राष्ट्रीय

मोहन भागवत ने 'ब्राम्हण' शब्द तक का इस्तेमाल तक नहीं किया, जानें कैसे मीडिया ने RSS चीफ के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया

मोहन भागवत ने ब्राम्हण शब्द तक का इस्तेमाल तक नहीं किया, जानें कैसे मीडिया ने RSS चीफ के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया
x
Mohan Bhagwat Anti Brahmin Statement Video: आरएसएस चीफ ने कहा था-"कोई भी ऊंच-नीच नहीं है। विद्वान लोग शास्त्रों के आधार पर जाति-आधारित ऊंच-नीच की बात करते हैं- यह झूठ है।

RSS chief did not mention Brahmin caste: कोई ऊंचा या नीचा नहीं है। शास्त्रों के आधार पर विद्वान जातिगत ऊँच-नीच की बातें करते हैं-झूठ। जाति के विचार में फंसकर हम भ्रमित हो गए हैं। इस भ्रम को दूर किया जाना चाहिए", ये बात RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कही थी. लेकिन मीडिया ने उन्हें एंटी ब्राह्मण बना दिया और उनके स्टेटमेंट को इस तरीके से पेश किया ताकि देश के ब्राह्मण समाज के लोग आरएसएस से खुद को अलग कर लें.

मोहन भागवत ने ब्राह्मणों के बारे में क्या कहा?

बात 5 फरवरी की है. आरएसएस प्रमुख संत रविवास जयंती पर एक मराठी कार्यक्रम में गए थे. उन्होंने अपना भाषण भी मराठी में दिया था. भागवत का भाषण खत्म हुआ और मीडिया ने बिना उनके कथन को समझे यह हेडलाइंस शुरू कर दी कि- मोहन भागवत ने ब्राह्मणों को जातिप्रथा का जिम्मेदार कहा है. सबसे पहले ANI और Aaj Tak ने यह अफवाह फैलाना शुरू किया।

असल में मीडिया वालों ने मोहन भागवत के मराठी भाषण को सही से ट्रांसलेट नहीं कर पाए. मोहन भागवत ने अपने भाषण में 'ब्राह्मण जैसे शब्द का इस्तेमाल ही नहीं किया, बल्कि उन्होंने पंडित शब्द का इस्तेमाल किया जिसका मराठी में अर्थ एक स्कॉलर यानी विद्वान् होता है.

पंडित ऐसा शब्द है जो किसी की जाति नहीं बल्कि किसी चीज़ में व्यक्ति के विद्वान् होने की बात को दर्शाता है. जैसे- राजनीति का पंडित, बिज़नेस का पंडित, यहां पंडित होने का तात्पर्य ब्राह्मण से नहीं उसके विद्वान् होने से है. और मोहन भागवत के पंडित कहने का तातपर्य भी ब्राह्मण नहीं विद्वान् होने से था.

ANI ने मोहन भागवत के बारे में लिखा- समाज के प्रति हमारी भी जिम्मेदारी है। जब सब कुछ समाज के लिए है तो कोई ऊँचा, कोई नीचा या अलग कैसे हो गया? भगवान ने हमेशा कहा है कि मेरे लिए सभी समान हैं, जाति या पंथ के आधार पर कोई अंतर नहीं है। लेकिन, पंडितों ने जो वर्गीकरण किया- वह गलत था।

ANI ने अपनी गलती मान ली

बाद में ANI ने अपनी गलती स्वीकार की, और इसे ट्रांसलेशन की गलती होना बताया। ANI ने वापस से ट्रांसलेशन किया। और मोहन भागवत के दिए भाषण का असली अर्थ बताया- "सत्य का ईश्वर, कहता है कि वह सर्वव्यापी है। नाम, योग्यता और सम्मान जो भी हो; कोई मतभेद नहीं। कुछ पंडित शास्त्रों के आधार पर जो कहते हैं वह झूठ है। हम जाति श्रेष्ठता के भ्रम से भ्रमित हैं। भ्रम को दूर करना होगा।

इतना तो साफ है कि मोहन भागवत यहां हिंदुओं को एक करने की बात कर रहे थे और सभी को समान रूप से देखने और सम्मान करने का संदेश दे रहे थे. उन्होंने ब्राह्मण जाति का नाम नहीं लिया। RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने एक वीडियो शेयर कर बताया कि असल में मोहन भागवत ने क्या कहा. इसके अनुसार मोहन भागवत ने कहा, "सच्चाई यह है कि वे सभी प्राणियों में निवास करते हैं। इसलिए उनका नाम जो भी हो, संबोधित किया जा रहा गुण वही है और सम्मान भी वही है। हर किसी में अपनत्व का भाव होता है। कोई ऊंचा या नीचा नहीं है। शास्त्रों के आधार पर विद्वान लोग जातिगत ऊँच-नीच की बात करते हैं- वह झूठ है।


Abhijeet Mishra | रीवा रियासत

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत

    Next Story