न FASTag, न Cash... बदलने वाला है Toll Tax Collection System; अब जितना सफर उतना टोल
Toll Tax News
अगर आप भी हाइवे में सफर करते हैं और FASTag के जरिए टोल कर दे देकर परेशान हैं, तो आपके लिए अच्छी खबर है. केंद्र सरकार अब फास्टैग (FASTag) बंद कर टोल कलेक्शन प्रणाली (Toll Collection System) में बड़ा बदलाव करने जा रही है. अब नेविगेशन सिस्टम (Navigation System) के जरिए टोल कलेक्शन की तैयारी है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप जितना सफर करेंगे उतना ही आपको टोल भरना होगा.
टोल कलेक्शन में पारदर्शिता और वाहन चालकों को बिना परेशानी यात्रा के लिए 2017 में फास्टैग (FASTag) लागू किया गया था. लेकिन अब इसे बंद करने की योजना है. सरकार अब टोल टैक्स कलेक्शन सिस्टम (TTCS) को और अधिक हाईटेक बनाने की तैयारी में है.
जितना सफर, उतना टोल
इस नए टोल टैक्स कलेक्शन सिस्टम (TTCS) में FASTag हटाकर नेविगेशन सिस्टम (Navigation System) के जरिए टोल वसूली होगी. इसमें वाहन द्वारा हाईवे पर जितने किलोमीटर का सफर तय किया जाता है, उसके हिसाब से टोल देना पड़ता है. नई तकनीक के तहत आप हाईवे या एक्सप्रेस-वे पर जितना अधिक किलोमीटर ड्राइव करेंगे, उतना ही अधिक टोल वसूला जाएगा. जैसा कि हमनें बताया कि भारत में नए टोल सिस्टम के पायलट प्रोजेक्ट की टेस्टिंग चल रही है, जिसमें किलोमीटर के हिसब से टोल वसूला जाता है. हालांकि, यह सिस्टम यूरोपीय देशों में पहले से ही चल रहा है और काफी प्रचलित है, और वहां इसकी सफलता को देखते हुए इसे भारत में भी लागू करने की तैयारी की जा रही है.
फिलहाल अगर आप हाईवे वा सफर कर रहे हैं, तो एक टोल से दूसरे टोल तक की दूरी की पूरी रकम वाहनों से वसूल की जाती है. भले ही आप वहां नहीं जा रहे हों और आपकी यात्रा बीच में कहीं पूरी हो रही हो, लेकिन टोल का पूरा भुगतान करना पड़ता है.
नए टोल कलेक्शन सिस्टम को लागू करने से पहले परिवहन नीति में भी बदलाव जरूरी है. विशेषज्ञ इस पर रिसर्च कर रहे हैं. बताते चलें, कि पायलट प्रोजेक्ट में देशभर में 1.37 लाख वाहनों को शामिल किया गया है, और रूस और दक्षिण कोरिया के विशेषज्ञों द्वारा एक अध्ययन रिपोर्ट तैयार की जा रही है. जिस पर जल्द निर्णय लिया जा सकता है.
क्या है FASTag?
FASTag अक्टूबर 2017 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी (RFID) है. यह व्यक्तिगत ड्राइवरों और बड़े पैमाने पर राष्ट्र दोनों के लिए कई असुविधाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया था. रिपोर्ट पर विश्वास करें तो भारत में टोल बूथों पर सालाना 12000 करोड़ रुपये वसूले जाते हैं. हालांकि कम यात्रा करने वालों को भी बराबर रकम का भुगतान करना पड़ता है, लेकिन नई तकनीक लागू होने से इससे छुटकारा मिल सकता है.