एमएसपी पर कांग्रेस और बीएसपी सांसदों के सवाल का सरकार ने दिया जवाब, किसान संगठन आंदोलन के मूड में
लंबे समय तक चले किसान आंदोलन और बड़ी मन-मनौवत के बाद आंदोलन समाप्त हुआ था। उस समय एमएसपी को लेकर कानून बनाने की मांग किसान नेता करते रहे जिसके लिए आश्वासन दिया गया था। लेकिन हाल के दिनों में लोकसभा में कांग्रेस और बीएसपी सांसदों ने लिखित सवाल किया था कि क्या केंद्र सरकार एमएसपी की गारंटी और उसके विस्तार के लिए सरकार कानून बना रही है। लेकिन इस पर संतोषजनक जवाब न मिलने पर किसान संगठन पुनः आंदोलन की बड़ी रणनीति बनाने में जुट गए हैं।
क्या मिला जवाब
जानकारी के अनुसार किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी दिलाने के लिए सरकार ने कमेटी गठित कर दी है। फिर भी किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं। जबकि सरकार द्वारा साफ तौर पर कहा गया कि कमेटी का गठन एमएसपी मिलने की व्यवस्था को और प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए सुझाव देने के लिए बनाई गई है न कि एमएससी की गारंटी देने के लिए। सरकार के इस उत्तर के बाद संयुक्त किसान मोर्चा एक बार फिर बड़े आंदोलन की रणनीति तैयार करने में जुट गया है।
29 सदस्यीय टीम गठित
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कांग्रेस सांसद दीपक बैज और बीएसपी सांसद कुंवर दानिश अली के सवालों का जवाब देते हुए स्पष्ट तौर पर बताया कि यह कमेटी एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने के लिए नहीं है। उन्होंने बताया कि एमएसपी को और प्रभावी तरीके से तथा पारदर्शी बनाने के लिए 29 सदस्य टीम का गठन किया जा चुका है। यह टीम अपना कार्य करेगी।
एमएसपी पर गारंटी क्यों
अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता होगा कि किसान संगठन एमएसपी पर गारंटी कानून क्यों चाह रहे हैं। इसका सीधा सा उत्तर संगठनों द्वारा दिया जाता है कि वह यह नहीं चाहते की एमएसपी पर पूरी फसलों की खरीदी सरकार करें। लेकिन एमएसपी कानून की व्यवस्था बना देने से फसलों के दाम उस रेट से कम में नहीं बिकेंगे। अगर एमएसपी कानून बनता है तो किसानों को हो रहा नुकसान रुकेगा।
एमएसपी कानून न होने से किसानों के फसलों की दुर्गति हो रही है। किसान इस महंगाई के दौर में कई बार अपनी फसल 50 पैसे किलो प्याज, 5 रुपए किलो लहसुन और 2 रुपए किलो आलू बेचने को मजबूर होते है।
आंदोलन के मूड में संयुक्त किसान मोर्चा
इस मामले पर संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य अभिमन्यु कोहाड का कहना है कि सरकार द्वारा गठित की गई कमेटी उसकी इच्छा के अनुसार फैसला लेने तथा एमएसपी पर खानापूर्ति करने के लिए बनाई गई है। संयुक्त मोर्चा का कोई भी सदस्य इसमें शामिल नहीं होगा। उनका कहना था कि स्वामीनाथन आयोग रिपोर्ट के मुताबिक सरकार एमएसपी नहीं देना चाह रही। ऐसे में आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आने वाले समय में हम आंदोलन की बड़ी रणनीति तैयार करने के लिए काम करेंगे। किसानों को हर हाल में एमएसपी पर गारंटी कानून चाहिए।