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LAC पर चीनी सेना ने समेटे अपने टेंट, गलवान घाटी के पास बफर जोन बना, एक किमी पीछे हटा चीन

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 11:55 AM IST
LAC पर चीनी सेना ने समेटे अपने टेंट, गलवान घाटी के पास बफर जोन बना, एक किमी पीछे हटा चीन
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चीनी सेना ने LAC पर अपने टेंट समेत कर गलवान घाटी से एक किमी पीछे हट गई है. ये वही जगह है जहाँ 15 जून को भारतीय एवं चीनी सेना एक दुसरे

लेह. मई माह से जारी भारत-चीन सीमा विवाद में अब एक बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है. चीनी सेना ने LAC पर अपने टेंट समेत कर गलवान घाटी से एक किमी पीछे हट गई है. ये वही जगह है जहाँ 15 जून को भारतीय एवं चीनी सेना एक दुसरे के सामने थी. सेनाओं के बीच लगातार सैनिकों को पीछे हटाने को लेकर मंथन चल रहा था, ऐसे में ये इस प्रक्रिया का पहला पड़ाव माना जा रहा है.

गलवान घाटी के पास बफर जोन बना

सूत्रों की मानें, तो दोनों देशों की सेना ने रिलोकेशन पर सहमति जाहिर की है और सेनाएं मौजूदा स्थान से पीछे हटी हैं. गलवान घाटी के पास अब बफर जोन बनाया गया है, ताकि किसी तरह की हिंसा की घटना फिर ना हो पाए.

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चीनी सेना ने अपने टेंट, गाड़ी और सैनिकों को पीछे हटाना शुरू कर दिया है. कॉर्प्स कमांडर लेवल की बातचीत में यही तय हुआ था. आर्मी के सूत्रों के अनुसार, चीनी करीब एक किमी. पीछे गए हैं, जो भारतीय हिस्से से देखा जा सकता है. हालांकि, गलवान घाटी में काफी पीछे तक चीन ने अपना साजो सामान रखा हुआ है. इसके बाद दोनों सेनाओं में आगे की बात भी हो सकती है.

पीएम मोदी ने दौरे से चौंकाया था

पिछले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक लेह पहुंच गए थे. पीएम मोदी नीमू पोस्ट पर पहुंचे थे, जो लद्दाख बॉर्डर से कुछ दूर था हालांकि यहां बड़ी संख्या में सेना के जवान मौजूद हैं.

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पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यहां सख्त संकेत दिया था कि अब विस्तारवाद का वक्त चला गया है और विकासवाद का वक्त आ गया है. इसी बयान के बाद चीन बौखला गया था.

20 जवान हुए थें शहीद

आपको बता दें कि भारत और चीन के बीच मई के महीने से तनाव की स्थिति बनी हुई है. ईस्टर्न लद्दाख बॉर्डर पर गलवान घाटी के पास पैंगोंग लेक तक चीनी सेना और भारतीय सेना आमने-सामने हैं.

जून के पहले हफ्ते में दोनों देशों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ, जहां पर सैन्य लेवल पर बात हुई. लेकिन 15 जून को इसी दौरान गलवान घाटी में झड़प हुई, जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. चीन को भी बड़ा नुकसान हुआ, लेकिन उसने कभी इसे नहीं माना.

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