अंधा कानून: बच्ची के साथ गैंगरेप के आरोपियों को एमपी HC ने दी फांसी की सज़ा, SC ने रोक लगा दी
Blind law: साल 2018 में एपी की एक सात साल की बच्ची के साथ कुछ हैवानों ने सामूहिक बलात्कार किया था ,पिछल साल मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सामूहिक बलात्कार करने वाले आरोपियों को मौत की सज़ा सुनाई थी. लेकिन जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो न्यायाधीशों ने फांसी की सज़ा पर रोक लगा दी।
दरअसल पिछले साल सितंबर में एमपी हाईकोर्ट ने उन दरिंदों को फांसी की सज़ा देने का आदेश दिया था, इसके बाद रेपिस्टों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली, न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता में पीठ ने दोषियों द्वारा दायर याचिका की सुनवाई की और आदेश पारित किया, कोर्ट ने कहा कि इस केस में आगे विचार किए जाने तक याचिकाकर्ता को दी गई फांसी की सज़ा पर रोक लगाई जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सर्वोच्च न्यायालय ने अपना आदेश जारी करते हुए कहा- दोषी की मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन रिपोर्ट उनके सामने पेश की जानी चाहिए, पीठ ने जेल प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि दोषियों द्वारा जेल में किए गए कार्यों के बारे में रिपोर्ट दें. इसके साथ इंदौर के एक हॉस्पिटल के निदेशक को दोषियों के मनोरोग मूल्यांकन के लिए टीम बनाए जाने के लिए कहा है। और 1 मार्च तक पेश करने के निर्देश दिए हैं। पीठ में जस्टिस एसआर भट और जस्टिस पीएस नरसिम्भा भी शामिल हैं।
मामला क्या है
एमपी के मंदसौर में एक सात साल की बच्ची को उसके स्कूल से अगवा कर कुछ दरिंदों ने उसके साथ गैंगरेप किया था, बच्ची अगले दिन घायल अवस्था में पुलिस को मिली थी. इलाज के लिए जब उसे हॉस्पिटल ले जाया गया तो मेडिकल टेस्ट हुआ. जिसमे बच्ची के साथ रेप की घटना होने के प्रमाण मिले। इस मामले में बच्ची की दादी ने पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराइ थी. मामला जब हाईकोर्ट में गया तो जजों ने 2 आरोपियों को मौत की सज़ा सुनाई। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश में रोक लगा दी है और आरोपियों का मनोवैज्ञानिक टेस्ट कराने का आदेश दिया है।