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Online Satta: ऑनलाइन गेमिंग की आड़ में चल रहा जुआ, करोड़ो भारतीय खेलते हैं, 95% हारते हैं, कइयों ने तनाव में जान तक दे दी

How Dangerous is Online Betting
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How Dangerous is Online Betting

भारत सरकार ने गेमिंग की आड़ में ऑनलाइन सट्टा (Online Betting) खिलाने वाली वेबसाइट/ऐप के टीवी, प्रिंट और OTT प्लेटफार्म में विज्ञापन पर रोक लगा दी है.

देश में ऑनलाइन गेमिंग और 155 साल पुराने कानून (पब्लिक गेमिंग एक्ट 1867) की आड़ में ऑनलाइन गैंबलिंग (Online Gambling) खूब फल-फूल रही है. इसे देखते हुए केंद्र ने सोमवार को ऑनलाइन सट्टेबाजी (Online Betting) वाली वेबसाइट्स के प्रिंट, डिजिटल टीवी और ओटीटी विज्ञापनों पर रोक लगा दी है. सूचना एवं मंत्रालय ने कहा कि ये लोगों को भ्रमित कर रहे हैं. देश में करीब 37 करोड़ लोग ऑनलाइन गेम्स खेलते हैं, जिनमें से 27 करोड़ रियल मनी गेम में दांव लगाते हैं.

एक स्टडी के मुताबिक, ऐसे खेलों में 95% प्रतिस्पर्धी हारते हैं. कई तनावग्रस्त हो जाते हैं. अकेले तमिलनाडु में ही पिछले 3 साल में 30 से ज्यादा लोग इस जाल में फंसकर जान दे चुके हैं. इन गेम्स में बेटवे व फेयरप्ले आदि शामिल हैं, जहां हर बॉल पर सट्टा लगता है.

खतरनाक क्यों? नशे की लत की आशंका 3 गुना ज्यादा

नॉर्टन साइबर सेफ्टी रिपोर्ट 21 के मुताबिक, 81% भारतीय ऑनलाइन गेमर साइबर हमलों के कारण औसतन 7,894 रु. गंवा चुके हैं. ऑस्ट्रेलिया में 1119 लोगों पर हुआ सर्वे कहता है- ऑनलाइन गेमर को सिगरेट शराब की लत का खतरा 3 गुना ज्यादा है.

कानून कब तक ? राज्य ढीले, केंद्र ने तैयारी शुरू की

  • देश के 3 राज्यों (गोवा, सिक्किम और दमन) में ऑनलाइन गैंबलिंग को कानूनी मान्यता मिली हुई है.
  • तमिलनाडु सरकार इस पर पाबंदी लगाने के लिए हाल ही में अध्यादेश लाई है. मगर अभी राज्यपाल की मुहर बाकी हैं. ऐसे में कब तक बैन लगेगा, इसकी तारीख तय नहीं.
  • केंद्र सरकार 1 अप्रैल 2022 को ऑनलाइन गेमिंग (रेगुलेशन) बिल लाई थी, पर अभी अटका हुआ है.
  • राजस्थान सरकार वर्चुअल ऑनलाइन स्पोर्ट्स (रेगुलेशन) बिल-2022 का मसौदा बना चुकी है. इसमें कमीशन जुर्माना व लाइसेंसिंग जैसे प्रावधान, पर अभी ठंडे बस्ते में.
  • हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा- राज्य में इस पर बैन लगाने का अभी कोई कानून नहीं ला रहे .


ऑनलाइन गेमर्स के आंकड़े


कंपनियों के पास बचने के कई रास्ते

ऑनलाइन गैंबलिंग से किसी की जान जाती है तो किस पर क्या एक्शन होगा ?

रमी, पोकर, तीन पत्ती व फैंटेसी गेम जैसे गेम्स में कई लोग अपराधों के शिकार हो रहे हैं. ऐसे में गेमिंग कंपनी पर आईपीसी, बाल संरक्षण कानून, पाक्सो और महिला सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई संभव है. मगर इनके रजिस्ट्रेशन की कानूनी व्यवस्था न होने से वे बच जाती हैं.

राज्य पाबंदी क्यों नहीं लगा पा रहे?

संविधान की सातवीं अनुसूची में लिस्ट-2 में एंट्री 34 के अनुसार सट्टेबाजी और जुए पर राज्यों को कानून बनाने का हक है. मगर अदालतों से ऑनलाइन गेमिंग को स्किल यानी कौशल का खेल के तहत मान्यता मिली हुई है.

फिर इन पर कैसे लगाम लगेगी?

अप्रैल 2022 में केंद्र ने लोकसभा में बिल पेश किया था. यह कानून बनने के बाद पूरे देश में गेमिंग इंडस्ट्री के लिए एक समान कानूनी व्यवस्था और नियामक हो जाएगा.

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