किसानों की जमकर होगी कमाई, ₹4000 प्रति क्विंटल होने वाले हैं भाव, जानें
इस वर्ष भारतीय किसानों की बल्ले बल्ले होने वाली है। प्रदेश तथा देश के व्यापारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में गेहूं के दाम 4000 रुपए होने की संभावना है। वर्तमान समय में गेहूं के दाम 2000 के पार चल रहे हैं। बेमौसम हुई बरसात ने गेहूं की फसल को काफी नुकसान हुआ है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए व्यापारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में गेहूं के दाम 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल के आसपास हो सकता है। हालांकि अभी तक गेहूं के दाम के संबंध में सरकार द्वारा कोई भी इस तरह की घोषणा नहीं की गई है।
क्यों नहीं बढ़ता गेहूं का दाम
गेहूं का दाम उसकी उपयोगिता के हिसाब से 2000 हजार रुपए से कहीं ज्यादा है। लेकिन सरकार गेहूं सहित अन्य कृषि अनाजों के भाव को पूरी तरह नियंत्रण में रखती है। इसका खामियाजा किसानों को कम कीमत के रूप में भुगतना पड़ता है। महंगाई चरम सीमा पर है। जिसका सामना किसानों को भी करना पड़ता है। लेकिन किसानों की इस मजबूरी को समझने वाला कोई नहीं है।
शासकीय कर्मचारियों को सरकार वर्ष भर में 2 बार महंगाई तथा अन्य भत्ता बढ़ाकर राहत प्रदान करती है। लेकिन किसान को मात्र 100 और 50 रुपए एमएसपी पर बढ़ाकर राहत देने का लॉलीपॉप दे रही है। स्वतंत्रता के समय अनाज के दाम कर्मचारियों की तनख्वाह से कहीं ज्यादा था। लेकिन सरकार ने अनाज को आवश्यक वस्तु में शामिल कर उनकी कीमत को नियंत्रित कर दिया और कर्मचारियों की तनख्वाह लगातार बढ़ती गई। इसी का परिणाम है कि आज किसान गरीब होता चला गया और कर्मचारी तथा व्यापारी धन्नसेठ बन गये हैं। यह सब कृषि प्रधान देश में हो रहा है।
सरकार नहीं बढ़ने दे रही गेहूं की कीमत
सोशल मीडिया में मिली जानकारी की माने तो अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान सहायक प्रोफ़ेसर का कहना है कि खाद्य मुद्रास्फीति होने वाले चुनावों में प्रभावित होती हैं। आने वाले दिनों में देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। उसके तुरंत बाद 2024 में लोकसभा का चुनाव है। ऐसे में केंद्र सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। खाद्य मुद्रास्फीति आगामी लोकसभा और विधानसभा के चुनावों को प्रभावित कर सकती है। उपभोक्ताओं को कोई परेशानी न हो इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार कीमतों पर नियंत्रण रखती है जिससे गेहूं के दाम नहीं पढ़ पाते।
वर्ष 2022-23 इसका उदाहरण है या कहे इसका प्रमाण है जब सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रतिबंध के पूर्व गेहूं की कीमत लगातार बढ़ती जा रही थी। माना जा रहा है कि अगर सरकार इस बार गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए रखें लेकिन इसके स्थान पर आटा मैदा और रवा पर लगी रोक हटा दी जाए तो गेहूं के दाम अवश्य बढ़ेंगे।