Railway New Rules: ट्रेन में नहीं मिली सीट, तो रेलवे देगा 1 लाख रुपये
नई दिल्ली: ट्रेन के सहारे हम देश के किसी भी छोर में चले जाते है. ट्रेन हमेशा ग्राहकों के लिए अपने नियमो में बदलाव करता है जो कभी-कभी खुद रेलवे को भारी पड़ जाता है. रिजर्वेशन (Train Birth Reservation) के बावजूद बुजुर्ग पैसेंजर को सीट नहीं देने पर रेलवे को भारी घाटा हुआ. जानकारी के मुताबिक उपभोक्ता आयोग ने रेलवे को हर्जाने के रूप में एक लाख रुपये पीड़ित यात्री को देने का आदेश दिया है. करीब 14 साल पुराने इस मामले में बिहार के बुजुर्ग यात्री इंद्र नाथ झा (Inder Nath Jha) को रिजर्वेशन के बावजूद ट्रेन में बर्थ नहीं दी गई थी और उन्हें बिहार के दरभंगा से दिल्ली की यात्रा खड़े-खड़े करनी पड़ी थी.
पुराना है मामला
आपको बता दे की ये मामला 2008 का है. दिल्ली के उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगमें इंद्र नाथ झा ने शिकायत की थी जिसके बाद 2008 में दरभंगा से दिल्ली की यात्रा के लिए टिकट बुक कराई थी, लेकिन रिजर्वेशन के बावजूद उन्हें बर्थ नहीं दी गई. आयोग ने अपने फैसले में कहा कि लोग आरामदायक यात्रा के लिए ही एडवांस में रिजर्वेशन कराते हैं, लेकिन शिकायतकर्ता को इस यात्रा में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. ऐसे में उन्हें हर्जाना मिलना ही चाहिए.
रेलवे ने अपना बचाव करते हुए कहा कि इस मामले में उसकी कोई गलती नहीं थी. अधिकारियों ने उनकी दलील थी कि झा ने बोर्डिंग पॉइंट पर ट्रेन नहीं पकड़ी और पांच घंटे बाद किसी और स्टेशन पर ट्रेन पकड़ी. उनका कहना था कि टीटीई को लगा कि वह ट्रेन में सवार नहीं हुए हैं और नियमों के मुताबिक यह सीट वेटिंग पैसेंजर को दे दी गई. लेकिन आयोग ने रेलवे अधिकारियों की इस दलील को नहीं माना. आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ता को रिजर्वेशन के बावजूद कोई बर्थ नहीं दी गई और उन्हें बिना सीट के यात्रा करनी पड़ी. किसी यात्री को अपनी रिजर्व बर्थ पर बैठने का अधिकार है और इसमें किसी औपचारिकता की जरूरत नहीं है. यदि बर्थ अपग्रेड कर दी गई थी तो उन्हें वह बर्थ मिलनी चाहिए थी. आयोग ने कहा कि यह रेलवे की लापरवाही का मामला है.