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भारत 2023 से 20% इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल बेचेगा, होंगे भारतीय ऊर्जा क्षेत्र में ये बड़े बदलाव
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विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इथेनॉल आधारित पेट्रोल का उपयोग करने के भारत के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के निर्णय की घोषणा की है। भारत 2025 से E20 या 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल का उपयोग शुरू करने के लिए तैयार है। इसे प्राप्त करने का पिछला लक्ष्य 2030 था। इससे भारत को वाहनों के प्रदूषक उत्सर्जन को कम करने के अलावा ईंधन आयात बिल में किए गए खर्चों को बचाने में मदद मिलेगी।
भारत सरकार ने पहले 2022 तक पेट्रोल में 10% इथेनॉल-मिश्रण तक पहुंचने का लक्ष्य रखा था और 2030 तक 80% पेट्रोल के साथ 20% इथेनॉल के मिश्रण का लक्ष्य रखा था जिसे E20 कहा जाएगा। इथेनॉल मूल रूप से एथिल अल्कोहल है जो अनाज और खेत के कचरे से बनाया जाता है। यह कम प्रदूषणकारी है और ऑक्टेन स्तर को बढ़ाकर पेट्रोल की तुलना में कम लागत पर समकक्ष दक्षता प्रदान करने का दावा करता है।
दुनिया भर के कई देश वाहनों के उत्सर्जन से होने वाले प्रदूषकों को कम करने के लिए पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण के विचार को बढ़ावा दे रहे हैं। US और ब्राजील काफी समय से वैकल्पिक ईंधन के रूप में इथेनॉल का उपयोग करने में सबसे आगे हैं।
E20 की शुरुआत के साथ भारतीय ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव देखने को मिलेंगे।
1. तेल आयात बिल में भारी कमी
भारत कुल मिलाकर तेल का आयात करने वाला देश है और देश वैश्विक उत्पादकों से कच्चे तेल के आयात पर भारी मात्रा में रुपया खर्च करता है। अनुमान के मुताबिक, पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिलाने से सालाना लगभग 30,000 करोड़ रुपये की बचत होगी। FY2020-21 में भारत का शुद्ध पेट्रोलियम आयात बिल $ 551 बिलियन था। यह संभावित रूप से आयात लागत को कम करने में मदद कर सकता है।
2. व्यापार के नए अवसर और रोजगार सृजन
पेट्रोल के साथ 20% इथेनॉल मिश्रण के लिए देश में अधिक इथेनॉल उत्पादन की आवश्यकता होगी। 20% एथेनॉल मिश्रण प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ एथेनॉल के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि करने की आवश्यकता है। इससे कई लोगों के लिए नए व्यापार अवसर पैदा होंगे, जिससे रोजगार सृजन भी होगा।
3. भारत फ्लेक्स-फ्यूल इंजन की शुरूआत देख सकता है
भारत में वाहनों को चलाने में फ्लेक्स-फ्यूल इंजन का उपयोग अभी पेश किया जाना बाकी है। लेकिन ऑटोमोबाइल की दुनिया में यह कोई नई बात नहीं है। Hyundai और Toyota जैसे वाहन निर्माता ब्राजील और अमेरिका में फ्लेक्स-फ्यूल इंजन वाली कारों की बिक्री कर रहे हैं। ये इंजन इथेनॉल आधारित ईंधन पर चलने के लिए अनुकूल हैं और कम प्रदूषक उत्सर्जित करते हैं।
सरकार का नवीनतम कदम भारत में इथेनॉल आधारित फ्लेक्स-फ्यूल इंजन की शुरूआत को बढ़ावा दे सकता है। इससे देश में एक नया प्रौद्योगिकी विकास क्षेत्र तैयार होगा और वाहनों के उत्सर्जन स्तर को काफी कम करने में मदद मिलेगी।
4. कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने की संभावना
भारत सरकार का दावा है कि वित्त वर्ष 2013-14 में लगभग 38 करोड़ लीटर इथेनॉल खरीदा गया था जबकि की चालू वित्त वर्ष में 320 करोड़ लीटर ख़रीदा गया है। इसका मतलब है कि इथेनॉल उत्पादन और मांग में लगभग आठ गुना वृद्धि हुई है, जिसकी कीमत ₹ 21,000 करोड़ है। इस पैसे का एक बड़ा हिस्सा उन किसानों के पास जाता है जो अनाज और खेत के कचरे का स्रोत हैं। पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिलाने के लक्ष्य से किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।
5. वाहनों से होने वाले प्रदूषण में कमी
इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल का उपयोग करने का स्पष्ट प्रभाव वाहनों से उत्सर्जन का कम होना है। केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, अकेले भारत में दोपहिया वाहन 70% से अधिक पेट्रोल की खपत करते हैं। कुल वाहनों के प्रदूषण में सबसे अधिक योगदान देने में दोपहिया वाहन भी है। E20 को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने से दोपहिया वाहनों द्वारा होने वाला प्रदूषण कम करने में मदद करेगा।
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