
कैशलेस ट्रीटमेंट योजना: सड़क दुर्घटना में मिलेगा डेढ़ लाख तक का मुफ्त इलाज, मार्च 2025 से देशभर में लागू होगी योजना

देश में सड़क दुर्घटनाओं में घायलों की मदद के लिए सरकार एक बड़ी योजना शुरू करने जा रही है। मार्च 2025 से, सड़क दुर्घटना में घायल होने पर पीड़ितों को डेढ़ लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिलेगा। केंद्र सरकार की कैशलेस ट्रीटमेंट योजना पूरे देश में लागू की जाएगी और निजी अस्पतालों के लिए भी अनिवार्य होगी। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) इस योजना के लिए नोडल एजेंसी का काम करेगा।
एनएचएआई के एक अधिकारी के अनुसार, मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 162 में पहले ही संशोधन किया जा चुका है। योजना को पूरी तरह से लागू करने से पहले, छह राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया, जो सफल रहा।
योजना के अनुसार, घायल को अस्पताल पहुंचाने पर तुरंत इलाज शुरू हो जाएगा, चाहे परिजन साथ हों या न हों। निजी और सरकारी दोनों अस्पतालों को कैशलेस इलाज देना होगा। इसके लिए कोई फीस जमा नहीं करनी होगी।
कैशलेस ट्रीटमेंट योजना का फायदा कैसे मिलेगा
- स्टेप 1- योजना के तहत लिस्टेड हॉस्पिटल में घायल को भर्ती करवाना होगा।
- स्टेप 2- 24 घंटे के भीतर पुलिस को एक्सीडेंट की सारी डिटेल्स देनी होगी।
- स्टेप 3- इसके बाद हॉस्पिटल में घायल का डॉक्यूमेंटेशन होगा।
- स्टेप 4- पुलिस रिपोर्ट और पहचान पत्र जमा करने के बाद योजना का लाभ मिलेगा।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 14 मार्च 2024 को पायलट प्रोजेक्ट 'कैशलेस ट्रीटमेंट योजना' शुरू की थी। 7 जनवरी 2025 को, नितिन गडकरी ने इस योजना को पूरे देश में आधिकारिक रूप से लॉन्च करने की घोषणा की। इस योजना के तहत, दुर्घटना के बाद 7 दिनों तक अस्पताल में इलाज के लिए भारत सरकार की ओर से अधिकतम 1.5 लाख रुपये की मदद मिलेगी।
अगर इलाज का खर्च डेढ़ लाख से ज्यादा होता है, तो बाकी का बिल मरीज या परिजन को भरना होगा। हालांकि, सरकार डेढ़ लाख की राशि को बढ़ाकर 2 लाख रुपये करने की कोशिश कर रही है।
दुर्घटना के बाद का एक घंटा 'गोल्डन ऑवर' कहलाता है, जिसमें सही समय पर इलाज न मिलने से कई मौतें हो जाती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए यह योजना शुरू की जा रही है।
भारत में 2023 में लगभग 1.5 लाख लोग सड़क हादसों में मारे गए। 2024 में जनवरी-अक्टूबर के बीच 1.2 लाख जानें गईं। इनमें से 30-40% लोग समय पर इलाज न मिलने से दम तोड़ देते हैं।
सड़क हादसे के घायलों के इलाज में औसतन 50,000 से 2 लाख रुपये का खर्च आता है। गंभीर मामलों में यह खर्च 5-10 लाख तक पहुंच जाता है। डेढ़ लाख रुपये तक फ्री इलाज की योजना से हर साल करीब 10 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।