शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का अंतिम संस्कार: परमहंस गंगा आश्रम में दी जाएगी भू-समाधी
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की समाधी: हिन्दुओं के सबसे प्रमुख सनातनी धर्मगुरु द्वारिकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का रविवार 11 सितम्बर दोपहर 3:30 बजे निधन हो गया. मध्य प्रदेश के नरसिंगपुर जिले के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में उन्होंने प्राण त्याग दिए. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के निधन ने पूरे देश को झगझोर कर रख दिया। हिन्दुओं को संगठित करने के लिए स्वामी शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी ने पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती कुछ दिन पहले ही बेंगलुरु में इलाज कराने के बाद अपने झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम लौटे थे. पूरे दुनिया के हिन्दू स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन से दुःखी हैं. और उनके अंतिम दर्शन के लिए देश विदेश के लोग झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम के लिए निकल गए हैं.
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का अंतिम संस्कार कहां होगा
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का अंतिम संस्कार परमहंसी गंगा आश्रम में होगा, उनके शिक्ष्य ब्रह्म विद्यानंद ने बताया कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सोमवार को शाम 5 बजे परमहंसी गंगा आश्रम में समाधि दी जाएगी। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को भू-समाधी दी जाएगी
शंकराचार्य को समाधी कैसे दी जाती है
शंकाचार्यों और साधुओं के अंतिम संस्कार का तरीका अलग होता है. शैव, नाथ, दशनामी, अघोर और शाक्त परम्परा के साधु-संतों को भू-समाधि दी जाती है. भूसमाधि में संतों को पद्मासन या सिद्धि आसान मुद्रा में बैठकर भूमि के अंदर दफना दिया जाता है. संतों को उसी स्थान में समाधी दी जाती जहां उनके गुरु की समाधि होती है. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को भी भू-समाधि उनके आश्रम में दी जाएगी।
शंकराचार्य 9 वर्ष की उम्र में घर छोड़कर धामयात्रा पर निकल गए थे, शास्त्रों का ज्ञान अर्जित करने के बाद उन्होंने संत रहते हुए अंग्रेजों के खिलाफ जंग छेड़ दी थी. तभी से उन्हें क्रन्तिकारी साधू के रूप में जाना जाने लगा था. स्व शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की कहानी जानने के लिए यहां क्लिक करें