मौसमी फलों पर भी महंगाई की मार, 'आम' भी हुआ तीन गुना महंगा
शायद इस वर्ष का ग्रह नक्षत्र ही ऐसा चल रहा है कि खाने पीने की चीजें जो कभी इतनी महंगी नहीं हुआ करती थी उन पर भी महंगाई का रंग चढ़ा रहा है। तभी तो हम कह रहे हैं कि इस बार फलों का राजा 'आम' अब आम नहीं रह गया वह भी खास हो गया है। इतना खास की अब उसे सामान्य जन जिन्हें आम लोग कहा जाता है उनके बस की बात नहीं रहेगी। अगर इस बार अब 'आम' खाने की इच्छा है तो अभी से जेब मजबूत करना शुरू कर दें। अन्यथा आम का स्वाद अब मिलने वाला नहीं है।
महंगे आम के लिए कौन जिम्मेदार
वर्तमान समय के हालात कुछ ऐसे चल रहे हैं कि अब जैसे ही महंगाई की बात आती है वैसे ही मोदी का नाम जुबान पर आ जाता है। पर क्या अब आम महंगा होने के पीछे भी पीएम मोदी का हाथ है। पर लोग कहां सुनने वाले हैं।
महंगाई का नाम सामने आते ही लोग यह कहने में देर नहीं लगती कि जिस महंगाई को दूर करने के नाम पर सत्ता पर आई भाजपा और मोदी अब वही महंगाई बढ़ाकर जनता के मजे ले रही है।
खाने-पीने के तेल साबुन जीरा धनिया अब कुछ नहीं बचा जिसमें महंगाई की मार न पड़ रही हो। अब तो बाजार जाने से भी डर लगने लगा है।
घर का मुखिया भगवान से मना रहा है कि वह वह कुछ दिनों के लिए बहरा हो जाए। उसे कुछ सुनाई ही न पड़े। घर के लोगों की फरमाइश एक ओर और बढ़ती कीमत में तालमेल बिठाना मुश्किल पड़ रहा है। वह हम क्या सोचता है कि अगर वह बहरा हो गया तो कुछ सुनेगा ही नहीं तो फिर लाने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
नहीं नसीब होगा पना-रोटी
फिर भी हम बात कर रहे हैं उस आम की जिसकी मिठास वर्ष में एक बार इन्हीं गर्मी के दिनों में मिलते हैं लेकिन शायद इस बार मोदी का साथ भगवान भी देने वाला है। लोग दाल रोटी गर्मी के समय कच्चे आम का बना पना रोटी के साथ खा लिया करते थे। लेकिन इस बार वह भी नसीब होने वाला नहीं है। वहीं जैसे ही आम पक जाता था सब्जी का काम ही गांव में खत्म हो जाता है। रोटी और पके आम का रस क्या स्वाद देता था कि वाह कहना ही क्या है। लेकिन इस बार न पेड़ों में आम है बाजार में महंगे आम कौन खरीद कर खाएगा।
कम से कम डेढ़ सौ रुपए किलो
अगर आम के रेट की बात अभी से करें तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार कम से कम डेढ़ सौ रुपए किलो हम बिकने वाले हैं। क्योंकि मौसम के परिवर्तन की वजह से आम की फसल पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है। जहां कहीं भी थोड़े बहुत आम बचे हैं वहां कच्चे आम ही 80 से 100 रूपये किलो बिक रहे हैं। अब आप अंदाजा लगा लीजिए कि कितने आम पकने के लिए बच पाएंगे और उनका रेट क्या होगा।
क्या रहेंगे आम के दाम
अंदाजा लगाया जा रहा है कि गुजरात महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से आने वाले आम के लिए अभी इंतजार करना होगा। और मध्य प्रदेश से आने वाले लंगड़ा दशहरी और केसर मैं भी अभी समय है। हर जगह आम की फसल कमजोर है इसलिए इनकी कीमत 150 रुपए प्रति किलो से कम होने वाली नहीं है।
बात अगर हापुस की करें तो इस बार हापुस के फल भी कम ही बगीचों में दिख रहे हैं। जब आप खुद ही अंदाजा लगा लीजिए कि जब सामान्य उत्पादन पर हापुस आम 500 से 1000 रुपए किलो बिकता है तो इस बार उसके क्या दाम होंगे आप अंदाजा लगा सकते हैं।