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बलूचिस्तान का इतिहास: पाकिस्तान से बलूचिस्तान को आज़ाद करने के लिए कैसे जन्मा BLA, इतिहास जान लीजिए

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत
28 April 2022 3:15 PM IST
Updated: 2022-04-28 09:49:53
बलूचिस्तान का इतिहास: पाकिस्तान से बलूचिस्तान को आज़ाद करने के लिए कैसे जन्मा BLA, इतिहास जान लीजिए
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History of Balochistan In Hindi: हाल ही में कराची यूनिवर्सिटी में BLA की महिला ने खुद को बम से उड़ा कर 5 लोगों को मार डाला था, जिसके बाद फिर से बलूचिस्तान को आज़ाद करने की मांग उठ रही है

बलूचिस्तान का इतिहास: पाकिस्तानी सरकार और पाकिस्तानी सेना दशकों से बलूचिस्तान की जमीन का दोहन और बलूच के लोगों का शोषण कर रही है, बलूच के लोगों ने अपने मुल्क को आतंकी देश पाकिस्तान से आज़ाद करने के लिए खुद आत्मघाती कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है, वहां के लोगों का जीवन नरक से भी बदतर हो गया है, अलबत्ता बलूचिस्तान के लड़ाकों का समूह जिसे Balochistan Liberation Army (BLA) कहा जाता है उन्होंने अपने देश को पाकिस्तान से आज़ाद करने का बीड़ा उठाया है.

एक बार फिर से BLA को आतंकी संगठन कहा जाने लगा है, क्योंकि BLA से जुडी एक महिला ने कराची युनिवर्सिटी में खुद को बम से उड़ा दिया और इसी के साथ इस धमाके में 2 पाकिस्तानी और 3 चीनी स्टूडेंट्स की मौत हो गई, इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने बलूच के लोगों पर कहर ढाना शुरू कर दिया। असल में BLA कोई आतंकी संगठन नहीं है यह सिर्फ अपने देश को आतंकी मुल्क पाकिस्तान के जुल्म से रिहा करने के लिए बनाया गया लड़ाकों का एक समूह है।

बलूचिस्तान कहां है (where is Balochistan)

बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है जो अफगानिस्तान के दक्षिण-पश्चिम कोने में स्थित है, जो पश्चिम में ईरान से, पूर्व में पंजाब और सिंध प्रांतों से और उत्तर में पख्तूनख्वा प्रांत और दक्षिण में अरब सागर से घिरा हुआ है। यह कभी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं था, लेकिन पाकी सरकार और सेना ने मिलकर यहां अपना कब्ज़ा जमा लिया और खनिजों को निकालने के लिए जमीन का दोहन शुरू कर दिया, जब बलूच के लोगों ने इसका विरोध किया तो उन्हें भी प्रताड़ना सहनी पड़ी.

बलूचिस्तान 30 जिलों में बंटा है, क्वेटा, प्रांत का यहां का सबसे महत्वपूर्ण शहर है. जो अफगान बॉर्डर के पास स्थित है और बलूच की राजधानी के साथ-साथ एक महत्वपूर्ण कमर्शियल और कम्युनिकेशन का केंद्र है.

बलूचिस्तान में पाकिस्तान ने कब्ज़ा क्यों किया है

Why has Pakistan occupied Balochistan?ऐसा इस लिए क्योंकि पाकिस्तान एक भिखमंगा देश है, जहां न तो कोई खनिज है और न बड़ी इंडस्ट्री हैं, लेकिन बलूच की जमीन खनिजों से भरपूर है इतना ही नहीं बलूच पाकिस्तान के लिए नेचुरल गैस प्राप्त करने का बहुत बड़ा जरिया है. पाकिस्तान का 40% नेचुरल गैस प्रोडक्शन बलूचिस्तान से होता है, यहां दुनिया के कुछ सबसे बड़े तांबे, सोने और पेट्रोलियम के भंडार भी हैं। भौगोलिक और रणनीतिक रूप से, बलूचिस्तान प्रांत पाकिस्तान के लिए एक राज्य और अर्थव्यवस्था के रूप में एक बहुत बड़ा महत्व रखता है। लेकिन वहां के लोग खुद को पाकिस्तानी नहीं मानते और अलग देश की मांग करते हैं.

पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में कब कब्ज़ा किया

When Pakistan occupy Balochistan: साल 1947 में जब भारत-पाक बटवारा हुआ था तभी से पाकिस्तान की नज़र बलूच की जमीन में पड़ गई थी. उस वक़्त बलूचिस्तान के क्वेटा, नसीराबाद तहसील, नोशकी और बोलन के आसपास के क्षेत्रों में ब्रिटिश मुख्य आयुक्त के शासन वाले प्रांत, कलात के खानटे, लास बेला, मकरान और खारान नामक चार रियासतें शामिल थीं।

ब्रिटिश हूमूमत के बाद जब भारत-पाक का बटवारा हुआ तो इन चार रियासतों में रहने वाले लोगों को दो ऑप्शन दिए गए थे, या तो वह पाकिस्तान के साथ जाएं या फिर भारत का हिस्सा बनें। इसके अलावा बलूच के लोगों के पास यह भी विकल्प था कि अगर वह 15 अगस्त 1947 तक इन दोनों देशों में से किसी एक को नहीं चुनते हैं तो वह ऑटोनोमस प्रान्त यानी दोनों देशों से अलग राष्ट्र होगा। बलूच की कलात रियासत ने खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया था. 27 मार्च 1948 के दिन पाकिस्तान ने जबरन बलूचिस्तान को पाकिस्तान का प्रान्त घोषित कर दिया था.

पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में कैसे कब्ज़ा किया

How Pakistan occupied Balochistan: जून 1948 तक बलूचिस्तान पाकिस्तान का एक प्रांत बन चुका था। प्रिंस करीम खान ने बलूचिस्तान के पाकिस्तान में शामिल होने को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, तो उन्होंने स्वतंत्रता की घोषणा की और अपना मुल्क छोड़कर अफगानिस्तान चले गए, वो किसी भी हाल में अपनी रियासत पाकिस्तान के हवाले नहीं करना चाहते थे, करीम खान बलूच से अफ़ग़ान इसी लिए गए ताकी सेना जुटा पाएं जो पाकिस्तानी सेना का सामना कर सके. पाकिस्तान के खिलाफ बलूच के लोगों की यह पहली लड़ाई थी, और आज भी बलूच के लोग अपनी आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

बलूचिस्तान के लोगों ने 1948 में विद्रोह शरूआत के बाद, साल 1958, 1963-69, 1973-77 में तीन बार पाकिस्तान के खिलाफ विद्रोह किया था. साल 2003 में बलूच के लोगों ने फिर से पाकिस्तान के खिलाफ अभियान चलाया, इस बार पाकिस्तान द्वारा चीन को बेचे गए बलूच के "ग्वादर बंदरगाह" के चलते उन्हें हथियार उठाने पड़े थे. पाकिस्तान ने "ग्वादर बंदरगाह" को 40 साल के लिए चीन को लीज में देदिया था. इससे उनकी जमीन, सभ्यता, संस्कृति खतरे में पड़ गई थी.

बलूच की आज़ादी के लिए 5 संगठन पाकिस्तान से लड़ते हैं

1. The Balochistan Liberation Army (BLA) (बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी)

2. Baloch Liberation Front (BLF) (बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट)

3. Baloch Republican Army (BRA) (बलूचिस्तान रिपब्लिकन आर्मी)

4. Lashkar-e-Balochistan (लश्कर-ए बलूचिस्तान)

5. Baloch Jhalawan Tigers (बलूच झलवान टाइगर्स)

बलूच की आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाले इन संगठनों को पाकिस्तानी सरकार आतंकी संघन घोषित कर चुकी है. ये बात और है कि खुद पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ है

बलूचिस्तान क्यों पाकिस्तान से अलग होना चाहता है

Why does Balochistan want to separate from Pakistan: यह कभी पाकिस्तान का हिस्सा था ही नहीं, पाकिस्तान ने यहां हमला किया, लोगों को मारा, उनकी जमीन में कब्जा करके, दोहन किया, विदेशी लोगों को बलूच की जमीन बेच दी और यहां रहने वाली महिलाओं, बच्चियों के का सौदा किया, मर्दों को मार डाला गया. बलूच का कभी विकास नहीं हुआ, यहां रहने वाले लोगों को शिक्षा, सुविधा से वंचित रखा जाता है. बलूचिस्तान, पाकिस्तानी सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है क्योंकि यह तेल और गैस का बड़ा स्रोत है। पाकिस्तान ने सिर्फ बलूच का इस्तेमाल किया उन्हें बदले में कुछ नहीं दिया।

बलूचिस्तान क्यों आज़ाद होना चाहता है, इसके तीन प्रमुख कारण हैं


  • पूरे पाकिस्तान में सबसे बड़े प्रान्त बलूचिस्तान में जीवन प्रत्याशा (Life expectancy) शिक्षा, प्राथमिक शिक्षा सबसे बदतर है. यह अच्छी जिंदगी जीने के नजरिये से बेहद ख़राब प्रान्त है.
  • बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की भारी सैन्य उपस्थिति है। बड़ी संख्या में सैन्य चौकियों के अलावा, पाकिस्तानी राज्य ने क्षेत्रीय प्रतिरोध समूहों को दबाने के लिए बल का प्रयोग किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप हिंसा, मानवाधिकारों का उल्लंघन, बड़े पैमाने पर आंतरिक विस्थापन और सैकड़ों नागरिकों और कर्मियों की मौत हुई है और होती रहती है
  • चीन द्वारा पाकिस्तान के साथ अनुबंध के तहत शुरू की गई इस क्षेत्र में बड़ी परियोजनाएं भी बलूच के लोगों के लिए निराशा और चिंता का कारण हैं।

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