आतंकवाद का मजहब होता है! अहमदाबाद बम ब्लास्ट का आरोपी बोला, हम संविधान नहीं कुरान का निर्णय मानेंगे
Terrorism has a religion: कौन कहता है आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता? जो ऐसा कहते हैं शायद वो सच्चाई को स्वीकार्य नहीं करना चाहते या फिर सच्चाई को झूठ बनाने में जुटे रहते हैं. आप इस बात को नाकर नहीं सकते हैं की अहमदाबाद बम ब्लास्ट में पकडे गए हर एक आतंकी का मजहब एक है और ऐसा करने के पीछे भी इनका मकसद मजहबी ही था।
'साल 2008 में गुजरात के अहमदाबाद में 21 बम ब्लास्ट हुए थे, जिसमे 56 बेक़सूर लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी. उन आतंकवादियों ने अहमदाबाद और सूरत में 50 बम प्लांट किए थे जिनमे से 29 फूटे नहीं पाए थे वरना और सैंकड़ों लोगों की जान चली जाती, इस मामले में 13 साल बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया, 49 आरोपियों में से 38 को फांसी की सज़ा सुनाई और 11 को उम्रकैद। यह इतिहास की सबसे बड़ी सज़ा है। लेकिन आतंकवादियों को मौत की सज़ा मिलने से भारत में रहने वाले कुछ लोगों को दुःख हो रहा है वो इसे नाइंसाफी कह रहे हैं'
आतंकवाद का मजहब होता है साहेब
अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट का मास्टरमाइंड सफदर नागौरी को भी कोर्ट ने मृत्यदंड दिया है, उसे खुश होना चाहिए क्योंकि उसके अनुसार उसे तो अब जन्नत मिलेगी, वो शराब और शहद की नदियों में नहाएगा, 72 हूरों के साथ रोमांस करेगा, लेकिन उसे कोर्ट का फैसला अच्छा नहीं लगा है। आतंकी सफदर ने कहा है कि वो कोर्ट का निर्णय नहीं मानता, वो कुरान के निर्णय को मानता है संविधान को नहीं। लेकिन उसके मानाने ना मानाने से कोई फर्क नहीं पड़ता, भारत किसी कुरान या फिर आसमानी किताब के सहारे नहीं चलता है यहां का कानून संविधान के अनुसार काम करता है.
आतंकवादियों को बचाना चाहता है उनका परिवार और एक मौलाना
जिन लोगों ने अहमदाबाद में गोधरा कांड का बदला लेने के लिए 56 लोगों को बम से उड़ा दिया, उनको मौत की सज़ा से बचाने के लिए मौलाना अरशद मदनी और आतंकवादियों के परिवार रहम की अपेक्षा रख रहे हैं. आतंकवादियों के लिए महीसा बनने की राह पर चले मौलाना ने डिस्ट्रिक कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चेलेंज करने की बात कही है। यही तो साला दुर्भाग्य है यार...