Assam 18 August 2023 Holiday: असम में व्यापारिक प्रतिष्ठान, सरकारी कार्यालय और स्कूल-कॉलेज छुट्टी को लेकर बड़ा Update, तुरंत ध्यान दे
Assam 18 August 2023 Holiday
18 August 2023 School Holiday, Assam Dm Order, Assam 18 August 2023 Holiday | Assam 18 August 2023 School-College Holiday: 15 अगस्त को पूरे देश की तरह असम राज्य में भी स्वतंत्रता दिवस का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया. सभी स्कूल-कॉलेज, प्रतिस्थानो सहित कई जगह झंड़ा फ़हराया गया था. अगस्त में छुट्टीयो का भण्डार है. असम (Assam Holiday List 2023) में सार्वजनिक छुट्टियों में क्षेत्रीय त्योहार और राष्ट्रीय और राज्य-केंद्रित सरकारी छुट्टियां शामिल होती है. अगस्त में त्योंहार बहुत ज्यादा होते है. अगस्त में ज्यादातर व्यापारिक प्रतिष्ठान, सरकारी कार्यालय और स्कूल/कॉलेज बंद रहते हैं. क्योकि ज्यादातर छुट्टियों का मौसम होता है. 18 अगस्त को असम में छुट्टी है या नहीं..इसको लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है.
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दरअसल 18 अगस्त को असम में (Sankardev Tithi Assam) मनाई जा रही है. ऐसे में प्रदेश में सरकारी हॉलिडे रहता है. खैर अभी तक इसको लेकर कोई हॉलिडे को लेकर खबर सामने नहीं आई है. Sankardev Tithi 2023 में असम में छुट्टी पूरी तरह राज्य सरकार पर निर्भर करता है.
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श्रीमंत शंकरदेव की तिथि भाद्र माह में उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्य असम में एक क्षेत्रीय सार्वजनिक अवकाश है। इसका मतलब है कि यह पश्चिमी कैलेंडर में अगस्त या सितंबर में आता है। इस दिन को संत विद्वान श्रीमंत शंकरदेव की पुण्य तिथि के रूप में याद किया जाता है।
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महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव 16वीं सदी के असमिया बहुश्रुत और संत-विद्वान थे जिन्हें असम को एकजुट करने का श्रेय दिया जाता है और उन्हें असमिया संस्कृति का जनक माना जाता है।
संत का असमिया संस्कृति, धर्म और समाज पर व्यापक प्रभाव था और उन्हें सांस्कृतिक अवशेषों को विकसित करने और संगीत (बोर्गेट), नाटकीय प्रदर्शन (अनिका नाट, भाओना), नृत्य (सत्त्रिया) और साहित्यिक भाषा के नए रूपों को तैयार करने का श्रेय दिया जाता है। (ब्रजावली)। उन्होंने अपने पीछे संस्कृत, असमिया और ब्रजावली में लिखित ट्रांस-रचित ग्रंथों (शंकरदेव की भागवत), कविता और धार्मिक कार्यों का एक व्यापक काम छोड़ा। उनके द्वारा प्रवर्तित भागवत धार्मिक एकसारनम धर्म या नव-वैष्णव आंदोलन ने कोच और अहोम के दो मध्ययुगीन राज्यों को प्रभावित किया, जबकि उनके द्वारा शुरू की गई भक्तों की सभा सत्रों में विकसित हुई, जो असम में महत्वपूर्ण सामाजिक-धार्मिक संस्थान बनी हुई हैं।
शंकरदेव ने असम में भक्ति आंदोलन को प्रेरित किया। उनका साहित्यिक और कलात्मक योगदान आज असम में जीवित परंपराएं हैं। उन्होंने जिस धर्म का प्रचार किया उसका पालन बड़ी आबादी करती है। उनके जीवनीकारों के अनुसार, शंकरदेव की मृत्यु उनके 121वें जन्मदिन से एक महीने पहले 23 अगस्त 1568 को हुई थी।