kab manaya jata hai, Jauhar kab hua tha: आमतौर पर समूचे बघेलखंड और बुंदेलखंड में महिलाओं के लिए कहा जाता है कि तुमने तो जौहर कर दिया। यह बात आमतौर पर विवाद की स्थिति पर कहा जाता है। लेकिन उन्हे इस जौहर के बारे में कुछ ज्यादा पता नही होता है। वह केवल कलह के जौहर कहा देती है। जौहर का वास्तविक अर्थ अगर समझ में आ जाए तो फिर यह कहना तो दूर इसके बारे में सोचना भी नही चाहेंगी। क्योंकि जिन महिलाओं ने जोहर किया था उनका नाम इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में वीरांगनाओं में लिखा गया है। वह कोई साधारण महिला नहीं थी।

बहुत पुराना है इतिहास

जौहर का इतिहास बहुत पुराना बताया गया है। बताया जाता है कि जब राजा की युद्ध में हार निश्चित हो जाती थी या राजा वीरगति को प्राप्त हो जाता था तब वहां की रानियां जौहर करती थी। किले के अंदर बड़े-बड़े कुंड बने हुए थे। जौहर के समय इन कुडो में अग्नि प्रज्वलित की जाती थी। महिलाएं इस जलती कुंड में कूदकर अपने प्राण दे दिया करती थी। यह बडे ही शाहस की बात होती है। जब महिलाएं जौहर करती है।

क्यों करती थी जौहर

जानकारी के अनुसार महिलाएं अपने सम्मान की रक्षा के लिए जौहर किया करती थी। बताया जाता है कि जब राजा युद्ध हार जाते थे तो उस समय विजय प्राप्त करने वाला राजा किले में प्रवेश कर रानियों तथा अन्य महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किया करते थे। ऐसे में देश की वीरांगनाएं अपनी इज्जत सम्मान की रक्षा के लिए जौहर करती थी।

क्या है जौहर का इतिहास

अगर जौहर के इतिहास के संबंध में नजर डाली जाए तो पता चलता है कि जोहर का इतिहास 1301 ईस्वी के पूर्व का बताया जाता है। कई बार लोग 336 ईसा पूर्व भारत का प्रथम जोहर बताते हैं।

बताया जाता है कि भारत में प्रथम जौहर 1301 ईस्वी में हुआ था। उस समय दिल्ली में अलाउद्दीन खिलजी का शासन था। इस युद्ध में राणा रतन सिंह पराजित हो गए। इसके पश्चात महारानी पद्मिनी ने अपने सील की रक्षा के लिए जौहर किया था।

वही दूसरे जौहर के संबंध में पता चलता है कि यह चित्तौड़ में 8 मार्च 1535 को हुआ था। जिसमें चित्तौड़ की महारानी कर्णावती ने 13000 नारियों के साथ जलते हुए आग के कुंड में कूद कर अपने प्राण दे दिए थे।

देश में तीसरा जौहर 1568 ईस्वी में हुआ। जिसमें फतेह सिंह चुंडावत की पत्नी फुलकवर मेड़तानी के नेतृत्व में महिलाओं ने जौहर किया था।

जोहर का यह भी था एक कारण

जोहर के संबंध में चर्चा करने पर ही रूह कांप जाया करती है। जीवित शरीर को अग्निकुंड को समर्पित करना कोई बच्चों का खेल नहीं है। इसमें बहुत ही साहस की आवश्यकता होती है। साथ ही इसके पीछे कारण भी उतने ही ज्वलंत होते हैं।

मुगल शासक करते थे अपमान

बताया जाता है कि जब राजा खास तौर पर मुगल शासक युद्ध में विजय प्राप्त करने के पश्चात किले में प्रवेश करते थे तो वह महारानी के साथ ही सुंदर सुंदर औरतों पर अपना कब्जा चाहते थे। इसके लिए वह महिलाओं का अपमान भी किया करते थे। लेकिन इसके पूर्व वह सभी स्त्रियां या तो जहर खाकर प्राण दे देती थी या फिर जौहर कर लेती थी।

करते थे क्रूरता

इतिहास में ऐसे भी हमलावर मुगल शासक हुए हैं जिन्होंने विजय के पश्चात जब किले में कब्जा किया तो और रानी को मरा हुआ पानी पर गुस्से से पागल हो जाते थे। कई बार तो यह भी बताया गया है कि उस मृत शरीर के साथ क्रूरता की जाती थी।

कई बार मृत शरीर के शरीर के अंगों को काट डाला जाता था। यह तब होता था जब महिलाएं तथा महारानियां जहर खाकर अपना प्राण देती थी। ऐसे में महिलाओं ने अपने शरीर को समूल पंचतत्व में विलीन कर देने जौहर करने लगी।

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