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मुंबई में महसूस किया गया भूकंप का झटका, 102 किमी दूर था केंद्र....
Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 12:01 PM IST
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मुंबई में महसूस किया गया भूकंप का झटका, 102 किमी दूर था केंद्र....कोरोना काल में वैसे भी दुनिया जूझ रही है और 2020 दुनिया के लिए आपदा बनकर
मुंबई में महसूस किया गया भूकंप का झटका, 102 किमी दूर था केंद्र.... कोरोना काल में वैसे भी दुनिया जूझ रही है और 2020 दुनिया के लिए आपदा बनकर बिखरा। कोरोना से जूझ रहे भारत देश को अब बाढ़ का भी समाना करना पड़ रहा है. मिली जानकरी के मुताबिक मुंबई में भूकंप का झटका महसूस किया गया है. भूकंप का केंद्र मुंबई से 102 किलोमीटर उत्तर में था. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक, सुबह 8 बजे भूकंप का झटका महसूस किया गया. इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.5 रही. हालांकि, जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है. इससे पहले अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. रविवार की सुबह-सुबह 6.38 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.3 मापी गई. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (एनसीएस) के मुताबिक इसकी गहराई 82 किलोमीटर थी।
अब ऐसे बचाई जा सकेगी कोविड-19 के गंभीर रूप से बीमार मरीज़ों की जान …
दिल्ली (विपिन तिवारी ) । कोविड-19 के गंभीर रूप से बीमार मरीज़ों की जान सस्ते स्टेरॉयड से बचाई जा सकती है। एक ताज़ा शोध में ये नतीजे सामने आए हैं। ये इससे पहले हुए एक ट्रॉयल के नतीजों की पुष्टि करते हैं जिसके आधार पर इंटेसिव केयर यूनिट में कोविड-19 के गंभीर मरीज़ों को स्टेरॉयड दिया जाने लगा था। ‘जर्नल ऑफ़ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन’ में इस नए शोध के नतीजे प्रकाशित हुए हैं जिसके अनुसार कोविड-19 के कारण गंभीर रूप से बीमार पड़े 100 लोगों में से कम से कम 8 जानें स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बच सकती हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि शोध के नतीजे प्रभावशाली हैं। हालांकि उनका ये भी कहना है कि स्टेरॉयड कोरोनावायरस का इलाज कतई नहीं हैं। इसी साल जून में ब्रिटेन में डेक्सामेथासोन नाम के एक स्टेरॉयड के इस्तेमाल को लेकर ट्रॉयल हुआ था। इसके बारे में ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने दावा था कि दुनियाभर में बेहद सस्ती और आसानी से मिलने वाली दवा डेक्सामेथासोन कोरोनावायरस से संक्रमित और गंभीर रूप से बीमार मरीज़ों की जान बचाने में मदद कर सकती है।वेटिंग लिस्ट की टेंशन ख़त्म, बेफिक्र होकर करे टिकट बुक, मध्यप्रदेश से चलेंगी ये ट्रेनें
क्लिनिकल ट्रॉयल
ताज़ा स्टडी में दुनियाभर में कोरोना मरीज़ों पर हो रहे स्टेरॉयड के इस्तेमाल के क्लिनिकल ट्रॉयल की जानकारी को शामिल किया गया है। ये स्टडी इस बात की तस्दीक करती है कि कोरोना के गंभीर मरीज़ों में डेक्सामेथासोन और हाइड्रोकॉर्टिसोन नाम के दो स्टेरॉयड प्रभावी साबित हो सकते हैं। लंदन के इम्पीयरियल कॉलेज के प्रोफ़ेसर एंथोनी गॉर्डन कहते हैं, ‘इस साल की शुरुआत में स्थिति बेहद हतोत्साहित करने वाली थी, कई बार ऐसा लगता था कि हम कुछ नहीं कर सकते क्योंकि हमारे पास इस वायरस का इलाज करने का कोई तरीका ही नहीं है।’ ‘वो बेहद परेशान करने वाला दौर था, लेकिन अब छह महीनों के भीतर हमें भरोसेमंद और हाई क्वॉलिटी क्लिनिकल ट्रॉयल के स्पष्ट नतीजे मिल गए जो हमें बताते हैं कि हम इस घातक बीमारी से कैसे निपट सकते हैं।’मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति
