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1st May Labour Day : लेबर डे, यानि की आज के दिन ही मजदूरों ने पहली बार उठाई थी आवाज

Suyash Dubey | रीवा रियासत
1 May 2024 9:28 AM IST
Updated: 2024-05-01 04:00:39
1st May Labour Day : लेबर डे, यानि की आज के दिन ही मजदूरों ने पहली बार उठाई थी आवाज
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मई दिवस (Labour Day) : एक मई यानि इंटरनेशनल लेबर डे। दरअसल 1886 में 1 मई को ही अमेरिका के शिकागो शहर में हजारों मजदूरों ने एकजुटता दिखाते हुए प्रदर्शन किया था। उनकी मांग थी कि मजदूरी का समय 8 घंटे निर्धारित किया जाए और हफ्ते में एक दिन छुट्टी हो। इससे पहले मजदूरों के लिए कोई समय-सीमा नहीं थी। उनके लिए कोई नियम-कायदे ही नहीं होते थे। लगातार 15-15 घंटे काम लिया जाता था।

मई दिवस / लेबर डे (Labour Day) : हर साल एक मई को इंटरनेशनल लेबर डे मनाया जाता है। दरअसल 1886 में 1 मई को ही अमेरिका के शिकागो शहर में हजारों मजदूरों ने एकजुटता दिखाते हुए प्रदर्शन किया था। उनकी मांग थी कि मजदूरी का समय 8 घंटे निर्धारित किया जाए और हफ्ते में एक दिन छुट्टी हो। इससे पहले मजदूरों के लिए कोई समय-सीमा नहीं थी। उनके लिए कोई नियम-कायदे ही नहीं होते थे। लगातार 15-15 घंटे काम लिया जाता था।

ऐसे हुई मजदूर दिवस की शुरूआत

इतिहास बताता है कि करीब 135 साल पहले शिकागो का यह प्रदर्शन उग्र हो गया था। प्रदर्शनकारियों ने 4 मई को पुलिस को निशाना बनाकर बम फेंका। पुलिस की जवाबी फायरिंग में 4 मजदूरों की मौत हो गई और करीब 100 मजदूर घायल हो गए। इसके बाद भी आंदोलन चलता रहा।

1889 में जब पेरिस में इंटरनेशनल सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस हुई तो 1 मई को मजदूरों को समर्पित करने का फैसला किया। इस तरह धीरे-धीरे पूरी दुनिया में 1 मई को मजदूर दिवस या कामगार दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत हुई। आज अगर कर्मचारियों के लिए दिन में काम के 8 घंटे तय हैं तो वह शिकागो की आंदोलन की ही देन है।

1923 से भारत में हुई थी शुरूआत

भारत में 1 मई 1923 को लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने मद्रास में इसकी शुरुआत की थी। इसका नेतृत्व वामपंथी व सोशलिस्ट पार्टियां कर रही थीं। पहली बार लाल रंग का झंडा मजदूरों की एकजुटता और संघर्ष के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। तब से हर साल भारत में लेबर डे यानि मई दिवस मनाया जा रहा है।

Suyash Dubey | रीवा रियासत

Suyash Dubey | रीवा रियासत

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