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खुशखबरी: इस साल मानसून सामान्य से बेहतर रहने का अनुमान, IMD ने जारी किया पूर्वानुमान; जानें MP समेत कहां होगी अच्छी बारिश

खुशखबरी: इस साल मानसून सामान्य से बेहतर रहने का अनुमान, IMD ने जारी किया पूर्वानुमान; जानें MP समेत कहां होगी अच्छी बारिश
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भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 2025 के मानसून सीजन के लिए अपना पहला पूर्वानुमान जारी कर दिया है, जो देश के लिए अच्छी खबर लेकर आया है। इस साल जून से सितंबर के दौरान सामान्य से बेहतर (105% LPA) बारिश होने की संभावना है, जो कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए राहत भरा संकेत है।

IMD का मानसून 2025 पूर्वानुमान: चिलचिलाती गर्मी के बीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मंगलवार को देश के लिए राहत भरा पूर्वानुमान जारी किया है। IMD के अनुसार, इस वर्ष 2025 में दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) के दौरान सामान्य से बेहतर वर्षा होने की प्रबल संभावना है। मौसम विभाग ने लंबी अवधि के औसत (LPA) का 105% बारिश होने का अनुमान लगाया है, जिसमें 5% की मॉडल त्रुटि हो सकती है। IMD के अनुसार, 104% से 110% के बीच की बारिश को 'सामान्य से बेहतर' माना जाता है। यह पूर्वानुमान देश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था और जल संसाधनों के लिए शुभ संकेत है।

कितनी बारिश का है अनुमान? (LPA Explained)

IMD प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि चार महीने के मानसून सीजन के लिए लंबी अवधि का औसत (LPA) 868.6 मिलीमीटर यानी 86.86 सेंटीमीटर है। इस साल 105% बारिश का मतलब है कि देश में औसतन करीब 87 सेंटीमीटर वर्षा दर्ज की जा सकती है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने 2022 में LPA को अपडेट कर 87 सेंटीमीटर किया था, जो पहले 88 सेंटीमीटर था। LPA में +/- 4% तक की घट-बढ़ को सामान्य मानसून माना जाता है।

क्षेत्रीय पूर्वानुमान: MP में अच्छी बारिश, कुछ राज्यों में कमी संभव

IMD ने अपने पूर्वानुमान में क्षेत्रीय वितरण की भी जानकारी दी है। इसके अनुसार, मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीप के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। विशेष रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मराठवाड़ा और उससे सटे तेलंगाना में अच्छी बारिश का अनुमान है। हालांकि, बिहार, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, तमिलनाडु और पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। मानसून आमतौर पर 1 जून के आसपास केरल तट पर दस्तक देता है और सितंबर अंत तक राजस्थान से इसकी वापसी होती है।

अल नीनो का खतरा नहीं, पर हीटवेव बढ़ेगी

मौसम विभाग के प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि इस साल मानसून पर अल नीनो (El Niño) का प्रभाव रहने की आशंका नहीं है, जो अक्सर भारतीय मानसून को कमजोर करता है। अल नीनो एक जलवायु पैटर्न है जिसमें प्रशांत महासागर की सतह असामान्य रूप से गर्म हो जाती है। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि देश के कई हिस्सों में पड़ रही भीषण गर्मी का प्रकोप जारी रहेगा और अप्रैल से जून के बीच, विशेषकर मई-जून में, हीटवेव (लू) वाले दिनों की संख्या सामान्य से अधिक हो सकती है। इससे बिजली ग्रिड पर दबाव बढ़ने और पानी की कमी होने की आशंका है।

मानसून का महत्व: कृषि और अर्थव्यवस्था की रीढ़

भारत में साल भर होने वाली कुल बारिश का लगभग 70% हिस्सा मानसून के चार महीनों (जून-सितंबर) में ही प्राप्त होता है। देश का करीब 52% कृषि क्षेत्र और 70-80% किसान सिंचाई के लिए सीधे मानसून पर निर्भर हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की हिस्सेदारी लगभग 20% है और यह आधी आबादी को रोजगार देता है। इसलिए, अच्छा मानसून न केवल भरपूर फसल सुनिश्चित करता है बल्कि महंगाई को नियंत्रित रखने, ग्रामीण आय बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खराब मानसून सूखे की स्थिति पैदा कर सकता है और खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ा सकता है।

बदलता पैटर्न और पिछले पूर्वानुमान

मौसम विज्ञानी अब यह भी देख रहे हैं कि मानसून के दौरान बारिश के कुल दिनों की संख्या कम हो रही है, लेकिन कम समय में भारी बारिश की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे बाढ़ और सूखे दोनों का खतरा बढ़ रहा है। पिछले पूर्वानुमानों की सटीकता देखें तो IMD और निजी एजेंसी स्काईमेट के अनुमानों में भिन्नता रही है। पिछले 5 वर्षों (2020-2024) में स्काईमेट का अनुमान केवल 2023 में सटीक रहा, जबकि IMD का अनुमान 2021 में लगभग सही था। 2024 में दोनों के अनुमान से अधिक (108% LPA) बारिश हुई थी।

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