Kantara God Story: कांतारा फिल्म के देवता 'पंजुरली' की कहानी जान उड़ जाएंगे आप होश, एक बार जरूर पढ़े
Story Of Panjurli: कन्नड़ फिल्म कांतारा (Kantara) देखने के बाद फैंस दो चीज़ों के बारे में जानना चाहते हैं पहला फिल्म के डायरेक्टर, राइटर और लीड एक्टर ऋषभ शेट्टी (Rishab Shetty) और दूसरा कांतारा फिल्म के देवता। कांतारा फिल्म में क्षेत्रीय दैव या देव पंजुरली (Panjurli) के बारे में बताया गया है. श्री पंजुरली भगवान विष्णु के वराह अवतार (Sri Varaha Avatar) हैं. जिन्हे कन्नड़ लोग पूजते हैं. क्षेत्रीय लोग भुत कोला (Bhoot Kola) नाम का त्यौहार मनाते हैं जहां नर्तक वराह अवतार यानी पंजुरली का वेश धरकर धार्मिक नृत्य करते हैं.
कांतारा फिल्म के देवता
Kantara Movie God Name: कांतारा फिल्म में ऋषभ शेट्टी क्लाइमेक्स में दैव पंजुरली का रूप लेते हैं. या यूँ कहें कि ऋषभ शेट्टी के मरने के बाद पंजुरली उनके शरीर में प्रवेश करते हैं और जंगल के दुश्मनों का खात्मा करते हैं. कन्नड़ लोगों का मानना है कि वराह अवतार उनकी रक्षा करते हैं. लेकिन देवता वहीं होते हैं जहां पहले दानवों का प्रकोप होता है. देव पंजुरली की भी यही कहानी हैं. जिन्होंने जंगल में रहने वाले एक दैत्य का सर्वनाश किया था.
पंजुरली कौन हैं
Who Is Panjurli Deity: कर्नाटक में पंजुरली देव का बहुत महत्त्व है और यहां रहने वाले लोग भूत कोला त्यौहार में पंजुरली देव का वेश रखकर उनके होने का एहसास कराते हैं. दैव पंजुरली के बारे में कई दंतकथाएं हैं.
पंजुरली देव की कहानी
Story Of Panjurli Dev: पंजुरली शब्द एक अपभ्रंश है 'पंजीदा कुर्ले' यानी युवा वराह। यह भगवान विष्णु के तीसरे अवतार श्री वराह अवतार का एक स्वरूप हैं. ऐसा कहा जाता है कि जब पृथ्वी में अन्न की उत्पत्ति हुई थी उसी समय पंजुरली देव अवतरित हुए थे.
पौराणिक कथा के अनुसार एक वराह देव के पांच पुत्र हुए मगर उनमें से एक नवजात बच्चा पीछे छूट गया। वो भूख प्यास से तड़पने लगा और मौत के कगार पर पहुंच गया। उसी समय माता पार्वती वहां भ्रमण करते हुए पहुंची । जब उन्होंने एक नवजात वराह शिशु को देखा तो उन्हें उसपर दया आ गयी और वे उसे लेकर कैलाश पर्वत ले आईं। वहां वो अपने पुत्र की तरह ही उसका पालन करने लगीं
कुछ सालों बाद उस बच्चे ने एक विकराल वराह का रूप ले लिया। समय के साथ उसके दाढ़ (दांत) निकल आये जिससे उसे बड़ी परेशानी होने लगी। उस खुजलाहट से बचने के लिए वो पृथ्वी पर लगी सारी फसलों को नष्ट करने लगा। इससे संसार में भोजन की कमी हो गयी और लोग भूख से त्रस्त हो गए। जब भगवान शंकर ने ये देखा तो उन्होंने सृष्टि के कल्याण के लिए उस वराह के वध का निश्चय किया।
जब माता पार्वती को ये पता चला तो उन्होंने महादेव से उसके प्राण ना लेने की प्रार्थना की। माता की प्रार्थना पर शिव जी ने उसका वध तो नहीं किया किन्तु उसे कैलाश से निकालकर कर पृथ्वी पर जाने का श्राप दे दिया। अपनी प्राण रक्षा के बाद उस वराह ने महादेव और माता पार्वती की अभ्यर्थना की और तब भोलेनाथ ने उसे एक दिव्य शक्ति के रूप में पृथ्वी पर जाने और वहां पर मनुष्यों और उनकी फसलों की रक्षा करने का आदेश दिया।तब से वो वाराह पृथ्वी पर "पंजुरली" देव के रूप में निवास करने लगे और पृथ्वी पर फसलों की रक्षा करने लगे। इसी कारण लोगों ने इन्हे देवता की भांति पूजना शुरू कर दिया।
विद्वानों का कहना है कि जब मानवजाति खेती करना शुरू कर चुकी थी तब जंगली सूअर उनकी खेती को नष्ट करने लगे थे. जिसे लोगों ने दैवीय शक्ति समझ उनकी पूजा शुरू कर दी. तब से पंजुरली उनकी रक्षा करने लगे.
पंजुरली और गुलिगा देवता
Panjurli And Guliga: एक बार देव पंजुरली और दूसरे भयानक रूप वाले देवता गुलिगा के बीच में युद्ध हुआ था. दोनों एक दूसरे की जान ले लेना चाहते थे. लेकिन बाद में माता पार्वती ने दखल दिया था और बाद में दोनों ही एक साथ भाई की तरह रहने लगे थे. कांतारा फिल्म में गुलिया के बारे में नहीं दिखाया गया. जब कन्नड़ लोग भूत कोला फेस्टिवल मनाते हैं तब पंजुरली देव के साथ गुलिगा देव का भी वेश रखकर नर्तक लड़ते हैं और फिर दोस्ती करते हैं.