Kashi Vishvanath Corridor: पीएम मोदी ने किया काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण, देखें तस्वीरें
Kashi Vishvanath Corridor: 13 दिसंबर 2021 की तारिख एक ऐतिहासिक दिन बन चुका है आज के दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी काशी में मौजूद 'विश्वप्रसिद्ध काशी विश्वनाथ' मंदिर के कॉरिडोर के निर्माण का लोकार्पण किया है। वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम के नए परिसर के लोकार्पण के दौरन पीएम मोदी ने पहले मंदिर में पूजा की और मंत्रोच्चारण किया और इसके बाद जिन मजदूरों ने कॉरिडोर का निर्माण किया उनके ऊपर फूलों की बरसात की गई। इस दौरन मोदी ने धर्माचार्यों से बात चीत की।
काशी विश्वनाथ मंदिर को रंगबिरंगी लाइटों और फूलों से सजाया गया यह अपने आप में खूबसूरत नजारा रहा। शुभ मुहूर्त रेवती नक्षत्र में दोपहर 1.37 बजे से लेकर 1.57 बजे तक 20 मिनट का रहा। मोदी ने अपना भाषण शुरू करने से पहले बाबा विश्वनाथ को प्रणाम किया।
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा
'मेरे प्यारे काशीवासियों और देश-विदेश से इस अवसर के साक्षी बन रहे सभी श्रद्धालुजन। बाबा विश्वनाथ के चरणों में हम शीश नवावत हैं। माता अन्नपूर्णा के चरणन के बार-बार वंदन करत हैं। अभी मैं बाबा के साथ-साथ नगर कोतवाल काल भैरव जी के दर्शन करके आ रहा हूं। देशवासियों के लिए उनका आशीर्वाद लेकर आ रहा हूं। काशी में कुछ भी खास हो, कुछ भी नया हो तो सबसे पहले उनसे पूछना आवश्यक है। मैं काशी के कोतवाल के चरणों में भी प्रणाम करता हूं।
उन्होंने आगे कहा कि आज विश्वनाथ धाम अकल्पनीय और अनंत ऊर्जा से भरा हुआ है। उसका वैभव विस्तार ले रहा है। इसकी विशेषता आसमान छू रही है। यहां आसपास जो अनेक प्राचीन मंदिर लुप्त हो गए थे, उन्हें भी पुनस्थापित किया जा चुका है। बाबा अपने भक्तों की सदियों की सेवा से प्रसन्न हुए हैं इसलिए उन्होंने आज के दिन का हमें आशीर्वाद दिया है। विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है, ये हमारी सनातन संस्कृति, अध्यात्मिक ऊर्जा, गतिशीलता, परंपराओं का प्रतीक है। आपको यहां केवल आस्था के दर्शन नहीं होंगे, आपको अतीत के गौरव का अहसास भी होगा। प्राचीनता और नवीनता एकसाथ सजीव हो रही है। पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य को दिशा दे रही हैं, इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में हम कर रहे हैं।'
मोदी ने भोजपुरी में दिया भाषण
हम बाबा विश्वनाथ दरबार से देश-दुनिया के उन श्रद्धालु जनन के प्रणाम करत हैं, जो इस अवसर के साक्षी बनत हन। काशीवासियन का प्रणाम जिनके सहयोग से ई घड़ी आयल है। आप सब लोगन के बहुत-बहुत बधाई हौ। जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है, सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है। एक अलौकिक ऊर्जा हमारी अंतरआत्मा को जाग्रत कर देती है। आपको इस चिरचैतन्य काशी की चेतना में अलग ही स्पंदन है। एक अलग आभा है। आज बनारस के संकल्पों में अलग ही सामर्थ्य दिख रहा है।'
कितना विशाल हुआ काशी विश्वनाथ कैंपस
