हिन्दू अल्पसंख्यक राज्य: देश के 9 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक, SC ने देवकीनंदन ठाकुर की याचिका पर क्या कहा
Hindu minority states in India: भारत के 9 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं. ये बात चौकाने वाली तो है ही लेकिन सच है। हिन्दू बहुल देश भारत के 29 राज्यों में 9 राज्य ऐसे हैं जहां हिन्दुओं की संख्या माइनोरिटी में है लेकिन अल्पसंख्यक होने का फायदा सिर्फ उन्हें मिलता है जो असल में राज्य के अंदर बहुसंख्यक हैं.
केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में इसी मसले से जुडी एक याचिका दायर की है। और देश के 9 राज्यों में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने की अपील की है क्योंकी इन राज्यों में हिन्दुओं की संख्या बहुत कम और संविधान के अनुसार उन्हें अल्पसंख्यकों को दिए जाने वाले लाभ मिलने चाहिए जो अबतक किसी सरकार की तरफ से नहीं मिले, और न देश के सिस्टम ने अबतक हिन्दू माइनोरिटी को लाभ देने के बारे में कभी सोचा। कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने भी SC में इस मसले में याचिका लगाई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया ने इसे राज्यों का मसला बता दिया। SC ने कहा कि अल्पसंखयकों को जिलेवार नहीं राज्य स्तर पर ही तय किया जा सकता है.
भारत के किन राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं
लद्दाख, मिजोरम, लक्ष्यदीप, जम्मू-कश्मीर, नागालैंड, मेघायल, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर में हिन्दुओं की आबादी ईसाईयों और मुसलमानों व सिक्खों से बहुत कम है। और कई दशकों से यहां हिन्दू आबादी कम ही है लेकिन उन्हें कभी अल्पसंख्यकों का दर्जा नहीं दिया गया और न कभी उन्हें इसका लाभ मिला।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ
संविधान के अनुसार राज्य सरकारें अपने प्रदेश में हिन्दुओं या किसी भी अल्पसंख्यक को, धार्मिक या भाषाई आधार पर अल्पसंख्यल घोषित कर सकती हैं. केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में यह दलील अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर दिया है। अधिवक्ता ने अपनी याचिका में धारा-2 (एफ) की वैधता को चुनौती देते हुए देश के विभिन्न राज्यों में अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए गाइडलाइन जारी करने के निर्देश देने की मांग की है. उनकी दलील है कि देश के 9 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं लेकिन उन्हें इसका लाभ नहीं मिलता।
हिंदुस्तान के 9 राज्यों में हिन्दू अल्पसंखयक है जबकि पहले इन राज्यों में भी हिन्दू बहुल हुआ करते थे. जिन राज्यों में हिन्दू अल्पसंखयक हैं वहां सरकार अल्पसंखयकों का लाभ उन्हें दे रही है जो बहुल है. इससे बड़ा अन्याय और क्या हो सकता है.