कच्चे तेल को लेकर आई बड़ी खबर, भारत के हर नागरिक के लिए जरूरी खबर
पेट्रोल-डीज़ल कीमत,Petrol, Deisel, petrol price, Russia Ukraine war, Gas prices, LPG, Parliament: रूस-यूक्रेन विवाद के चलते लगातार कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ अब आपूर्ति भी कम होने की आशंका जताई जा रही है। सोमवार को राज्यसभा में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह ने बताया कि रूस से कच्चे तेल का आयात 1% से भी कम है। और कहा कि चालू वित्त वर्ष में जनवरी तक के कुल आयात का केवल 0.2% है। हमें प्रतिदिन कुल 50 लाख बैरल की आवश्यकता होती है इसका 60 फ़ीसदी हिस्सा खाड़ी से आता है और रूस से केवल 4.19 लाख मिट्रीक टन का आयात किया है जो कुल आयात का 0.2 फीसदी है।
अमेरिका से कच्चे तेल का आयात
2020-21 में, भारत ने अमेरिका से 14 मिट्रीक मिलियन टन कच्चे तेल का आयात किया। यह रूसी संघ में 1 फ़ीसदी से भी कम के मुकाबले हमारी आवश्यकता का 7.3 फीसदी प्रतिनिधित्व करता है। चालू वित्त वर्ष में अमेरिका से आयात बढ़कर 16.8 मिलियन टन या लगभग 10 अरब डॉलर के कच्चे तेल का हो सकता है।
आयात की जाने वाली गैस और कोयले का आंकड़ा जाने तो अमेरिका से 13.5 अरब डॉलर के आयात का है यह एक मजबूत रिश्ता है।
भारतीय तेल कंपनियों ने रूस में किया निवेश
हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत ने कच्चे तेल की अपनी जरूरत का 85 फ़ीसदी और प्राकृतिक गैस की जरूरत का 54 फ़ीसदी आयात किया है। भारत कच्चे तेल का आयात मुख्य रूप से सऊदी अरब, इराक, संयुक्त अरब अमीरात, नाइजीरिया और अमेरिका से करता है। रूस से कच्चे तेल का आयात कुल मात्रा में 1% से भी कम है।
ऐसी कठिन परिस्थितियों में भी हाइड्रोकार्बन ऊर्जा करारों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ रहा है। भारतीय तेल कंपनियों ने रूस में लगभग 16 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है और उनमें से कुछ निवेश काफी लाभदायक है।