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बहुत चमत्कारी है टेसू का पेड़, इनके उपयोग जान मचल जाएगा दिल

बहुत चमत्कारी है टेसू का पेड़, इनके उपयोग जान मचल जाएगा दिल
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जीवन में खुशी के रंग भरने में टेसू के फूलों का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। हमारे देश के श्रृंगार रस के कवियों ने टेसू के फूलों के संबंध में कई वर्णन किए हैं। वैसे भी टेसू के फूलों का रंग सहज ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेने की क्षमता रखता है।

जीवन में खुशी के रंग भरने में टेसू के फूलों का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। हमारे देश के श्रृंगार रस के कवियों ने टेसू के फूलों के संबंध में कई वर्णन किए हैं। वैसे भी टेसू के फूलों का रंग सहज ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेने की क्षमता रखता है।वर्ष में एक बार खिलने वाला टेसू का फूल बहुत उपयोगी बताया गया है। आयुर्वेद में टेसू के पंचांग का उपयोग किया जाता है। कई तरह के रोगों को नष्ट करने की क्षमता इसमें होती है। इस टेसू को पलाश, ढाक और केसु नाम से भी पुकारा जाता है।

सरकार ने भी दिया स्थान

टेसू के महत्व को आप इस तरह भी समझ सकते हैं कि वर्ष 1981 को भारत सरकार ने टेसू के महत्व को समझाने के लिए भारतीय डाक विभाग द्वारा 35 पैसे का डाक टिकट जारी किया गया था। वही उत्तर प्रदेश सरकार ने 8 दिसंबर 2010 को पलाश को राज्य पुष्प घोषित किया।

पलाश का विदेशों में भी है सम्मान

पलाश का मान सम्मान भारत के अलावा अन्य देशों में भी है। जानकारी के अनुसार 24 अगस्त 2004 को बांग्लादेश तथा 1978 में थाईलैंड सहित कई देशों ने पलाश के फूल को सम्मान स्वीकार किया है।

वैवाहिक कार्यक्रम में होता है उपयोग

  1. पलाश के पौधे की एक डंडी अगर वैवाहिक कार्यक्रम के दौरान मंडप में नहीं गाढ़ा गया तो इसे अशुभ माना गया है। हर हाल में लोगों द्वारा प्रयास किया जाता है कि पलाश के एक पतली टहनी मंडप में अवश्य गाड़ी जाए। इसके संबंध में मान्यता है कि पलाश के लकड़ी को साक्षी मानकर वैवाहिक कार्यक्रम संपन्न किए जाते हैं।
  2. कई जगह तो की लकड़ी से बने हुए चौकी में बैठकर वर और वधू का वैवाहिक कार्यक्रम संपन्न होता है।
  3. वही हरतालिका तीज पर नाथ के पौधे टहनिया तोड़कर लगाई जाती है और उसकी पूजा होती है।
  4. पलाश के पौधे में माना गया है कि इसमें ब्राह्म, विष्णु और महेश तीनों त्रिदेव का निवास होता है।
  5. हवन में पलाश की लकड़ी का उपयोग अवश्य किया जाता है।
  6. अक्सर चारों धाम की यात्रा के बाद होने वाले हवन में पलाश के लकडी का उपयोग होता है।

है घरेलू उपयोग

  1. पलाश का पौधा जिन क्षेत्रों में बहुतायत मात्रा में मौजूद है वहां पलाश के छाल का उपयोग रस्सी के रूप में किया जाता है।
  2. पक्के भवनों के निर्माण के पूर्व जब कच्चे छप्पर बनाए जाते थे उस समय छप्पर बांधने में पलाश के छाल की रस्सी का उपयोग होता था।
  3. पलाश के निकलने वाला गोद इतना कठोर और मजबूत होता है कि पूर्व काल में पानी के जहाजों के छेद को बंद करने में इसका उपयोग किया जाता है।
  4. पलाश के पत्तों का उपयोग दोना पत्तल बनाने में किया जाता था। आज डिस्पोजल की वजह से यह कार्य बंद होने की कगार पर है।
  5. आज भी पूजा पाठ के समय टेसू के पत्तों के बने दोने का उपयोग किया जाता है।

बनते हैं होली के रंग

वर्ष में एक बार आने वाला रंगो का त्यौहार होली हमे टेसू की याद अवश्य दिलवाता है। क्योंकि पूर्व काल से लेकर अब तक होली के रंगों में टेसू के फूलों का उपयोग किया जाता था। आज छत्तीसगढ़ सरकार टेसू के फूलों को एकत्र करवा कर इको फ्रेंडली रंग का निर्माण करवाती है। साथ ही समर्थन मूल्य पर खरीदी करती है।

आयुर्वेद में है कई उपयोग

आयुर्वेद के जानकारों की माने तो टेसू का संपूर्ण पौधा औषधि गुणों से भरा हुआ है। इसके पंचांग कहने का मतलब जड़, तना, शाखा, पत्ती फूल और फल का उपयोग आयुर्वेद दवा बनाने में किया जाता है।

कई ग्रह होते हैं प्रसन्न

पलाश के पेड़ के संबंध में मान्यता है कि इसमें ब्राह्मण जी का निवास होता है। पलाश के पेड़ की पूजा करने से चंद्रमा और सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं।

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