Earthquake in Uttarakhand: देहरादून में भूकंप, 3.8 की तीव्रता से धरती हिली, घरों से सुरक्षित स्थानों में भाग रहें लोग
उत्तराखंड में प्राकृतिक घटनाएं होती रहती है. अब राजधानी देहरादून में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. रेक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.8 मापी गई है. झटकों के बाद लोग घरों से निकलकर सुरक्षित स्थानों में भागने लगे हैं. हांलाकि भूकंप से किसी के हताहत होने और जान माल के नुकसान की खबर नहीं है.
देहरादून में 3.8 की तीव्रता से भूकंप के झटके आए हैं. डरे सहमे लोग घरों से निकलकर सुरक्षित स्थानों की ओर भागते नजर आए हैं. खबर लिखे जाने तक किसी भी जान माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है.
भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड राज्य बेहद संवेदनशील है. इसके पहले भी 24 जुलाई को उत्तरकाशी में भूकंप के झटके महसूस किए गए थें.
क्या है भूकंप आने की वजह
इंसानी गतिविधियों ने धरती पर बहुत उठा-पटक मचाई हुई है. लेकिन, ये बिल्कुल नई बात है कि अब मानवीय करतूत से भूकंप भी आने लगे हैं.
इसलिए वैज्ञानिकों की नई पौध तैयार हो रही है, जो ऐसे भूकंपों का पता लगा रही है. इन्हें सीज़्मिक डिटेक्टिव कहा जा रहा है.
ये वैज्ञानिक ये पता लगाते हैं कि किसी इलाक़े में आया भूकंप क़ुदरती वजह से आया या फिर इसके पीछे किसी औद्योगिक गतिविधि का हाथ था.
आज धरती के गर्भ से तेल निकालने के लिए कई किलोमीटर की गहराई तक खुदाई की जा रही है. हर साल 10 हज़ार से ज़्यादा तेल के कुएं खोदे जा रहे हैं. इनके लिए जियोथर्मल एनर्जी का इस्तेमाल होता है.
ये धरती के भीतर मौजूद वो ऊर्जा है, जिसे खुदाई के ज़रिए चट्टानों से आज़ाद कराया जाता है. खुदाई का ये काम 2050 तक छह गुना बढ़ने का अंदेशा है.
क्योंकि तेल की तलाश में जगह-जगह धरती के सीने को ज़ख्मी किया जा रहा है. इससे धरती के भीतर बहुत गहराई में चट्टानों का संतुलन बिगड़ रहा है.
असल में ऊपरी परत के बाद हमारी धरती के भीतर चट्टानों, बालू, कंकड़ वग़ैरह की कई परतें हैं. जब बहुत गहराई में ड्रिलिंग होती है, तो इन परतों में उथल-पुथल होती है और इनके बीच बंद ऊर्जा निकलती है. इसकी वजह से भूकंप आते हैं.