पीएम मोदी ने कहा कि "गंगा उत्तरवाहिनी होकर विश्वनाथ के पांव पखारने आती हैं, वे भी बहुत प्रसन्न होंगी। मां गंगा को स्पर्श करती हुई हवा बाबा को प्रणाम करते वक्त स्नेह देगी। गंगा उन्मुक्त होंगी तो बाबा के ध्यान में गंगतरंगों की कलकल का दैवीय अनुभव भी होगा। बाबा विश्वनाथ सबके हैं, मां गंगा सबकी हैं। उनका आशीर्वाद सबके लिए है। समय और परिस्थितियों के चलते बाबा और गंगा की सेवा की ये सुलभता मुश्किल हो चली थी पर रास्तों की मुश्किल हो गई थी।"
विश्वनाथ धाम के पूरा होने से यहां हर किसी के लिए पहुंचना सुगम हो गया है। हमारे बुजुर्ग माता पिता बोट से जेटी तक आएंगे, जेटी से एक्सेलेटर हैं, वहां से मंदिर तक आएंगे। दर्शन के लिए घंटों तक का इंतजार और परेशानी अब कम होगी। पहले यहां मंदिर क्षेत्र केवल 3 हजार वर्गफीट में था, वह अब करीब 5 लाख वर्गफीट का हो गया है।"
जिसके हाथ में डमरू, केवल काशी में उसकी सरकार
देश के पीएम मोदी इस अवसर पर काफी खुश नज़र आये उन्होंने अपने भाषण में कहा कि , 'मुझे आश्चर्य होता था कि बनारस के लिए ऐसी धारणाएं बना ली गई थीं। ऐसे तर्क दिए जाने लगे थे। ये जड़ता बनारस की नहीं थी। हो भी नहीं सकती थी। थोड़ी बहुत राजनीति थी, स्वार्थ था इसलिए बनारस पर आरोप लगाए जा रहे थे, लेकिन काशी तो काशी है। काशी तो अविनाशी है। काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथ में डमरू है, उनकी सरकार है।'
मजदूरों पर फूल बरसाए
मोदी ने भोजपुरी भाषा में कहा कि ई विश्वनाथ धाम तो बाबा अपने हाथ से बनैले हन। कोई कितना बड़ा हवै तो अपने घरै के होइहै। उ कहिए तबै कोई आ सकेला और कछु कर सकैला। बाबा के साथ किसी और का योगदान है तो वो बाबा के गांव का है। बाबा के गण यानी हमारे सारे काशीवासी, जो खुद महादेव के रूप है। जब बाबा को अपनी शक्ति दिखानी होती है तो काशीवासियों को माध्यम बना देते हैं। फिर काशी करती है और दुनिया देखती है। इदम शिवाय, इदम नमम।"
'जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हो उस काशी को कौन रोक सकता है। भगवान शंकर ने खुद कहा है कि बिना मेरी प्रसन्नता के काशी में कौन आ सकता है, कौन इसका सेवन कर सकता है। काशी में महादेव की इच्छा के बिना आता है और न उनकी इच्छा के बिना कुछ होता है। यहां जो कुछ होता है महादेव की इच्छा से होता है। ये जो कुछ भी हुआ है, महादेव ने ही किया है।'
800 करोड़ रुपए की लागत से विकसित हुआ है विश्वनाथ धाम
बनारस में मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ धाम को 800 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से तैयार किया गया है। इसमें श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है। प्राचीन मंदिर के मूल स्वरूप को बनाए रखते हुए 5 लाख 27 हजार वर्ग फीट से ज्यादा क्षेत्र को विकसित किया गया है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का एरिया पहले 3,000 वर्ग फीट था। लगभग 400 करोड़ रुपए की लागत से मंदिर के आसपास की 300 से ज्यादा बिल्डिंग को खरीदा गया। इसके बाद 5 लाख वर्ग फीट से ज्यादा जमीन में लगभग 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से निर्माण किया गया। हालांकि, निर्माण कार्य अभी जारी है। इसमें प्रमुख रूप से गंगा व्यू गैलरी, मणिकर्णिका, जलासेन और ललिता घाट से धाम आने के लिए प्रवेश द्वार और रास्ता बनाने का काम है। धाम के लिए खरीदे गए भवनों को नष्ट करने के दौरान 40 से अधिक मंदिर मिले। उन्हें विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट के तहत नए सिरे से संरक्षित किया गया है।