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Russia-Ukraine War के बीच भारत को होने वाले है ये शानदार फायदे, देश के हर नागरिक को जानना जरूरी

Shailja Mishra | रीवा रियासत
5 March 2022 1:03 PM IST
Updated: 2022-03-05 07:36:27
indian pm narendra modi with vladimir putin
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यूक्रेन-रूस के बीच हो रहें विवाद (Russia-Ukraine War) का असर पूरी दुनिया में हो रहा है। जिसमें भारत भी शामिल है।

यूक्रेन-रूस के बीच हो रहें विवाद (Russia-Ukraine War) का असर पुरी दुनिया हो रहा है। जिसमें भारत भी शामिल है। इस युद्ध का असर आपके ऊपर भी पड़ सकता है। इस जंग में आपके लिए आटा बिस्कुट खरीदना भारी पड़ सकता है। पर सकता है यहां तक कि आपको 28 को खरीदना महंगा हो सकता है। क्योंकि इस का मुख्य कारण गेंहू की कीमतों का बढ़ना है। इससे कंपनियों और ग्राहकों दोनों पर असर पड़ेगा। आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे की इस युद्ध के बीच गेहूं की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं।

गेहूं की कीमतें बढ़ने का मुख्य कारण

भारत अपनी जरूरत में से अधिकतर गेहूं का निर्यात करता है। लेकिन, दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं का निर्यातक देश रूस है। वहीं, यूक्रेन दुनिया में गेहूं का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। दुनियाभर में कुल 20 करोड़ टन के गेहूं का निर्यात किया जाता है। कुल निर्यात में रूस और यूक्रेन का हिस्सा करीब पांच से छह करोड़ टन का है। दुनिया में गेहूं के कुल निर्यात का बड़ा हिस्सा रूस और यूक्रेन से होता है, जिन दोनों देशों के बीच युद्ध जा रही है। जिसका असर गेहूं पर भी पड़ रहा है।

भारत गेहूं के बड़े निर्यातक के तौर पर सामने आ सकता है

भारत के सामने गेहूं का बड़ा निर्यातक बनने का अच्छा अवसर है। देश के किसानों के लिए यह अच्छी खबर हो सकती है। रूस और यूक्रेन जो गेहूं के बड़े निर्यातक हैं, उनकी सप्लाई चैन में रुकावटें आई हुई हैं। भारत गेहूं का उत्पादन बढ़ाकर दुनिया का एक बड़ा गेहूं निर्यातक के तौर पर सामने आ सकता है। भारत गेहूं का दूसरा बड़ा उत्पादक है। उपस्थित समय में भारत के पास गेहूं की सप्लाई भी पर्याप्त मात्रा में है जो निर्यात बढ़ाने में सहायता कर सकता है।

1 फरवरी तक देश के केंद्रीय पूल में 2.82 करोड़ टन गेहूं का स्टॉक दर्ज किया गया है। जिसके अलावा बाजार और किसानों के पास भी पिछला स्टॉक पड़ा है। इस साल भारत में गेहूं के 11 करोड़ टन से अधिक के उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है। सालभर में देश की अपनी खपत लगभग 10.5 करोड़ टन रहती है एवं घरेलू जरूरत पूरा होने के बाद भी निर्यात के लिए पर्याप्त गेहूं बच जाता है। इससे किसानों को भी अधिक फायदा होगा जिस पर भारत सरकार को ध्यान देना चाहिए।

सप्लाई चैन में बाधा बना, युद्ध

रूस-यूक्रेन के बीच हो रहे विवाद के चलते गेहूं की सप्लाई चैन में भी रुकावट आई है। सप्लाई चैन में परेशानी के कारण ओपन मार्केट में गेहूं की कीमतें बढ़ी है। अधिकतर कंपनियां, जिसमें भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं, ओपन मार्केट में ही गेहूं खरीदती हैं, यहां गेहूं के दाम बीते 15 दिनों में ₹85 क्विंटल बढ़ गए हैं।

कंपनियों और ग्राहकों के लिए ओपन मार्केट में कीमतें बढ़ने से परेशानी हुई। जब कंपनियां अधिक दाम पर गेहूं की खरीद करेगी, तो उनके प्रोडक्ट की कीमत भी बढ़ेंगी। ग्राहकों के लिए आटे से बने प्रोडक्ट्स जैसे बिस्किट, मैदा जैसे खाद्य पदार्थों को खरीदना महंगा हो सकता है। इसके अलावा बड़े ब्रांड्स के रेस्टोरेंट्स में खाना भी महंगा होने वाला है।

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