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Manish Murder Case: खाकी के अंदर छुपे दानवों की सच्चाई, सरकार डेमेज कंट्रोल करने में जुटी हुई है

Manish Murder Case: खाकी के अंदर छुपे दानवों की सच्चाई, सरकार डेमेज कंट्रोल करने में जुटी हुई है
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अब मृतक की पत्नी को न्याय मिले या सरकारी नौकरी उसका पति तो राक्षसों की भेंट चढ़ ही गया

गोरखपुर हत्याकांड: जो समाज के रक्षकों का राक्षसी चरित्र बयां करता है, इस मर्डर केस से खाकी के अंदर छुपे दानवों का पता चलता है और पुलिस डिपार्टमेंट के अंदर बैठे भेड़ियों की करतूत को जनता के सामने उजागर करता है। अब सरकार मृतक मनीष गुप्ता की पत्नी को सरकारी नौकरी मिल जाए या फिर गुनहगारों को फांसी हो जाए लेकिन इससे न तो उसका सुहाग वापस आएगा और न ही ऐसे कांडों पर लगाम लगेगी। यूपी सरकार आरोपियों के खिलाफ सख्त एक्शन तो ले रही है लेकिन इस बात की गारंटी क्या है की आगे से भविष्य में कोई बेक़सूर इन पुलिस की प्रताड़ना का शिकार नहीं होगा।

ये है पूरा मामला


कानपूर के रहने वाले मनीष गुप्ता अपने दोस्त के साथ गोरखपुर के रामगढ़ताल इलाके के एक होटल में ठहरे हुए थे। बीते सोमवार को होटल के कमरे में अचानक से कुछ पुलिस वाले आये और मनीष गुप्ता को पीटने लगे। पुलिस वालों ने बेक़सूर को इतना मारा की उसने अपने प्राण त्याग दिए। हरियाणा के रहने वाले मनीष गुप्ता के दोस्त हरदीप और प्रदीप ने मीडिया से पुलिस की एक एक करतूत बताई। वहीं मनीष गुप्ता की अपने भांजे से हुई बातचीत का ऑडियो भी सामने आया जिसमे पुलिस वाले उनके साथ बदतमीज़ी कर रहे थे। पुलिस वालों ने जब मनीष को मारडाला तब उसके शव को करीब डेढ़ घंटे तक अपने पास छुपा कर रखा। मरने के बाद भी एक निजी अस्पताल ले गए और वहां से हालत गंभीर बताते हुए मेडिकल कालेज ले गए। बताया गया है की मनीष की मौत तो उनकी मार खाने के बाद ही हो गई थी लेकिन जानबूझ कर उसके शव को छुपाए रखा था मनीष गुप्ता के दोस्तों ने पुलिस वालों की इस करतूत को उनके परिवार को बताया। मनीष की पत्नी मीनाक्षी को लेकर मंगलवार को गोरखपुर पहुंची और FIR की मांग करने लगी। पुलिस ने पहले FIR लिखने में आनाकानी की और जाँच के बाद रिपोर्ट लिखने की बात की लेकिन मीनाक्षी अपनी मांग पड़ टिकी रही. बाद में पुलिस ने मामला दर्ज किया और ASP विपिन टाडा ने एक इंस्पेक्टर सहित 6 पुलिसकर्मी को निलंबित कर दिया। पुलिस इस मामले को रफा दफा करने में जुटी थी तभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रात 12 बजे इस मामले में दखल दिया और पुलिस ने आगे की करवाई करनी शुरू की. मुख्यमंत्री ने मीनाक्षी को न्याय देने का आश्वाशन दिया और आरोपियों पर सख्त करवाई करने की बात कही। जिसके बाद इंस्पेक्टर जगत नरन सिंह, चौकी प्रभारी अक्षय मिश्रा सब इंस्पेक्टर विजय यादव को नामजद किया और बाकी 3 अज्ञात पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज किया।

आरोपी फरार हो गए हैं

मामला दर्ज होने के बाद से ही आरोपी फरार हो गए हैं, उन राक्षशो को ढूढ़ने के लिए पुलिस एक टीम जुट गई है। फ़िलहाल प्रॉपर्टी डीलर की हत्या करने वालों का कोई पता नहीं चल सकता है लेकिन अब ये मामला क्राइम ब्रांच को दे दिया है.

मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवार से मुलाकत की है


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलवाने के लिए पीड़ित परिवार को कानपूर जिला प्रशासन ले गया , जिसमे मृतक मनीष की पत्नी मीनाक्षी, बेटा अभिराज, पिता नंदकिशोर, भाई सौरभ, भांजे का दोस्त दुर्गेश बाजपेई, परिचित दीपक श्रीवास्तव, अधिवक्ता रंजीत सिंह और बहनोई रोहित गुप्ता शामिल हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा ही ऐसे पुलिसवालों का डिपार्टमेंट में रहना बर्दास्त नहीं करते हैं उन्होंने कहा की इस मामले से जुड़े हर पुलिस वाले पर सख्त करवाई होगी और उनको बर्खास्त किया जाएगा।

अखिलेश यादव भी पीड़ित परिवार से मिलने गए


सपा नेता अखिलेश कुमार यादव भी पीड़ित परिवार से मिलने गए। उन्होंने पीड़िता को 20 लाख रूपए की आर्थिक सहायता देने का एलान किया और परिवार का ढाढ़स बांधते हुए न्याय दिलाने की बात कही और ये भी कहा की अगर पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला तो पार्टी कानपूर से लखनऊ तक मार्च करेगी। अखिलेश ने भाजपा से पीड़िता को 2 करोड़ रुपए मुआफज़ा देने की मांग उठाई है और मनीष की पत्नी मीनाक्षी को सरकारी नौकरी देने की मांग को जायज़ बताया है। फिलहाल सरकार पीड़ित परिवार की मदद के लिए जुटी हुई है। और मीनाक्षी को ओएसडी के पद पर नौकरी देने का वादा किया गया है.

कब थमेगी पुलिस वालों की क्रूरता


कोई जबभी किसी पुलिस वाले की छवि अपने मन में देखता है तो उसको तोंद निकाले घूस लेने वाले एक भ्रष्ट अफसर की कल्पना होती है। क्योंकि यही सच्चाई भी है। लोग पुलिस वालों से अपमानित होते ही रहते हैं। बिना किसी की माँ बहन किए जैसे पुलिस वालों का दिन नहीं बीतता। आखिर ऐसा क्यों होता है। पुलिस किसी की बेज्जती क्यों करती है बेवजह लोगों की पिटाई क्यों होती है और लोग ऐसे पुलिसवालों के शिकार क्यों होते रहते हैं। यह बात स्वाभाविक है की किसी आदमी को 24 घंटे की ड्यूटी करनी पड़े तो इससे उनका स्वभाव बदल जाता है, चिढ़न होती है लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं की आप बेवजह किसी की बेदम पिटाई करने लगे। ऐसा ही एक मामला पिछले साल अमेरिका में हुआ था जब एक गोरे पुलिस वाले ने एक अश्वेत नागरिक को मार डाला था। अमेरिका की जनता सड़क पर उत्तर आई थी भारी बवाल हो गया था और बाद में इंसानियत दिखाते हुए अमेरिका की पुलिस ने आम नागरिको के सामने झुक कर अपनी गलती मानी थी। ऐसा भारत में क्यों नहीं होता यहाँ तो जब कोई पुलिसवाला अपराध करता है तो विभाग उसको बचाने में जुट जाता है। ऐसा नहीं है की पुलिस डिपार्टमेंट में अच्छे अफसर नहीं है लेकिन उनको ढूढ़ना चावल की बोरी से शक़्कर छांटने जैसा मुश्किल है।

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत

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