अब कार की विंडो पर ब्लैक फिल्म लगा सकेंगे, जानिए क्या है हाईकोर्ट का फैसला; क्या पुलिस नहीं काट सकेगी चालान?
Meta AI द्वारा सांकेतिक तस्वीर
भारत में कार की विंडो पर काले शीशे या प्लास्टिक फिल्म का इस्तेमाल करना हमेशा एक विवादित मुद्दा रहा है। पुलिस अक्सर इस पर चालान करती थी और दुकानदार भी ऐसी फिल्में लगाने से कतराते थे। लेकिन केरल हाईकोर्ट ने 12 सितंबर 2024 को अपने एक अहम फैसले में कहा कि यदि गाड़ी पर तय नियमों के अनुसार प्लास्टिक फिल्म या कूलिंग फिल्म लगी है, तो पुलिस चालान नहीं कर सकती। इस फैसले से देशभर में लाखों कार चालकों और मालिकों को राहत मिलेगी।
2012 में सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाया था बैन?
सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में सामाजिक कार्यकर्ता अविशेष गोयनका की याचिका पर सुनवाई करते हुए देशभर में काली फिल्म के उपयोग पर रोक लगाई थी। तब की बेंच ने कहा था कि गाड़ी की खिड़कियों और विंडस्क्रीन पर कम से कम 70% और साइड विंडो पर 50% विजिबिलिटी होनी चाहिए। कोर्ट ने इस बैन के पीछे दो मुख्य कारण बताए थे:
- इससे सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती हैं।
- कार के अंदर अपराध, जैसे यौन उत्पीड़न और डकैती, आसानी से हो सकते हैं।
केरल हाईकोर्ट का ताजा फैसला क्या कहता है?
इस ताजा फैसले में केरल हाईकोर्ट की बेंच ने साफ कहा कि अगर कार की खिड़कियों पर सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट, 1989 के नियमों के तहत फिल्म लगी है, तो चालान करना गलत होगा। इसके अलावा, कार चालक अपनी जरूरत के अनुसार खिड़कियों पर प्लास्टिक फिल्म लगवा सकते हैं, बशर्ते यह नियमों के अनुसार हो। हालांकि, पूरी तरह से काले शीशे या जीरो पारदर्शिता वाले फिल्म पर अब भी जुर्माना लगाया जाएगा।
कार की खिड़कियों पर फिल्म लगाने के नियम
- विजिबिलिटी: गाड़ी के आगे और पीछे के शीशों पर 70% और साइड विंडो पर 50% विजिबिलिटी होना अनिवार्य है।
- प्लास्टिक फिल्म: कार की खिड़कियों पर निर्धारित नियमों के अनुसार प्लास्टिक या कूलिंग फिल्म लगाई जा सकती है।
- चालान से राहत: यदि फिल्म नियमों के तहत लगी हो, तो पुलिस चालान नहीं कर सकती।
कार की विंडो पर फिल्म लगाने के फायदे
- तापमान नियंत्रण: प्लास्टिक या कूलिंग फिल्म से कार के अंदर का तापमान 34% से 45% तक कम किया जा सकता है।
- UV किरणों से सुरक्षा: यह फिल्म 99% अल्ट्रावॉयलेट किरणों, 85% इंफ्रारेड किरणों और 55% रिफ्लेक्शन को कम करने में मदद करती है।
- सुरक्षा: दुर्घटना की स्थिति में यह फिल्म कांच के टुकड़ों को अंदर के यात्रियों को चोट पहुंचाने से रोकती है और चोरी की घटनाओं को भी कम करती है।
कार विंडो में ब्लैक फिल्म पर अलग-अलग देशों के नियम
- अमेरिका: फ्रंट ग्लास में ऊपर से 4 से 6 इंच तक 70% ट्रांसपेरेंट ब्लैक फिल्म लगा सकते हैं। साइड विंडो में फिल्म लगाने से जुड़े नियम राज्य के अनुसार अलग-अलग होते हैं।
- ब्रिटेन: फ्रंट साइड विंडो में 75% ट्रांसपेरेंट फिल्म लगा सकते हैं। रियर विंडो में फिल्म लगाने से जुड़े कोई नियम नहीं है।
- कनाडा: फ्रंट में कोई फिल्म नहीं लगा सकते। साइड विंडो को लेकर राज्यों के अलग नियम हैं।
- ऑस्ट्रेलिया: साइड विंडो को 35% ट्रांसपेरेंट होना चाहिए। रियर विंडो डार्क हो सकती है। हर राज्य में अलग नियम है।
- संयुक्त अरब अमीरात (यूएई): फ्रंट विंडशील्ड 30% तक हो सकती है। साइड विंडो 70% ट्रांसपेरेंट और रियर विंडो 50% होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में बदलाव नहीं
केरल हाईकोर्ट के इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट के 2012 के आदेश में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। कोर्ट ने सिर्फ यह स्पष्ट किया है कि अगर फिल्म निर्धारित नियमों के अनुसार लगी हो, तो पुलिस चालान नहीं कर सकती। जीरो पारदर्शिता वाली फिल्मों पर अब भी पहले की तरह जुर्माना लागू रहेगा।