Seoni Rape Case: हर पापी का भविष्य होता है कहकर SC ने 4 साल की बच्ची का रेप और हत्या करने वाले दोषी को फांसी से बचा लिया
Seoni Rape Case: देश की सर्वोच्च अदालत मतलब सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे दोषी को मौत की सज़ा से बचा लिया जिसने 4 साल की बच्ची का रेप करने के बाद उसका कत्ल कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट में बैठे माननीयों ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा 'हर पापी का भविष्य होता है' अंग्रेजी में कहें तो Every Sinner Has A Future बोलकर सुप्रीम कोर्ट ने उस हत्यारे बलात्कारी की मौत की सज़ा कम कर दी.
सुप्रीम कोर्ट ने 4 साल की बच्ची से रेप और हत्या करने वाले आरोपी की सज़ा कम की: सुप्रीम कोर्ट के इस जजमेंट के बाद देश की जनता कह रही है कि भारत की सबसे ऊपरी न्यायपालिका में बैठे जज साहबों को 4 साल की बच्ची से रेप और हत्या करने वाले राक्षस के भविष्य की चिंता हो रही है, उस मासूम 4 साल की बच्ची का कोई भविष्य नहीं था क्या? देश में सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को लेकर काफी गुस्सा है. लेकिन क्या करें सुप्रीम कोर्ट और वहां बैठे जजों के निर्णयों के खिलाफ टिप्पड़ीं करने पर जेल हो जाती है.
पूरा मामला क्या है
यह मामला मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में घनसौर का है। 2013में इस दरिन्दे ने 4 साल की मासूम का पहले किडनैप कर फिर रेप और हत्या कर दी थी। आरोपी का नाम है फिरोज, जिसे ट्रायल कोर्ट ने IPC की धारा के तहत 302 के तहत मौत की सज़ा सुनाई थी. धारा 363 के तहत सात साल की सज़ा और 2 हज़ार के जुर्माने के साथ IPC 366 के तहत 10 साल का कठोर कारावास और 2000 का जुर्माना, IPC की धारा 376 (2) (i), 376 (2) (m) और POCSO एक्ट की धारा 5 (I)R/W 6&5 (M) R &W 6 के तहत आजीवन करावास और 2 हज़ार का जुर्माना लगाया था. हाई कोर्ट ने भी दोषी की मौत की सज़ा खत्म करने के लिए लगाई गई अपील को ख़ारिज कर दिया था और मौत की सज़ा की पुष्टि की थी.
साल 2013 में फिरोज नाम के इस दरिंदे ने 4 साल की मासूम बच्ची का रेप किया था, बाद में बेरहमी से उसका कत्ल कर दिया था. जब उस मासूम की लाश पुलिस को मिली थी तब वह लहूलुहान थी. फिरोज को ट्रायल कोर्ट ने मौत की सज़ा सुनाई थी लेकिन अब महामहीम सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया के जज साहबों ने इस रेपिस्ट और हत्यारे को यह कहकर मौत की सज़ा से बचा लिया की हर पापी का भविष्य होता है?
सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट और न्यायाधीशों के खिलाफ टिप्पणीं नहीं की जा सकती वरना जेल हो जाती है. लेकिन ऐसे आरोपियों की जान बक्शने से अपराध पर लगाम लगती है या बढ़ावा मिलता है?
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने अपना जजमेंट सुनाते हुए कहा "अपीलकर्ता को उसके खिलाफ आरोपित अपराधों के लिए दोषी ठहराए जाने के मामले में नीचे की अदालतों द्वारा लिए गए दृषिकोण की पुष्टि करते हुए सज़ा को कम करने के लिए उचित समझें, और डंडीय अपराध के लिए आजीवन कारावास की सज़ा के लिए मौत की सज़ा कम करें। धारा 302 IPC के तहत चूंकि 376 A IPC मामले तथ्यों पर भी लागू होते हैं. अपराध की गंभीरता को देखते हुए, अपीलकर्ता के लिए शेष प्राकर्तिक जीवन के लिए कारावास की सज़ा उपयक्त सज़ा होगी। ऑस्कर वाइल्ड ने जो कहा है , उसे याद दिलाया जाता है- संत और पापी के बीच एक मात्र अंतर् यह है की प्रत्येक संत का एक अतीत होता है और प्रत्येक पापी का एक भविष्य होता है.
कोर्ट ने आगे कहा- इस न्यायलय द्वारा वर्षों से विकसित किए गए पुनर्स्थापनात्म्क न्याय के मूल सिद्धांत में से एक अपराधी को हुई क्षति को मरम्मत करने और जेल से रिहा होने पर सामाजिक रूप से उपयोगी व्यक्ति बनने का अवसर देता है. अपराधी के अपंग मानस की मरम्मत के लिए हमेशा निर्धारक कारक नहीं हो सकता। इसी लिए हम अपीलकर्ता-अभियुक्त पर धारा 376 A IPC के तहत अपराध के लिए उसे बाकी प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास की बजाए बीस साल की अवधि के कारावास की सज़ा देना उचित समझते हैं. IPC और POCSO अधिनियम के तहत अन्य अपराधियों के लिए नीचे की अदालतों द्वारा दर्ज दोषसिद्धि और सज़ा की पुष्टि की जाती है.
कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई करने वाली बेंच में शामिल जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने 4 साल की बच्ची का रेप और उसके बाद बेरहमी से उसकी हत्या करने वाले आरोपी को सज़ा-ए-मौत से बचाकर 20 साल की कैद की सज़ा सुनाई है ताकि जब वो बाहर निकले तो अच्छा इंसान बनकर निकले। क्योंकि हर पापी का एक भविष्य होता है.
सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा आदेश दिया आपको भरोसा नहीं हो रहा होगा, नीचे जज साहबों द्वारा जारी आदेश की कॉपी है देख लीजिये और हमें बताइये सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अपराध को रोकेगा या बढ़ावा देगा