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अब कार की पिछली सीट पर बैठे पैसेंजर्स को भी सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य: नियम तोड़ने पर लगेगा फाइन, जानिए सीट बेल्ट के फायदे

rear seat belt mandatory
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Benefits of Seat Belt: बिजनेसमैन साइरस मिस्त्री की एक्सीडेंट में मौत के बाद केंद्र सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है. अब भारत में कार की पिछली सीट पर बैठने वाले पैसेंजर्स के लिए भी सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य हो गया है.

Benefits of Seat Belt: अब भारत में कार की पिछली सीट पर बैठने वाले पैसेंजर्स के लिए भी सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य हो गया है. इस बात की जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Union Road Transport Minister Nitin Gadkari) ने दी है, साथ ही उन्होंने कहा है कि सीट बेल्ट को ना लगाकर नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्यवाई का प्रावधान है. इस नियम का पालन हो इसलिए नियम तोड़ने वालों पर फाइन लगाया जाएगा.

रविवार को टाटा एंड संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry Death) की मर्सडीज कार से अहमदाबाद से मुंबई जाते वक़्त एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. मिस्त्री कार की पिछली सीट पर बैठे हुए थें, लेकिन उन्होंने सीट बेल्ट नहीं लगा रखी थी, जिसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है. रिपोर्ट्स की मानें तो देश भर में होने वाली कार दुर्घटनाओं में अधिकाँश अकाल मृत्यु का कारण भी लोगों का सीट बेल्ट का इस्तेमाल न करना होता है. इसे लेकर अब केंद्र सरकार सख्त हो गई है.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को एक इंटरव्यू के दौरान कहा है कि जिस तरह ड्राइवर और को-ड्राइवर सीट में बैठने वालों के लिए सीट बेल्ट लगाने का अलार्म बजता है, वैसे ही अलार्म अब पिछली सीट पर बैठे पैसेंजर्स के लिए भी बजेंगे. कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को उन्होंने अलार्म लगाने के लिए निर्देशित किया है. जिससे कार की पिछली सीट पर बैठे लोग भी सीट बेल्ट लगाने के लिए जागरूक हो जाएं.

सीट बेल्ट नहीं लगाया तो भरना होगा भारी हर्जाना

नितिन गडकरी ने कहा कि पहले से ही पिछली सीट पर सीट बेल्ट पहनना अनिवार्य है, लेकिन लोग इसका पालन नहीं कर रहे हैं, उन पर अब फाइन लगाया जाएगा. उन्होंने कहा कि जुर्माना लेना मकसद नहीं है, बल्कि जागरूकता फैलाना है. उन्होंने कहा कि 2024 तक सड़क हादसों में 50 फीसदी की कमी लाने का लक्ष्य है.

75 फीसद लोगों को पता ही नहीं कि रियर सीट बेल्ट भी अनिवार्य है

ताजा सर्वे के मुताबिक 15% भारतीय कार चलाते वक्त सीट बेल्ट नहीं लगाते. 77 फीसदी SUV चालक सीट बेल्ट का इस्तेमाल नहीं करते. 45 फीसदी को-ड्राइवर सीट पर बैठे लोग सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करते और 75 फीसदी लोगों को पता ही नहीं है कि रियर सीट बेल्ट (Rear Seat Belt) लगाना भी अनिवार्य है.

आइये जानते हैं सीट बेल्ट लगाने के फायदे (Benefits of Seat Belt)

  1. WHO की स्टडी कहती है कि रियर सीट बेल्ट लगाने से मौत की आशंका 25% तक कम हो सकती है.
  2. फ्रंट सीट पर बैठे पैसेंजर के सीट बेल्ट लगाने से गंभीर चोट लगने या मौत की आशंका कम हो जाती है.
  3. एयरबैग्स इंपैक्ट को कुशन करते हैं जबकि बेल्ट मूवमेंट को रोकता है. बिना बेल्ट के एयरबैग्स बेकार हैं.
  4. सीट बेल्ट न हो तो एयरबैग से गहरी चोट लग सकती है. इसमें मौत का ज्यादा खतरा रहता है.
  5. सीट बेल्ट्स ने उन पुरानी कारों में भी जिंदगियां बचाई हैं जिनमें एयरबैग्स नहीं थे.

एयर बैग को लेकर कही ये बात

कार की पिछली सीट पर एयर बैग लगाने से क्या कारों की लागत बढ़ जाएगी, इस सवाल पर गडकरी ने बताया कि लोगों का जीवन बचाना ज्यादा जरूरी है. उन्होंने बताया कि एक एयरबैग की लागत 1 हजार रुपए है. ऐसे में 6 के लिए छह हजार रुपए लगेंगे. प्रोडक्शन और डिमांड के बढ़ने के साथ धीरे-धीरे इसकी लागत और कम होती जाएगी.

8 पैसेंजर्स के साथ 6 एयरबैग लगाना अनिवार्य

गडकरी ने बताया कि नियमों के अनुसार, भारत में फ्रंट पैसेंजर और ड्राइवर के लिए एयरबैग अनिवार्य हैं. जनवरी 2022 तक, सरकार ने प्रत्येक यात्री कार में 8 पैसेंजर्स के साथ 6 एयरबैग लगाना कंपनियों के लिए अनिवार्य कर दिया है.

कार की सेफ्टी रेटिंग पर भी जोर, क्रैश टेस्ट अनिवार्य होगा

इसके पहले भी नितिन गडकरी ने भारत में हो रहे सड़क दुर्घटनाओं को लेकर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि भारत में भी कार की सेफ्टी के मानक तय किए जाएंगे, अगर वाहन सेफ्टी के मामले में क्रैश टेस्ट में खरा नहीं उतरता है तो उसे बाजार में नहीं उतारा जाएगा, इस पर सरकार नियम लाने जा रही है. जिसके लिए कार का क्रैश टेस्ट अनिवार्य होगा.

गडकरी ने यह भी माना है कि सड़क दुर्घटनाओं में अधिकाँश मौतों की वजह कार सेफ्टी बनती है. हांलाकि अब कार की सेफ्टी पैमानों को लेकर भी लोग जागरुक हो रहें हैं. लोगों ने क्रैश टेस्ट के बाद दिए गए NCAP रेटिंग के पैमानों पर कार को खरीदना शुरू कर दिया है. लेकिन आज भी ऐसी कई कंपनियां की कारें हैं जो सेफ्टी के मामले में शून्य हैं, लेकिन सड़कों पर धड़ाधड़ दौड़ रही हैं.

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