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Statue Of Belief: स्टैचू ऑफ़ बिलीफ कहां है, कितना विशाल है, लागत क्या है? पूरी जानकारी यहीं मिलेगी

Statue Of Belief: स्टैचू ऑफ़ बिलीफ कहां है, कितना विशाल है, लागत क्या है? पूरी जानकारी यहीं मिलेगी
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Where is the Statue of Belief: भगवान शिव की विशाल प्रतिमा का आकर इतना विशाल है कि यहां पूरा गांव बस जाए

What Is Statue Of Belief: स्टैचू ऑफ़ बिलीफ यानी विश्वास की प्रतिमा का लोकार्पण 29 अक्टूबर को होने जा रहा है. इस प्रतिमा को हिंदी में 'विश्वास स्वरूपम प्रतिमा' का नाम दिया गया है. जिसे बनाने में 10 साल का वक़्त लगा है और इसे बनाने में 50 हज़ार लोगों ने दिन-रात काम किया है.


विश्वास स्वरूपम प्रतिमा


Statue Of Belief: स्टैचू ऑफ़ बिलीफ भगवान शिव की दुनिया की सबसे बड़ी और ऊंची प्रतिमा है, इसका आकर 369 फ़ीट ऊंचा है. इससे पहले दुनिया की सबसे बड़ी शिव प्रतिमा नेपाल के कैलाशनाथ मंदिर में थी जो 143 फ़ीट ऊंची है. वहीं मुरुदेश्वर मंदिर कर्नाटक में 123 फ़ीट तो तमिलनाडु में ईशा फाउंडेशन में मौजूद आदियोगी की प्रतिमा 112 फ़ीट ऊंची है. और मॉरिशियस देश में मंगल महादेव मंदिर में लगी शिव प्रतिमा 108 फ़ीट ऊंची है.

स्टैचू ऑफ़ बिलीफ कहां है


Where Is Statue Of Belief: विश्वास स्वरूपम प्रतिमा राजस्थान में बनाई गई है. जिसे आप उदयपुर-राजसमंद हाइवे से भी देख सकते हैं. विश्वास स्वरूपम प्रतिमा महादेव शिव जी की प्रसन्न मुद्रा की प्रतिमा है जो दुनिया की सबसे बड़ी शिव प्रतिमा है. स्टैचू ऑफ़ बिलीफ का निर्माण राजस्थान के विश्वप्रसिद्ध मंदिर 'श्रीनाथजी मंदिर' में स्थापित है जो नाथद्वारा शहर में मौजूद है.

स्टैचू ऑफ़ बिलीफ का लोकार्पण


29 अक्टूबर को Statue Of Belief का लोकार्पण होना है, इससे पहले यहां मुरारी बापू की रामकथा का आयोजन होगा। लोकार्पण के साथ यहां अगले 9 दिन तक सांस्कर्तिक कार्यक्रम होंगे जिसमे कैलाश खेर भी शिव भजन करने के लिए पहुचेगें। इस दौरान 8 राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल रहेंगे।

स्टैचू ऑफ़ बिलीफ के बारे में सब जानें

बाहर से स्टैचू ऑफ़ बिलीफ भगवान शिव जी की विशाल प्रतिमा दिखती है लेकिन इसके अंदर बड़े-बड़े हॉल हैं जहां एक वक़्त पर 10000 लोग अंदर जा सकते हैं. यहां 20 फ़ीट चौड़ी गैलरी है और 110 फ़ीट ऊंचा शिव जी का आसान है. 270 फ़ीट ऊँचा शिव जी का बायां कंधा और त्रिशूल है तो दायां कन्धा 280 फ़ीट ऊँचा है जिसमे नाग देवता के दर्शन होते हैं.


अगर आपको पूरा स्टैचू ऑफ़ बिलीफ घूमना है तो आराम से 6-7 घंटे लग जाएंगे, जब आप नाथद्वारा से गणेश टेकरी जाएंगे तो 2 किलोमीटर पहले ही ये प्रतिमा आपको दिख जाएगी।

प्रतिमा के अंदर जाने के लिए 4 लिफ्ट लगी हैं, जहां श्रद्धालुओं को 20 फ़ीट से लेकर 351 की ऊंचाई तक ले जाया जाएगा।

270 फ़ीट की ऊंचाई पर जाने के बाद आप शिव जी के बाएं कंधे तक पहुचेगे जहाँ से आप पूरा नाथद्वार देख सकते हैं. और यही से विशाल त्रिशूल के दर्शन कर सकते हैं. यहीं पर ग्लास ब्रिज बनाया गया है जो पारदर्शी है. जो 800 किलो तक वजन झेल सकता है.


स्टैचू ऑफ़ बिलीफ में 700 सीढिया, 280 फ़ीट की हाइट में ग्लास ब्रिज, हर फ्लोर में 4 लिफ्ट, 351 फ़ीट की ऊंचाई पर जलाभिषेक करने की सुविधा है.

ये सब भी है

शिव प्रतिमा के अंदर 20 फ़ीट की ऊंचाई पर विशाल गैलरी है, जो आपके सफर को शानदर यादें देती हैं. यहां आने वाले लोगों को अध्यात्म और रोमांच का एहसास कराने के लिए 65 प्रोजेक्टर लगाए गए हैं. 700 मीटर की इस गैलरी में दीवारें भी आपसे पूछेंगी मैं कौन? इस गैलेरी में आपको जंगल का एहसास होगा जहां आपको पशु-पक्षियों की आवाज सुनाई देगी, इसी के साथ पहाड़, हवा, बारिश का भी अनुभव होगा।


स्टैचू ऑफ़ बिलीफ का निर्माण किसने किया

Who Built Statue Of Belief: इस प्रतिमा को गुड़गांव के नरेश कुमावत ने तैयार किया है, जहां 25 फ़ीट ऊँचे नंदी बाबा विराजमान है और उनके ठीक सामने महादेव विराजे हैं. स्टैचू ऑफ़ बिलीफ को बनाने में 3000 टन स्टील, 2600 टन लोहा और 26618 क्यूबिक मीटर सीमेंट लगा है. प्रतिमा का बेस 30X25 जितना बड़ा है जो जमीन के 10 फ़ीट अंदर तक है. इसे ऐसे बनाया गया है कि अगले 250 साल तक कोई मेंटेनेंस नहीं करनी पड़ेगी।




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