RBI MPC Meeting: ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं, न लोन महंगे होंगे, न EMI बढ़ेगी; रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 6.5% पर बरकरार रखा
ब्याज दरों में लगातार 9वीं बार कोई बदलाव नहीं: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ब्याज दरों में लगातार 9वीं बार कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखा गया है, जिसका मतलब है कि लोन महंगे नहीं होंगे और आपकी EMI भी नहीं बढ़ेगी। फरवरी 2023 में अंतिम बार RBI ने दरों में 0.25% की वृद्धि की थी, जिससे यह 6.5% हो गई थी।
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग के फैसले
6 अगस्त से शुरू हुई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को दी। यह मीटिंग हर दो महीने में आयोजित की जाती है। जून में हुई पिछली बैठक में भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया था।
MPC के सदस्य
MPC में छह सदस्य होते हैं, जिनमें बाहरी और RBI अधिकारी शामिल होते हैं। गवर्नर शक्तिकांत दास के साथ, RBI के राजीव रंजन और माइकल देबब्रत पात्रा शामिल हैं। बाहरी सदस्यों में शशांक भिड़े, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा हैं।
खाद्य महंगाई और आर्थिक स्थिरता
खाद्य महंगाई अभी भी चिंताजनक बनी हुई है, लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। महंगाई दर को 4% पर लाने के लिए RBI के प्रयास जारी हैं। प्राइस स्टेबिलिटी से आर्थिक वृद्धि बनी रहेगी। सेंट्रल बैंक अपने निर्णय आर्थिक स्थितियों के आधार पर ले रहा है।
वैश्विक और घरेलू आर्थिक स्थिति
वैश्विक अर्थव्यवस्था में अस्थिरता देखने को मिल रही है, जबकि दुनियाभर में महंगाई में कमी आ रही है। RBI ने नए फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स के माध्यम से बैंक डिपॉजिट बढ़ाने की सलाह दी है, क्योंकि निवेश के अन्य विकल्प होने से बैंक डिपॉजिट में कमी आ रही है। भारत के फाइनेंशियल सेक्टर में स्थिरता बनी हुई है।
UPI और चेक क्लीयरिंग में सुधार
UPI से टैक्स पेमेंट की लिमिट ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख की गई है। चेक क्लीयरिंग का समय भी घटा दिया गया है, जिससे चेक जमा होने के कुछ घंटों में ही क्लीयर होंगे।
GDP और महंगाई अनुमान
RBI ने वित्तीय वर्ष 2025 के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 7.2% और महंगाई का अनुमान 4.5% पर बरकरार रखा है।
रेपो रेट का महत्व
रेपो रेट महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली उपकरण है। महंगाई बढ़ने पर RBI रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करता है, जिससे लोन महंगे हो जाते हैं और मांग कम होती है। इसके विपरीत, आर्थिक मंदी के समय रेपो रेट घटाकर मनी फ्लो बढ़ाया जाता है, जिससे लोन सस्ते हो जाते हैं और मांग बढ़ती है।
महंगाई के आंकड़े
- जून में रिटेल महंगाई: जून में रिटेल महंगाई 5.08% रही, जो पिछले 4 महीनों का उच्चतम स्तर था।
- जून में थोक महंगाई: जून में थोक महंगाई 3.36% रही, जो 16 महीनों का उच्चतम स्तर था।
महंगाई का असर
महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उच्च महंगाई दर से पैसे की मूल्य कम हो जाती है, इसलिए निवेश करते समय महंगाई को ध्यान में रखना चाहिए।