Old Pension Scheme को लेकर कर्मचारियों के लिए गुड न्यूज़! Central government ने जारी किया Latest Update
Old Pension Scheme 2023
Old Pension Scheme 2023: देश के कुछ राज्यों में पुरानी पेंशन योजना लागू (Old Pension Scheme) कर दी गई है। अब देश के तमाम सभी राज्य तथा केंद्रीय कर्मचारी भी पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग कर रहे हैं। आने वाले दिनों में देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव तथा वर्ष 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है। अभी से कई राजनीतिक पार्टियां पुरानी पेंशन योजना को चुनावी मुद्दा बनाते हुए घोषणा कर रहे हैं कि उनकी सरकार बनते ही पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी जाएगी। इस पर केंद्र सरकार सतर्क है और पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के लिए एक नया विकल्प तैयार कर रही है।
चल रहा विचार मंथन old pension scheme latest news
पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा विचार मंथन किया जा रहा है। इसके लिए सरकार और पेंशन रेगुलेटर 3 उपायों पर केंद्रित है। पहला उपाय कुछ इस तरह है कि ओल्ड पेंशन के तहत लास्ट सैलरी की आधी रकम पेशन में मिले लेकिन इसके लिए कर्मचारी को योगदान करना होगा। इस तरह की एक योजना आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही है।
एनपीएस में तय हो न्यूनतम पेंशन nps vs old pension scheme
वही दूसरा उपाय यह है कि एनपीएस के तहत न्यूनतम पेंशन तय कर दी जाए। लेकिन इस पर कर्मचारियों की शिकायत है कि कर्मचारियों का योगदान होता है लेकिन रिटर्न पे नहीं है। हालांकि संकेत मिल रहे हैं कि एनपीएस मैं मौजूद कर्मचारियों की शिकायत को दूर करते हुए न्यूनतम रिटर्न 4 से 5 प्रतिशत हो सकता है। इसके अलावा एनपीएस में मैच्योरिटी के समय 60 प्रतिशत रकम कर्मचारियों को दे दी जाती है। अगर इसे भी पेंशन में लगा दिया जाए तो पेंशन की रकम बढ सकती है।
न्यूनतम पेंशन की गारंटी old pension Yojna 2023
तीसरे उपाय के तौर पर अटल पेंशन योजना की तरह न्यूनतम पेंशन की गारंटी दी जानी चाहिए। अभी इसमें 1000 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक की पेंशन टाइम है। पीएफआरडीए अटल पेंशन योजना को देख रही है। पीएफआरडीए का कहना है कि 5000 की लिमिट को समाप्त किया जा सकता है लेकिन इसके लिए वित्तीय कमी की स्थिति को दूर करने के लिए सरकार मदद का जिम्मा ले।
जानकारी के अनुसार तीनों ही स्थितियों का जायजा पीएफआरडीए द्वारा लिया जा रहा है। इस पर क्या निर्णय होना है अभी संशय बरकरार है। पीएफआरडीए में नए चेयरमैन की नियुक्ति का इंतजार इसका सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है।