ताज़ा शोध कोविड-19 के कारण गंभीर रूप से बीमार 1,703 लोगों पर किया गया था, जिनमें से 40 फीसदी की मौत आम इलाज देने के बाद हुई। 30 फीसदी लोगों की मौत स्टेरॉयड देने के बाद हुई। ये शोध केवल अस्पतालों में गंभीर रूप से बीमार मरीज़ों पर किया गया था। इस वायरस से संक्रमित अधिकतर लोगों में मामूली लक्षण दिखाई देते हैं। आमतौर पर स्टेरॉयड मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को और सूजन को शांत करते हैं और इस कारण वो गठिया और अस्थमा जैसी बीमारियों के साथ साथ गंभीर संक्रमण के मामलों में इनका इस्तेमाल किया जाता है।थम नही रही कंगना औऱ शिवसेना की जुवानी जंग, पढ़िए पूरी खबर
इम्यून सिस्टम पर दबाव
हालांकि माना जा रहा है कि कोरोनावायरस संक्रमण के शुरुआती दौर में ये दवा अधिक प्रभावी नहीं होती, जब व्यक्ति में खांसी, बुख़ार और अचानक स्वाद और गंध अनुभव न होने जैसे लक्षण दिखते हैं। लेकिन जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है इसका अधिक असर रोग प्रतिरोधक शक्ति पर पड़ता है। ये वायरस शरीर के इम्यून सिस्टम पर दबाव डालता है जिस कारण वो फेफड़ों और शरीर के अन्य ऑर्गन्स को नुक़सान पहुंचा सकता है। बीमारी के इस स्टेज पर स्टेरॉयड इलाज में मदद कर सकते हैं। ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर मार्टिन लेन्डरे कहते हैं, ‘कोरोनावायरस किसी संक्रमित व्यक्ति में जब उस स्थिति में पहुंच जाए जब मरीज़ की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन सिलिंडर की ज़रूरत पड़े, तब आपको समझ जाना चाहिए कि आप इस स्थिति में कॉर्टिकोस्टेरॉयड के इस्तेमाल के लिए प्रिस्क्रिप्शन लिख सकते हैं।’ ‘इस शोध के नतीज़ों से तुरंत लाभ लिया जा सकता है। ये दवा सस्ती है, हर कहीं उपलब्ध है और मृत्यु दर कम करने के मामले में कारगर दवा मानी जाती है।’रीवा में है देश का इकलौता ऐसा अस्पताल, जहां इलाज नहीं ‘मौत’ मिलती है
डेक्सामेथासोन पर शोध
साल की शुरुआत में डेक्सामेथासोन पर किए शोध के प्रारंभिक नतीजे आने के बाद से ही डॉक्टर इसका इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन उन्हें उम्मीद है कि अगर अलग-अलग तरह की दवाओं का इस्तेमाल करने की संभावना के साथ दुनियाभर में इलाज तक लोगों की पहुंच अधिक होगी। ये दवा सीधे गोली के तौर पर दी जा सकती है या फिर ख़ून की नली में ड्रिप के तौर पर भी दी जा सकती है। अब तक शोध में कम मात्रा में स्टेरॉयड के इस्तेमाल पर ध्यान केंद्रित किया गया था। और इस बात के कोई सबूत नहीं थे कि थोड़ी ज़्यादा मात्रा में इनका इस्तेमाल प्रभावी होगा या नहीं। उम्मीद की जा रही है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन इस संबध में जल्द ही डॉक्टरों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी कर सकता है। ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सर साइमन स्टीव्स का कहना है, ‘जैसा कि हमने पहले डेक्सामेथासोन को लेकर किया था, हेल्थ सर्विस अब तुरंत कदम उठाएगी और ये सुनिश्चित करेगी कि जिन मरीज़ों को हाइड्रोकॉर्टिसोन से फायदा हो सकता है उनका इलाज इस दवा से किया जाए।’ ‘इसके साथ ही दुनियाभर में कोरोनावायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में एक अहम और कारगर हथियार हमें मिल गया है।’85 साल पहले ही दी गई थी 2020 में तबाही की चेतावनी, पढ़िए चौका देने वाली खबर…
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